रामायण की लोकप्रियता देश ही नहीं अब अब विदेश तक और ज्यादा बढाई जाएगी। इसके लिए यूपी सरकार प्रयासरत है। यूपी सरकार 'रामायण' को 'एनसायक्लोपीडिया ऑफ रामायण' प्रोजेक्ट के साथ अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ले जाने की तैयारी में है।

अयोध्या (आईएएनएस)। उत्तर प्रदेश सरकार 'रामायण' को अपने महत्वाकांक्षी 'एनसायक्लोपीडिया ऑफ रामायण' प्रोजेक्ट के साथ अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ले जाने की योजना बना रही है। इसके पीछे सरकार का मुख्य उद्देश्य रामायण राष्ट्रों के समूह को अपनी साॅफ्ट-पाॅवर डिप्लोमैसी का हिस्सा बनाते हुए युवा पीढ़ी को भगवान राम के बारे में अच्छी तरह से शोधित और प्रलेखित तथ्यों को प्रस्तुत करना है। इस परियोजना को उत्तर प्रदेश सरकार से मंजूरी मिल गई है। अयोध्या शोध संस्थान रामायण की प्रत्येक 'मूर्त और अमूर्त' विरासत का दस्तावेजीकरण करने और दुनिया भर में भगवान राम के पदचिह्नों का पता लगाने की प्रक्रिया में है।

परियोजना की पांच साल की समय सीमा

इस संबंध में उत्तर प्रदेश स्थित अयोध्या शोध संस्थान के निदेशक वाईपी सिंह ने कहा रामायण पर हमारा शोध बड़ा होगा। अब हम विश्वकोश के 100 संस्करणों की योजना बना चुके हैं। उन्होंने कहा कि भगवान राम की उपस्थिति कला, साहित्य, राम कथाओं, राम लीलाओं, चित्रों, संगीत, नृत्य, मूर्तियों, मूर्तियों और यहां तक कि परंपरा विभिन्न रूपों में पाई जाती है। विश्वकोश विशेषज्ञ की मदद से अनुसंधान सत्यापन के माध्यम से इनका दस्तावेजी करण करेगा। परियोजना की पांच साल की समय सीमा है।

प्रोजेक्ट के लिए फंड की समस्या नहीं होगी

यूरोप में रामायण की विरासत और थाईलैंड, श्रीलंका और मॉरीशस जैसे दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों में जो राम लीला के विभिन्न रूपों का प्रदर्शन करते हैं - इनका प्रदर्शन अयोध्या में दिवाली के दौरान किया गया है। इसका भी दस्तावेजीकरण होगा। अनुसंधान संस्थान को केंद्र और राज्य सरकारों दोनों से 60 लाख रुपये की धनराशि मिलती है। उन्होंने कहा कि प्रोजेक्ट के लिए फंड की समस्या नहीं होगी। वर्ल्ड वाइड आउटरीच सुनिश्चित करने के लिए विभिन्न भाषाओं में विश्वकोश मुद्रित किया जाएगा।

Posted By: Shweta Mishra