4जी के दौर में याद कीजिए बापू के 4एस
Meerut । 4जी के इस दौर में हर कोई दौड़ रहा है तेजी की तरफ। पुराना छोड़ते हुए, लेकिन हर पुरानी चीज छोड़ने के लिए नहीं है। जैसे - बापू के आदर्श। वे तेजी के इस दौर में भी पहले जैसे ही महत्वपूर्ण हैं। आज बापू का बर्थ-डे है। आप मनाएंगे? सिर्फ छुट्टी एंजॉय करके या उनकी तस्वीरों पर फूल चढ़ाकर नहीं, बल्कि उनके 4 एस अपनाकर। अच्छा लगेगा, जरा आजमाइए तो।
1. सहनशीलता गांधी जी ने अहिंसा के रास्ते पर चलने की सलाह दी, जिसका बीज सहनशीलता से निकला है। मेरठ में क्राइम के आंकड़े और छोटी-छोटी बातों पर बवाल इशारा करते हैं कि हमने सहनशीलता खो दी है। 2014 में मेरठ दंगों में प्रदेश में दूसरे नंबर पर था। सहनशीलता के बापू के गुण का कुछ अंश अपनाएं, तो हम अपने आसपास शांत समाज बना पाएंगे। मेरठ का सच130 - हत्याएं
209 - अपहरण
85 - लूट 39 - रेप 3 - डकैती (1 जनवरी 16 से 31 अगस्त 16 तक) 2. स्वच्छताबापू को स्वच्छता के आदर्श से जाना जाता है। वे खुद हाथ में झाड़ू लेकर बस्तियां साफ करने लगते थे। देश में इन दिनों स्वच्छता अभियान का जोर है, लेकिन ज्यादातर जगहों पर वह सिर्फ सरकार के भरोसे है। इस सोच को बदलना चाहिए।
मेरठ का सच - 20 लाख की जनसंख्या पर कूड़ा उठाने के लिए महज 2 डंपिंग ग्राउंड - देश के 475 सबसे गंदे शहरों में मेरठ समेत यूपी के 5 शहर हैं। - 799 लोग अभी भी मैला ढोने के काम में लगे हैं। - 4675 सफाईकर्मियों की कमी है मेरठ में (केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय की रिपोर्ट के मुताबिक) 3. शिक्षा गांधीजी हमेशा नई तालीम को जानने और उसे अपनाने के पक्ष में रहे। आज शिक्षा का व्यावसायीकरण और गिरता स्तर किसी से छिपा नहीं है। डिग्रियां ज्ञान का नहीं, नौकरी का जरिया भर रह गई हैं। जरूरत है, बच्चों को सिर्फ रटने की दुनिया से बाहर लाने की। मेरठ का सच 300 टीचर्स चाहिए राजकीय इंटर कॉलेजों में 400 टीचर्स कम हैं मैथ्स के शासकीय सहायता प्राप्त कॉलेजों में 500 टीचर्स कम हैं साइंस के शासकीय सहायता प्राप्त कॉलेजों में 30 फीसदी टीचर्स की कमी है प्राइमरी स्कूलों में 4. सत्यतासत्य बनाम गांधी कहा जाए, तो अतिश्योक्ति नहीं होगी। क्या आपको नहीं लगता कि हमने यही चीज सबसे पहले खो दी है। सोचिएगा जरूर कि क्या इसे अपनाकर हम कुछ खो देंगे?
1929 में आए थे मेरठ महात्मा गांधी आजादी के आंदोलन के दौरान देशभर का दौरा करते हुए मेरठ भी पहुंचे थे। पूर्व प्रशासनिक अधिकारी प्रभात कुमार राय बताते है उनके मेरठ आगमन का एक बार ही जिक्र मिलता है, 1929 में। वहीं, इतिहास की किताबों में दर्ज तारीखों के मुताबिक, वह 1929 में 27 अक्टूबर से 31 अक्टूबर तक मेरठ में रहे। 27 को उन्होंने जेल में बंद मेरठ षड्यंत्र केस के आरोपियों से मुलाकात की। 28 को उन्होंने मेरठ कॉलेज में एक सभा को संबोधित किया, फिर आचार्य जेबी कृपलानी के आश्रम गए और तीन दिन वहीं रहे। 1 नवंबर को वह दिल्ली पहुंच ग