- बरसात में आरटीओ ऑफिस में बढ़ जाता है सांपों का खतरा

- करीब छह कमरों में सड़ रही हैं लाखों फाइलें

- सांप के डर से कई साल से नहीं खुले ये कमरे

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anurag.pandey@inext.co.in

GORAKHPUR: सांप को देखकर हर कोई सहम जाता है. अगर घर में दिख गया तो जब तक वो बाहर न निकल जाए तब किसी को भी नींद नहीं आएगी. ऐसा ही कुछ हाल आरटीओ के जर्जर दफ्तर का इस समय हुआ है. अंग्रेजों के समय के बने इस आरटीओ दफ्तर में जिम्मेदारों की लापरवाही से करीब छह कमरे केवल फाइलों से भरे पड़े हैं. इसके बाद जो फाइलें इसमे नहीं अरजेस्ट हो पाई हैं उन्हें कमरे के बाहर गट्ठर में बांध कर छोड़ दिया गया है. हालत ये है कि कभी इन फाइलों का काम पड़ जाए तो कर्मचारी कमरे में घुसने तक से डरते हैं. ऐसा इसलिए कि इन कमरों में सांपों ने डेरा बनाया हुआ है. जिसके डर से कई साल से इन कमरों का ताला तक नहीं खुल सका है.

दिखने लगा बरसात का खौफ

कर्मचारियों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि सबसे ज्यादा डर बरसात के मौसम में लगता है. इस मौसम में ये सांप आए दिन किसी के पैर के आस-पास दिख जाते हैं. इस कारण कर्मचारी घर से जूता-मोजा पहन कर निकलते हैं. यही नहीं बरसात में कमरों में भी घुटने तक पानी लग जाता है और छत से भी डायरेक्ट पानी की धारा बहती रहती है.

आजमगढ़ से बुलाया था सपेरा

करीब दो साल पहले लगातार दफ्तर के कई कमरों में सांप निकला था. कर्मचारियों का कहना है कि वो कोबरा सांप था. इसके बाद कर्मचारियों ने पहल कर आजमगढ़ से एक सपेरे को बुलाया. जिसने काफी मेहनत के बाद सांप को पकड़ा भी था जिसके बाद कर्मचारियों के जान में जान आई थी.

कमरों में जाने से डरते कर्मचारी

जब कोई काम फंस जाता है तो पुरानी फाइलों को खोजने के लिए अधिकारी का आदेश जरूर आता है. लेकिन महीनों बीत जाने के बाद भी कोई भी कर्मचारी फाइल खोजने के लिए कमरा खोलने की हिम्मत नहीं जुटा पाता. वे अधिकारी से इधर-उधर की बात करके टाल देते हैं.

फाइलों के बीच से झांकते हैं सांप

न जाने कितने दिन चक्कर काटकर लोग आरटीओ में अपना काम पूरा कराते हैं. यहां उनकी फाइलों की हालत ये है कि उन्हें अगर कोई काम पड़ जाए तो उनकी फाइल खोजने में कई साल लग जाएंगे. वहीं कर्मचारियों का कहना है कि फाइलों के बीच सांप डेरा जमाए हुए हैं इसलिए इनका रख-रखाव भी नहीं हो पाता है.

बॉक्स

काफी फाइलें गल कर हो गईं नष्ट

इस समय आरटीओ ऑफिस में हालत ये है कि छह कमरों में इस कदर फाइलें ठूसीं हुई हैं कि कमरा भी न खुल पाए. वहीं इन कमरों में अधिकतर फाइलों को या तो दीमक खा गए हैं या फिर सीलन से ये पूरी तरह गल गई हैं. लेकिन जिम्मेदारों ने कभी इन फाइलों को बचाने के लिए कोई काम नहीं किया. जिसका नतीजा ये है कि काम पड़ने पर आनन-फानन में कर्मचारी नई फाइल तैयार कर अपना बोझ हल्का करते हैं.

बदल गई फाइल, मांगने पर टालमटोल

पिपराइच इलाके के दिग्विजय सिंह ने बताया कि फर्जी एनओसी लगाकर उनका ट्रक एक फ्रॉड व्यक्ति ने अपने नाम करा लिया था. शिकायत पर ट्रक तो मेरे नाम हो गया, लेकिन पुलिस द्वारा फ्रॉड व्यक्ति पर कार्रवाई के लिए फाइल मांगे जाने पर आरटीओ कर्मचारी टालमटोल कर रहे हैं.

ऑफिस में ये हैं कागजात

- लाइसेंस से रिलेटेड

- वाहन ट्रांसफर से रिलेटेड

-टैक्स से रिलेटेड फाइलें

- फिटनेस से रिलेटेड फाइलें

- एनओसी की फाइलें

- रजिस्ट्रेशन पेपर की फाइलें

-शिकायत संबंधित फाइलें

वर्जन

पुरानी बिल्डिंग है. इसमे कोई निर्माण नहीं हो सकता है. गीडा में करीब छह महीने में नया ऑफिस बनकर तैयार हो जाएगा. फाइलों को कंप्यूटर में अपलोड किया जा रहा है.

- डीडी मिश्रा, आरटीओ प्रवर्तन

Posted By: Syed Saim Rauf