-नीतीश मिश्रा ने कहा-मांझी विरोध की राजनीति नहीं करेंगे, अपनी बात जनता के सामने रखेंगे

PATNA: एक्स सीएम जीतन राम मांझी अब जनता के बीच जाएंगे और बताएंगे कि उन्होंने जो काम किए हैं वे उनके लिए ही हैं, जो समाज में किसी न किसी रूप में पिछड़े हैं। यह कहा जीतन राम मांझी के निकट सहयोगी नीतीश मिश्रा ने। नीतीश मिश्रा ने आई नेक्स्ट से बातचीत में बताया कि मांझी विरोध की राजनीति नहीं करेंगे अपनी बात जनता के सामने रखेंगे। मांझी अपनी सादगी, व्यवहार और विचारों की अभिव्यक्ति से लोगों को कनेक्ट करने लगे हैं, इसलिए इनके फॉलोअर्स की बड़ी संख्या हो गई है जो ये सोचते हैं कि हिम्मत तो किया कि सच बोले।

कई हिस्सों में होंगे प्रोग्राम्स

एक्स मिनिस्टर नीतीश मिश्रा ने बताया कि बिहार के कई हिस्सों में प्रोग्राम्स किए जाएंगे। क्ब् अप्रैल को अंबेडकर जयंती के मौके पर गांधी मैदान में बड़ा आयोजन किया जा सकता है। ख्8 फरवरी की मीटिंग में विचारों का आदान-प्रदान होगा। मोर्चा बनाया जाएगा। नीतीश मिश्रा ने कहा कि मेरे ऊपर जो लोग ये इलजाम लगा रहे हैं कि मैंने ख्0क्ब् में पार्लियामेंट इलेक्शन लड़ने की इच्छा की थी और टिकट नहीं मिलने पर नीतीश कुमार का साथ छोड़ा तो ये बिल्कुल झूठ है। मैंने तो संजय झा को मदद का आश्वासन दिया था, पर नीतीश कुमार ने देवेन्द्र यादव को टिकट दे दिया था। हमने तो कभी क्लेम भी नहीं किया।

मेरे खिलाफ बरगलाया गया

उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार के चारों ओर जो लोग हैं। उन्होंने मेरे खिलाफ उन्हें भड़काया। मेरे घर पर ब्0 विधायक जुटे थे। क्म्-क्7 मई को जब नीतीश कुमार ने रिजाइन दिया था। मैंने अजय आलोक के बयान के बाद शरद यादव को पांच पन्नों का पत्र लिखा था। ख्009 में नीतीश कुमार के लोग मेरे बारे में कह रहे थे कि मैं कांग्रेस में जा रहा हूं। अब वह लोग प्रचार कर रहे हैं कि मैं बीजेपी में जा रहा हूं। हां, नीतीश कुमार की लालू प्रसाद से नई निकटता से मैं अहमत था। जेडीयू को आरजेडी से नहीं सटना चाहिए था। ऐसे जेडीयू में किस विधायक से पूछा गया कि बीजेपी का साथ छोड़ा जाए कि नहीं? किससे पूछा गया कि आरजेडी से सटे कि नहीं। अब मेरा नीतीश कुमार के साथ जाने का सवाल ही नहीं। स्वाभिमान से समझौता नहीं। मांझी को हटाने का जैसा प्रयास हुआ वह अनैतिक था।

नीतीश इतना समय क्यों ले रहे

नीतीश मिश्रा ने कहा कि नीतीश कुमार प्रेसीडेंट हाउस से गवर्नर हाउस तक मार्च पास्ट कर सकते हैं, तो इतना समय क्यों ले रहे हैं बहुमत साबित करने में। दो दिन तो काफी था। जेडीयू के पास आधार वोट कहां हैं लालू प्रसाद के पास तो है भी। नीतीश कुमार के शपथ ग्रहण समारोह में लालू प्रसाद या उन के परिवार का नहीं आना सवाल खड़े करता है। मांझी तो ओबीसी, एससी और एसटी के अनडिस्प्यूटेड नेता हैं। दूसरी तरफ ये देखिए कि मांझी के खिलाफ बोलने वाले कौन लोग हैं। मांझी, नरेन्द्र मोदी से मिले तो गलत और नीतीश कुमार मोदी से मिलने का समय मांगें तो ठीक। ये कैसी राजनीति है।

Posted By: Inextlive