'विलुप्त' हुई विलुप्त संस्कृति संरक्षण परामर्शदात्री

-लोक संस्कृति के संरक्षण के लिए परामर्शदात्री का किया गया था गठन

-महज दो बैठकों के बाद परामर्शदात्री का कोई अता-पता नहीं

DEHRADUN: मुख्यमंत्री ने डेढ़ साल पहले राज्य की विलुप्त हो रही संस्कृति के संरक्षण व संवर्धन के लिए विलुप्त संस्कृति संरक्षण परामर्शदात्री का गठन किया था। लेकिन अब यह परामर्शदात्री अस्तित्व में है या नहीं, कोई अता-पता नहीं है। हकीकत यह है कि अब जिस उद्देश्य से इस परामर्शदात्री का गठन किया गया था। उसकी महज बमुश्किल दो बैठकें ही हो पाई, कुछ प्रस्ताव आए। जिन पर अब तक कितना काम हो पाया। यह भी स्पष्ट नहीं है।

एक अध्यक्ष, दो सदस्य थे शामिल

अपनी लोक कला संस्कृति की पहचान के लिए दुनिया में खास स्थान रखने वाले राज्य में आज भी कई पारंपरिक लोक कलाएं अपना अस्तित्व खोती जा रही हैं। कई लोक कला विलुप्ति की कगार पर हैं तो कई इतिहास के पन्नों तक सिमट कर रह गई हैं। इसी उद्देश्य से मुख्यमंत्री हरीश रावत ने डेढ़ साल पहले विलुप्त होती लोक कला संस्कृति के लिए विलुप्त संस्कृति संरक्षण परामर्शदात्री का गठन किया था। जिसकी अध्यक्ष जागर गायिका बसंती बिष्ट को अध्यक्ष बनाया था। जबकि माधुरी बड़थ्वाल सहित दो सदस्य नामित किए गए थे। वहीं संस्कृति विभाग के बलराज नेगी को समन्वयक बनाया गया था।

दो बैठकों में आए थे प्रस्ताव

परामर्शदात्री की अध्यक्ष व जागर गायिका बसंती बिष्ट का कहना है कि शुरुआत में परामर्शदात्री की दो बैठक भी संपन्न हुई। बैठक में कुछ प्रस्ताव भी रखे गए। जिसमें लोक कला के जानकार महिला व पुरुष स्थानीय प्राइमरी स्कूलों में अपना अनुभव साझा करेंगे। जिनको पारितोष भी दिया जाए। इसके अलावा उन महिला मंगल दलों को भी विकास खंड मुख्यालय पर कार्यक्रमों के लिए आमंत्रण मिले। जहां वे अपने पारंपरिक मांगल, चांचरी, झोड़ा, जागर, ऐड आंचरी (घटाली) जैसे लोक कला का प्रस्तुतिकरण करते हुए लोक कला को बढ़ावा मिलेगा। बसंती बिष्ट का कहना है कि इससे विलुप्त होती लोक कला संस्कृति न केवल जिंदा रहेगी, बल्कि रोजगार को भी बढ़ावा मिलेगा। वहीं बाहर से आने वाले लोक कलाकारों पर भी विराम लगेगा। बताया गया है कि परामर्शदात्री की बैठक में आए प्रस्ताव संस्कृति विभाग की तरफ से प्रस्ताव सीएम को भी भेजे गए। लेकिन उनका क्या हुआ, कोई जानकारी नहीं है। संस्कृति विभाग की तरफ से इन बैठकों के बाद कोई बैठक में लंबे समय से नहीं बुलाई गई।

हां, करीब डेढ़ साल पहले विलुप्त हो रही लोक संस्कृति के संरक्षण के लिए विलुप्त संस्कृति सरंक्षण परामर्शदात्री का गठन मुख्यमंत्री के निर्देश पर किया गया था। लेकिन अब वह कहां है, कोई बैठक तक नहीं बुलाई गई।

बसंती बिष्ट, अध्यक्ष, विलुप्त संस्कृति सरंक्षण परामर्शदात्री।

Posted By: Inextlive