बाॅलीवुड एक्टर रणबीर कपूर की पहली फिल्म 'सावरिया' नहीं थी। सावरिया की रिलीज से पहले रणबीर ने 2004 में एक शाॅर्ट फिल्म 'कर्मा' में काम किया था। यह 26 मिनट की शाॅर्ट फिल्म थी।

मुंबई (मिडडे)। रणबीर कपूर की पहली शाॅर्ट फिल्म जिसका नाम 'कर्मा' है। इसे बांद्रा फिल्म फेस्टिवल के यूट्यूब चैनल पर दिखाया गया। 26 मिनट की इस शाॅर्ट फिल्म को 'ए पॉइंट एक्रॉस' कैटेगरी के तहत प्रदर्शित किया गया था। प्रसिद्ध फिल्म निर्माता बी आर के पोते अभय चोपड़ा द्वारा निर्देशित, 'कर्मा' की कहानी भारत में मृत्युदंड के इर्द-गिर्द घूमती है। यह एक जेलर की कहानी है, जिसे अपने ही बेटे को फांसी देने की दुविधा का सामना करना पड़ता है। फिल्म को स्टूडेंट ऑस्कर के लिए भी नामांकित किया गया था।

2004 में बनी थी फिल्म 'कर्मा'
शरत सक्सेना जेलर का केंद्रीय किरदार निभाते हैं, जबकि मिलिंद जोशी और सुषोवन बनर्जी अन्य महत्वपूर्ण भूमिकाओं में हैं। फिल्म के बारे में बात करते हुए, अभय, जो पहले सोनाक्षी सिन्हा और सिद्धार्थ मल्होत्रा ​​के इत्तेफाक से प्रभावित थे, ने कहा, "जिस वर्ष (2004) मैंने यह फिल्म बनाई थी, मृत्युदंड हर प्राइम टाइम बहस का एक हिस्सा था। भारत ने हेतल पारेख के बलात्कार और हत्या के लिए धनंजय चटर्जी की फांसी को देखा, जिसने इन बहसों को हवा दी। 'कर्मा' कल्पना है, लेकिन वास्तविकता से बहुत प्रेरित है। यदि आप ध्यान से देखें, तो मृत्युदंड की बहस खत्म नहीं हुई।'

रणबीर ने की जबरदस्त एक्टिंग
अभय कहते हैं, 'मुझे रणबीर कपूर के निर्देशन की यादें हैं। उन्होंने तब तक अपना करियर शुरू भी नहीं किया था। वह इतने सहज अभिनेता हैं। अभिनय वास्तव में उनकी रगों में दौड़ता है। शरत सक्सेना ने फिल्म में एक शानदार काम किया है और इतनी शक्तिशाली स्क्रीन उपस्थिति है। मुझे खुशी है कि मैं यह कहानी बता सकता हूं और इसे बांद्रा फिल्म फेस्टिवल में विस्तारित दर्शकों की संख्या मिल रही है।” 'कर्मा' के अलावा, इस श्रेणी में दो और शानदार फिल्में भी शामिल हैं। वाघा बॉर्डर समारोह में देशभक्ति की झलक दिखाने वाली लघु फिल्म, 'दी बैकड्रॉप' के सह-निर्माता, मारवा अहमद द्वारा निर्देशित और विभाजन से जुड़ी यादों पर एक फीचर डॉक्यूमेंट्री 'ए थिन वॉल' इस लिस्ट में शामिल है।

क्या है बांद्रा फिल्म फेस्टिवल
बांद्रा फिल्म फेस्टिवल (बीएफएफ), फिल्मकारवन द्वारा YouTube के सहयोग से प्रस्तुत एक डिजिटल फिल्म फेस्टिवल न केवल फिल्म निर्माताओं को बड़े दर्शकों तक पहुंचने में मदद करता है, बल्कि दर्शकों को उनकी पसंद की फिल्मों और फिल्म निर्माताओं का समर्थन भी करता है।

Posted By: Abhishek Kumar Tiwari