AGRA (2 Dec.): कॉलोनी के द्वार पर बैठा दरबान। रिहाइशी एरिया में दाखिल होने से पहले हर व्यक्ति से पूछताछ। बमुश्किल अंदर घुसने देने को दरबान तैयार हुआ। स्मारक के बारे में पूछने पर पार्क की ओर इशारा किया। लेकिन, हिदायत दी कि पार्क के अंदर घुसना मना है। कुछ कदम अंदर जाकर देखा तो बाहर से दिखने में पार्क दिखा। हर तरफ पेड़-पौधे। पार्क की चारों ओर से चारदीवारी दिखाई पड़ी। हर तरफ नजर दौड़ाई। लेकिन, कहीं भी लाड़ली बेगम का मकबरा नाम की चीज दिखाई नहीं पड़ी। आबादी में चहलकदमी करने पर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) का छोटा सा बोर्ड दिखाई दिया। तब जाकर लगा कि वास्तव में पार्क के अंदर पुरातन धरोहर है।

लाड़ली बेगम का है मकबरा

नेशनल हाइवे नं। टू से मऊ रोड पर चलने के बाद तकरीबन पांच-सात सौ मीटर अंदर पहुंचने पर जिस आबादी क्षेत्र के अंदर एएसआई का बोर्ड लगा हुआ मिला, वह स्थल कोई ओर नहीं बल्कि मुगलकालीन धरोहर लाड़ली बेगम का मकबरा है। यह स्मारक संरक्षित स्मारक घोषित किया जा चुका है। यही वजह है कि एएसआई की लिस्ट में बाकायदा यह स्मारक लिस्टेड भी है।

अतिक्रमण का शिकार

हुआ संरक्षित स्मारक

एएसआई में रिकॉर्डेड इस महत्वपूर्ण स्थल के आसपास अतिक्रमण कर लिया गया है। जबकि नियमानुसार किसी भी संरक्षित स्मारक के सौ मीटर तक निर्माण किया नहीं जा सकता है। इसके आगे दो सौ मीटर तक के एरिया को भी कानूनन अतिक्रमण से मुक्त घोषित किया गया है। लेकिन, लाड़ली बेगम के मकबरे को देखने से कतई यह नहीं लगता है कि इस स्मारक को लेकर प्रशासनिक अमला गंभीर है। अगर ऐसा नहीं होता तो मकबरा अतिक्रमण का शिकार नहीं बना पाता।

पेड़ों की आड़ से दिखता है बोर्ड

मऊ रोड की आबादी एरिया में जिस स्थान पर लाड़ली बेगम का मकबरा स्थित है, उस स्थान पर अच्छी-खासी हरियाली लगी है। छोटे-बड़े सभी तरह के पेड़-पौधे लगे हुए हैं। अगर सड़क पर खड़े होकर देखें तो हरियाली के झुरमुटों से मकबरा दिखता ही नहीं है। बमुश्किल वह सरकारी बोर्ड दिखाई पड़ता है, जिसे स्मारकों को संरक्षित करने का जिम्मा संभालने वाले एएसआई ने लगाया है।

अवशेष के रूप में बचा है चबूतरा

लाड़ली बेगम के मकबरे के स्थान पर अब एक चबूतरा सा दिखाई देता है। आबादी में बने इस पार्क के द्वार से दाखिल होने के बाद सीढि़यां चढ़कर उस टीले पर पहुंचा जा सकता है, जिसे संरक्षित स्मारक घोषित किया गया है। इस स्थल पर ककैया ईटों का अवशेष बचा हुआ है। लोगों से बात करने पर पता लगता है कि इस स्थल पर टीला जैसा है। यह उजाड़ पड़ा था, जिसे लोगों ने आपसी सहभागिता से विकसित कर दिया गया। एक बड़े पार्क की सूरत में त?दील किए गए इस स्थल के अंदर बाहरी व्यक्तियों का प्रवेश नहीं हो सके, इसके लिए कॉलोनी के चौकीदार को साफ-साफ निर्देश दे रखे हैं। यही वजह है कि शनिवार को जब आई नेक्स्ट ने उस स्थल पर पहुंचकर कवरेज करने की बात की तो शायद उनको नागवार गुजरा। बिना नाम बताए इस महत्वपूर्ण स्थल के पूर्व में उजाड़ पड़े होने की वजह से अधिकारियों को कोसने से भी पीछे नहीं रहे।

Posted By: Inextlive