Allahabad: धरती पर पानी का अकूत भंडार मौजूद है. आंकड़ों की बात करें तो धरती पर सत्तर फीसदी पानी है लेकिन इसमें से पीने लायक कितना है. महज तीन फीसदी लगातार बढ़ती पॉपुलेशन की वजह से एक दिन पानी की कमी से लेागों को जूझना पड़े तो यह बड़ी बात नहीं होगी. बीबीएस कॉलेज में ऑर्गनाइज साइंस विंटर कैंप इंस्पॉयर के अंतिम दिन अर्थ साइंटिस्ट प्रो. एसके सिन्हा ने ये बात कही. उन्होंने स्टूडेंट्स के सवालों के जवाब देते हुए कई चौंकाने वाले फैक्ट्स बताए. जिनको सुनकर सभी सरप्राइज हो गए.


बूंद-बूंद पानी को तरसना होगाइंस्पॉयर प्रोग्राम के अंतिम दिन राजस्थान यूनिवर्सिटी के प्रो। सिन्हा ने कहा कि धरती पर केवल तीन फीसदी पानी ही पीने लायक है। इतना सीमित भंडार होने के बावजूद हम लोग वेस्टेज करने से जरा भी नहीं चूकते। उन्होंने कहा कि गंगा-जमुना जैसी नदियों में हम खुलेआम सीवरेज का पानी गिरा रहे हैं जो गलत साइन है। ऐसी ही सिचुएशन रही तो बढ़ती हुई पॉपुलेशन के मद्देनजर फ्यूचर में पर पर्सन वाटर अवेलेबिलिटी जीरो हो जाएगी और लोगों को एक-एक बूंद पानी के लिए तरसना होगा। इस पर स्टूडेंट्स ने भी माना कि उन्हें नहीं पता था कि धरती पर पीने का पानी इतना कम है। इसलिए बता नहीं पाते कि कब आएगा भूकंप
स्टूडेंट्स ने भूकंप के बारे में भी सवाल पूछे। उनका सवाल था कि कहंा भूकंप आने के ज्यादा चांसेज होते हैं। इस पर प्रो। सिन्हा ने बताया कि जिन स्थानों पर अर्थ प्लेट्स में ज्यादा मूवमेंट होती है वहां भूकंप के आने के आसार ज्यादा होते हैं। ऐसे प्लेसेज को आइडेंटिफाइड कर वहां अर्थ स्टेशंस का निर्माण किया जा रहा है लेकिन बावजूद इसके साइंस भूकंप के बारे में सटीक अंदाजा नहीं लगा पाती और नतीजतन इसके आने से भयंकर विनाश होता है। उन्होंने कहा कि भूकंप को रोकने की कोई विधि अभी साइंस के पास मौजूद नहीं है। हालांकि इस पर रिसर्च जारी है।कैसे बनते हैं पहाड़प्रो। सिन्हा ने बताया कि पहाड़ बनने की प्रक्रिया कई सालों में पूरी होती है। धरती के भीतर की दो प्लेट्स जब एक-दूसरे की ओर खिसकती है तो बीच के पत्थर ऊपर जाकर पहाड़ का आकार ले लेते हैं। उन्होंने कहा कि अर्थ साइंस में काफी ज्यादा स्कोप है और इंजीनियरिंग की इस ब्रांच में लगातार रिसर्च वर्क में बढ़ोतरी हो रही है। इसके बाद गवर्नमेंट ऑफ इंडिया के साइंटिस्ट्स डॉ। अखिलेश मिश्रा ने इंस्पॉयर प्रोग्राम की उपयोगिता के बारे में बताया। वहीं आईआईटी कानपुर के प्रो। राजीव गुप्ता ने स्टूडेंट्स से ओम नियम पर चर्चा की। इस दौरान एमएनएनआईटी के डायरेक्टर प्रो। पी चक्रवर्ती, डॉ। बीएस चौरसिया और जीतेंद्र कुमार गुप्ता ने भी स्टूडेंट्स को साइंस के प्रति रुझान पैदा करने की बात कही। क्लोजिंग सेरेमनी में स्टूडेंट्स को सर्टिफिकेट डिस्ट्रीब्यूट किए गए। जिनको पाकर उनके चेहरे खिल उठे।

Posted By: Inextlive