बनारस की रोड पर सजी दुकानें आपके लिए परेशानी तो खड़ी करते ही हैं, साथ ही इन्हें हटाने वाली ट्रैफिक पुलिस भी इनसे खासी परेशान है। क्योंकि वो इन्हें हटवाती है मगर दूसरे दिन ही किसी की 'मेहरबानी' से दुकानदार फिर आधी रोड कब्जिया के बैठ जाते हैं। अब आधी से ज्यादा रोड तो ये दुकानदार ही खा जाते हैं तो चलने के लिए जगह कहां से मिलेगी? जी हां, सिविल पुलिस की मेहरबानी से रोड पर काबिज ये दुकानदार अब ट्रैफिक पुलिस, हमारे, आपके और सबके लिए परेशानी का सबब बन चुके हैं। तो देखिये इनकी करतूत।

- पीएम नरेन्द्र मोदी की बनारस विजिट के बाद ट्रैफिक पुलिस ने शहर के अलग-अलग इलाकों से अतिक्रमण हटाकर रोड को कराया था फ्री

-लेकिन लोकल पुलिस के सुस्त रवैये के कारण अतिक्रमण कारियों ने फिर से कर लिया सड़क पर कब्जा

-रोड साइड बेतरतीब ढंग से खड़ी होने वाली गाडि़यां भी बन रही हैं जाम की वजह

VARANASI : शहर की सड़कों को जाम से निजात दिलाने और बनारस में स्मूद ट्रैफिक की सौगात देने के लिए भले ही ट्रैफिक पुलिस जितने भी जतन कर ले लेकिन वो कामयाब होने से रही। एक तो बनारस की ट्रैफिक सेंसलेस पब्लिक नियमों की अनदेखी कर जाम की वजह बनती है और बाकी ट्रैफिक पुलिस की इस मेहनत पर पानी फेरने का काम करती है उन्हीं की सहोदर खाकी। दरअसल हम यहां ट्रैफिक की बिगड़ी व्यवस्था के लिए खाकी को इसलिए जिम्मेदारी ठहरा रहे हैं क्योंकि अपनी ट्रैफिक पुलिस ने पीएम नरेन्द्र मोदी के बनारस विजिट के नेक्स्ट डे यानि नौ नवंबर से शहर के हर इलाके को जाम फ्री करने की पहल करते हुए अतिक्रमण हटाने का काम किया था। लहुराबीर, चेतगंज, नई सड़क, बेनियाबाग, लक्सा और लंका समेत तमात इलाकों से रोड साइड कब्जा करने वालों को ट्रैफिक पुलिस ने खदेड़ा था। जिसके बाद सड़कें अपने असल रूप में लौट आई थीं और जाम कम लग रहा था लेकिन अभियान के अगले ही दिन इन सभी इलाकों में अतिक्रमणकारी फिर से काबिज हो गए। वो सिर्फ इसलिए क्योंकि लोकल थानों ने इन कब्जेदारों पर नकेल कसने की कोई कोशिश ही नहीं की।

मानते नहीं है कब्जेदार

शहर के ट्रैफिक को पटरी पर लाने के लिए एसपी ट्रैफिक लाल बहादुर अपनी टीम के साथ मिलकर इन दिनों काफी प्रयास कर रहे है। नौ नवंबर को फ‌र्स्ट डे उन्होंने कैंट रोडवेज से लेकर इंग्लिशिया लाइन तक अतिक्रमण हटाने का काम किया और इसके बाद शहर के अलग-अलग इलाकों को एन्क्रोचमेंट फ्री करते हुए स्मूद ट्रैफिक देने की कोशिश उन्होंने जरूर की लेकिन उनकी इन कोशिशों पर पानी फेरने का काम किया है लोकल पुलिस ने। लोकल पुलिस का ट्रैफिक पुलिस के साथ प्रॉपर कोऑर्डिनेशन न होने के कारण उन सब इलाकों में एक बार फिर से कब्जेदार काबिज हो गए, जहां से इनको ट्रैफिक पुलिस ने खदेड़कर भगाया था। अपनी कार्रवाई के दौरान ट्रैफिक पुलिस ने लगभग आधा दर्जन लोगों को अपने हद से बाहर आकर दुकान लगाने के कारण चालान भी काटा था। इसके बाद भी ये कब्जेदार हैं कि मानते नहीं और लोकल पुलिस है कि इनको हटा ही नहीं पाती।

