ं-माइक्रोबायलॉजी डिर्पाटमेंट में शुरू होगा इंसेफ्लाइटिस सिंड्रोम टेस्ट

- 28 मई से लैब होगा शुरू, टेस्ट होगा-पर स्क्रीनिंग नहीं

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PATNA: पीएमसीएच में इसी माह से इंसेफ्लाइटिस सिंड्रोम टेस्ट लैब शुरू होगा. इसके साथ ही ऐसे टेस्ट की सुविधा देने वाला स्टेट का तीसरा मेडिकल कॉलेज व हॉस्पीटल होगा. अभी इस टेस्ट की सुविधा मुजफ्फरपुर और गया मेडिकल कॉलेज में उपलब्ध है. पीएमसीएच में इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) टेक्निकल सपोर्ट, फंड और पांच लोगों की मेडिकल टीम का सहयोग दे रहा है. सेंट्रल गवर्नमेंट के सपोर्ट से बनने वाली इस लैब के लिए पीसीआर सहित अन्य मशीनें खरीदी गई है. माइक्रोबॉयलाजी डिपार्टमेंट के सूत्रों ने बताया कि यह अन्य टेस्ट की तरह ही फ्री होगा लेकिन यह स्क्रीनिंग करने के लिए नहीं होगा. फिलहाल यहां करीब वायरोलाजी व अन्य करीब ब्0 टेस्ट की सुविधाएं उपलब्ध है.

इसी माह में शुरू होगा लैब

डिपार्टमेंट के मुताबिक ख्8 मई को लैब का इनॉगरेशन होगा. जबकि ख्9 मई को लखनऊ से आईसीएमआर की टीम व दिल्ली से एक्सपर्ट डाक्टर्स की टीम आकर जांच करेगी. इसका प्रोजेक्ट कॉस्ट तीन करोड़ है, जिसमें से एक करोड़ रुपए रिलीज किया गया है. पीसीआर मशीन खरीदी गई है.

पिछली बार असफल रहे

ज्ञात हो कि बीते साल सेंट्रल गवर्नमेंट की ओर से भेजी गई राशि खर्च करने में बिहार असफल रहा. दरअसल इस प्रोजेक्ट का उदे्श्य इंसेफ्लाइटिस के गंभीर और निरंतर आउटब्रेक को रोकने के लिए प्रभावी कदम उठाना है. इसमें मुख्यत: एक्यूट इनसेफलाइटिस सिंड्रोम और जैपनीज इनसेफलाइटिस शामिल है. जानकारी हो कि सभी जिलों से मेडिकल कॉलेज और रेफरल के तौर पर पीएमसीएच में इसके केसेज जेइस टेस्ट के शुरू होने से सभी रूटीन और रेफरल केस देखा जा सकेगा.

टेस्ट है महत्वपूर्ण

माइक्रोबॉयलाजी डिपार्टमेंट के हेड डॉ सिंह ने बताया कि आम तौर पर मेनिनजाइटिस और इंसेफ्लाइटिस दोनों के लक्षण बहुत मिलते-जुलते हैं. लेकिन जहां मेनिनजाइटिस की पुष्टि के लिए सीएस फ्लूड टेस्ट या रीढ़ के पानी के टेस्ट से पता चलता है. लेकिन इंसेफ्लाइटिस सिंड्रोम का पता इस टेस्ट से नहीं चलता है. दरअसल सिंड्रोम होने के कारण इसके सब टाइप की अन्य बीमारी भी हो सकती है. इसे कन्फर्म करने के लिए स्पेशलाइज्ड टेस्ट की जरूरत पड़ती है. इसलिए यह टेस्ट शुरू करना महत्वपूर्ण है. बिहार में हर साल यह बीमारी सैकड़ों लोगों की मौत का कारण है, विशेषरूप से नार्थ बिहार में.

खराब लीची से इंफेक्शन

डॉ सिंह के मुताबिक मुजफ्फरपुर में इंसेफ्लाइटिस के सर्वाधिक केस आते है. इसमें पाया गया है कि खराब लीची खाने से भी इंफेक्शन हो सकता है. इंसेफ्लाइटिस एक गंभीर बीमारी है, जिसमें डेथ रेट करीब ख्0 परसेंट है. यह ब्रेन के फंक्शन पर गहरा असर करता है. यह पेशेंट को अचेत कर देता है. कन्वंलशन, बुखार, आदि इसके लक्षण हैं.

पॉलीमर चेन रिएक्शन मशीन में डीएनए बेस्ट टेस्ट को एग्जामिन करने की क्षमता है. यह टेस्ट बेहद सटीक होता है.

-डॉ सतेंद्र नारायण सिंह, डिपार्टमेंट हेड, माइक्रोबॉयोलॉजी

Posted By: Manish Kumar