PATNA: बिहार इलेक्शन वॉच / एसोशिएशन फोर डेमोक्रेटिक रिफॉमर्स की ओर से ए एन सिन्हा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल स्टडीज में सेमिनार का आयोजन किया गया। विषय था 'स्थानीय निकाय चुनाव में नागरिक समाज संगठनों की भूमिका'। इस दौरान बिहार इलेक्शन वाच रिपोर्ट पर आधारित पुस्तक का लोकार्पण करते हुए पटना उच्च न्यायालय के न्यायाधीश समरेन्द्र प्रताप सिंह ने कहा कि लोकतंत्र में स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनाव की सबसे बड़ी भूमिका होती है। बिहार इलेक्शन वाच द्वारा जारी रिपोर्ट के संबंध में कहा कि चुनाव के दौरान जनमत तैयार करने में इन सूचनाओं की बड़ी भूमिका है। इस दौरान वक्ताओं ने लोकसभा व विधान सभा चुनाव की भांति लोकल बॉडी इलेक्शन में पारदर्शिता, सुरक्षा, धन-बल, बाहुबल पर रोक लगाने का मांग उठी। मंच का संचालन बिहार इलेक्शन वाच के संयोजक राजीव कुमार ने किया।

जातिवाद, सांप्रदायिकता को दे रहे हैं सरंक्षण

पीयूसीएल के अध्यक्ष फादर मंथरा ने कहा कि बिहार में पंचायत चुनाव की तिथि नजदीक आने के साथ ही ग्रामीण इलाकों में हलचल तेज हो गई है। चुनाव में धनबल के इस्तेमाल की संभावना बढ़ गई है। वरिष्ठ पत्रकार अजय कुमार ने बताया कि पंचायत में भ्रष्टाचार का बिकेन्द्रीकरण हुआ है। ऑडिटिंग व मानीटरिंग पर सरकार को बल देना चाहिए। उन्होंने कहा कि दुर्भाग्यजनक तौर पर बिहार के पंचायत चुनाव में नागरिक समाज संगठनों की कोई भूमिका ही नहीं है और न ही पंचायत के चुनाव स्थानीय मुद्दे के आधार पर लड़े जाते है। वरिष्ठ पत्रकार मणिकांत ठाकुर ने भ्रष्टाचार को लेकर चिन्ता व्यक्त की। उन्होने जातिवाद, सांप्रदायिकता के सवाल को उठाते हुए कहा कि यह दबंग एवं अपराधियों को संरक्षित करने का काम करती है। वरिष्ठ पत्रकार सुरूर ने कहा कि समाज भ्रष्टाचारी बनने पर मजबूर कर देती है।

पानी के बोतल की आड़ में मतदाताओं को बांटे जा रहे हैं शराब

अलग अलग जिलों से आए सामाजिक कार्यकर्ताओं ने पिछले चुनावों में होने बाली गड़बडि़यों व आगामी पंचायत चुनाव -ख्0क्म् में गतिविधियों के संबंध में विचारों को साझा किया और उन्होंने कहा कि आगामी चुनाव में कई पंचायतों में शराब के जरिये वोटरों को खरीदने के लिए होली के अवसर पर ही बड़े पैमाने पर पानी की बोतल में शराब बांटे गई। उन्होंने कहा कि कई उम्मीदवारों ने इसकी तैयारी होली के पर्व से शुरू कर दी। इस अवसर विनय कुमार, नंदलाल सिंह, केशव कुमार, नीरज सिंह , राजीव गौतम, ,अनिल कुमार, मुन्दिकालाल, शशांक, हेमलता, मधु श्रीवास्तव, संदीप कुमार, संजीत कुमार, करण राज, दीपक मंडल, अरूण कुमार, आदि ने भी विचार व्यक्त किए।

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ये मांगे सेमिनार में उठी

-पंचायत चुनाव को इनोर न किया जाए।

-आम लोगों को शिकायत के लिए टोल फ्री नंबर की सुविधा मिले।

-हर स्तर पर हेल्प लाइन की व्यवस्था हो

-वाट्स एप, ई-मेल आदि के माध्यम से फ्री एंड फेयर चुनाव कराने के लिए जनता से सुझाव व जानकारी ली जाए।

-पंचायत चुनाव से दागी अधिकारियों को अलग रखा जाए।

-लोक सभा-विधान सभा चुनाव की भांति पंचायत चुनाव लड़ रहे प्रतिनिधियों का शपथ पत्र ऑन लाइन किया जाए।

-पंचायत चुनाव में खर्च की निगरानी हो।

-चुनाव में शराब, धन बल, बाहुबल के उपयोग का शक्ति से पालन हो।

-निर्वाचन सूची की प्रविष्टियों की पहचान हेतु ऑनलाइन सर्च की सुविधा दी जाए।

-विधान सभा /लोकसभा की तरह निर्वाचकों को मतदान से भ् दिन पूर्व मतदाता पर्ची दिया जाना

-बूथ लेवल अवेयरनेस (मतदान केन्द्र स्तरीय जागरूकता समूह ) का अनिवार्य रूप से गठन किया जाए, ताकि धनबल के दुरूपयोग को रोका जा सके।

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-बिहार में 8,ब्म्फ् पंचायत हैं।

-बिहार में कुल ख्.म्क् लाख पंचायत प्रतिनिधि चुने जाएंगे।

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Posted By: Inextlive