स्पॉट 0क्

चेतगंज

ट्रैफिक पुलिस की ओर से नौ अक्टूबर से शुरू हुए अतिक्रमण हटाओ अभियान के तहत चेतगंज इलाके से भी अतिक्रमण हटाने का काम किया गया था। ट्रैफिक पुलिस ने पूरी टीम के साथ इस इलाके की दोनों छोर की सड़कों को ठेले-खोमचे सहित गुमटी और छोटी-छोटी दुकानों से फ्री कराते हुए चौड़ी सड़क पब्लिक को दी थी लेकिन एक बार फिर इस पूरी सड़क पर कब्जेदारों ने कब्जा कर लिया है। आश्चर्य तो ये है कि चेतगंज थाने के ठीक सामने की सड़क पर ठेले लगे हुए हैं और इनको हटाने की हिम्मत पुलिस में भी नहीं है।

स्पॉट ख्

नई सड़क

नई सड़क पर हर वक्त जबरदस्त भीड़ होती है। कपड़ा और जूता मार्केट होने के कारण यहां ट्रैफिक जाम की कंडीशन हमेशा बनी रहती है। यही वजह है कि ट्रैफिक पुलिस की ओर से इस इलाके को भी एन्क्रोचमेंट से मुक्त कराते हुए सड़क किनारे खड़े फल और सब्जियों के ठेलों, फोल्डिंग पलंग पर कपड़ों की दुकानों को हटाने का काम किया था लेकिन पुलिस की सुस्ती के कारण ये पूरा का पूरा इलाका एक बार फिर से जबरदस्त अतिक्रमण की चपेट में है।

स्पॉट फ्

लक्सा

ट्रैफिक पुलिस ने अतिक्रमण हटाने के अपने कैंपेन में लक्सा इलाके को भी अतिक्रमण मुक्त कराने का काम किया था। इस इलाके में ट्रैफिक पुलिस की ओर से कुछ लोगों के चालान भी किए गए थे। सड़क किनारे खड़े कुछ ठेलों को भी ट्रैफिक पुलिस ने जब्त कराया था लेकिन ट्रैफिक पुलिस के अभियान के कुछ ही देर बार यहां सब पहले जैसा ही हो गया। सड़क के दोनों ओर ठेले, खोमचे और गुमटी वालों का कब्जा हो गया तो दुकानें भी अपनी हद से बाहर कर लगा दी गई। इसके बाद भी संबधित थाना बेखबर होकर बैठा हुआ है।

स्पॉट ब्

लंका

लंका से लेकर रविन्द्रपुरी तक के पूरे इलाके को पिछले दिनों पीएम मोदी के आने से पहले अतिक्रमण मुक्त कराया गया था। पीएम का काफिला लंका होते हुए रविन्द्रपुरी संसदीय कार्यालय गया था। इसलिए इस इलाके में लगी एक एक इललीगल दुकानों सहित ठेले खोमचे और पक्के अतिक्रमण को हटाया था लेकिन लोकल पुलिस की ढिलाई के कारण आलम ये है कि पूरे इलाके में चाय की दुकान से लेकर पान, फल और सब्जी की दुकानों ने सड़क को जैसे गायब ही कर दिया है।

हाईलाइट्स

- शहर की दो दर्जन से ज्यादा सड़कों को ट्रैफिक पुलिस ने कराया था अतिक्रमण से मुक्त

- नौ नवंबर से लेकर क्फ् नवंबर तक के अभियान में एसपी ट्रैफिक और सीओ ट्रैफिक ने खुद लिया था इनीशिएटिव

- कैंट से इंग्लिशिया लाइन और लहुराबीर से लक्सा, मैदागिन से मच्छोदरी तक के रूट को कराया गया था अतिक्रमण मुक्त

- नियम के मुताबिक अतिक्रमण हटाने का काम नगर निगम का है

- टाइम टू टाइम नगर निगम भी शहर से अतिक्रमण हटाने का काम करता है

- अतिक्रमण हटाने के बाद लोकल थाने की जिम्मेदारी होती है कि फिर से कब्जेदार काबिज न हो पाये

- लेकिन अतिक्रमणकारी थानों पर तैनात बीट सिपाही से लेकर थानेदार की जेब गर्म कर आसानी से कर लेते हैं सड़क पर कब्जा

- सड़क पर अतिक्रमण होने के कारण रोड जाम की होती है प्रॉब्लम

- रोड जाम होने से शहर में आने वाले सैलानी होते हैं परेशान

- इसके कारण दूसरे देशों में शहर की गलत छवि का मैसेज होता है कनवे

शहर की सड़कों को स्मूद ट्रैफिक की सौगात देने के लिए ट्रैफिक पुलिस प्रयासरत है। इसके लिए हम हरसंभव प्रयास कर रहे हैं। इसलिए हर विभाग को हमारा सहयोग देना होगा। जिससे ट्रैफिक व्यवस्था में सुधार हो सके।

लाल बहादुर,

एसपी ट्रैफिक

Posted By: Inextlive