-तमाड़ विधायक रमेश सिंह मुंडा से पहले बाबूलाल मरांडी को मारने का था प्लान-सरकार को भेजी गई नक्सली कुंदन पाहन के स्वीकारोक्ति बयान से खुलासा

रांची : 27 अक्टूबर 2005 को हुए चिलखारी नरसंहार में एक्स सीएम बाबूलाल मरांडी टारगेट पर थे। उनके घर पर उस वक्त एक समारोह के दौरान नक्सलियों ने ताबड़तोड़ फायरिंग की थी, जिसमें बाबूलाल मरांडी के बेटे सहित 19 लोगों की मौत हो गई थी। इतना ही नहीं तमाड़ के विधायक रमेश सिंह मुंडा की हत्या के पूर्व कई राजनेताओं को मारने की योजना बन चुकी थी। इसमें पहले नंबर पर थे झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी, जिन्हें मारने के लिए माओवादियों के केंद्रीय कमेटी सदस्यों ने भी फरमान जारी कर दिया था। कुंदन पाहन के स्वीकारोक्ति बयान में इसका खुलासा हुआ है। यह बयान कुंदन ने आत्मसमर्पण के बाद जांच एजेंसी ने दर्ज किया है और कॉपी सरकार को भेजी गई है। कुंदन ने जांच एजेंसी को बताया है कि केंद्रीय कमेटी की बैठक में ही यह योजना बन गई थी कि पार्टी विरोधी काम करने वाले सांसद-विधायकों को मार डालना है। सेंट्रल कमेटी के निर्देश पर ही नक्सलियों के दूसरे विंग ने ही जनता की आवाज महेंद्र सिंह, सुनील महतो आदि की हत्या कर दी थी।

 

 

सरेंडर के लिए था दबाव

बाबूलाल मरांडी पर केंद्रीय कमेटी का आरोप था कि वे नक्सलियों के आत्मसमर्पण के लिए दबाव दे रहे हैं और कई नक्सलियों का सेंदरा करवा चुके हैं। इसे लेकर मरांडी पर पूर्व में भी हमला हुआ था, लेकिन वे बच गए थे। इसके बाद सेंट्रल कमेटी ने ही यह प्लान बनाया कि उनके घर पर हमला किया जाए।

 

 

क्या हुआ था चिलखारी में

कुंदन के अनुसार केंद्रीय कमेटी के निर्देश पर ही माओवादियों के दूसरे विंग ने चिलखारी में नक्सलियों ने पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी के घर पर 27 अक्टूबर 2005 को हमला कर दिया था। वहां एक समारोह चल रहा था, जिसमें अंधाधुंध गोलियां चली थी और इस घटना में बाबूलाल मरांडी के बेटे सहित 19 लोगों की हत्या हो गई थी। इस घटना में बाबूलाल मरांडी के भाई नुनू मरांडी किसी तरह बच गए थे। इस हत्याकांड में पुलिस ने जीतन मरांडी, मनोज रजवार, अनिल राम, छत्रपति मंडल को जेल भेजा था। चारों आरोपियों के विरुद्ध सिविल कोर्ट ने फांसी की सजा सुनाई थी, लेकिन सभी आरोपी साक्ष्य के अभाव में हाईकोर्ट से बरी हो गए थे।

 

 

रमेश सिंह मुंडा के बेटे के मर्डर की भी थी प्लानिंग

कुंदन पाहन ने जांच एजेंसी को यह भी जानकारी दी है कि रमेश सिंह मुंडा की हत्या के बाद राजा पीटर को लगा था कि अब उसके रास्ते का कांटा निकल गया है, उसे कोई हरा नहीं सकता है। इसी बीच आजसू के टिकट से रमेश सिंह मुंडा के बेटे विकास सिंह मुंडा ने चुनाव लड़ा और विजयी हुए। विकास सिंह मुंडा के बढ़ते कद से पीटर भीतर ही भीतर घुट रहे थे और अब धीरे-धीरे उन्हें भी रास्ते से हटाने का प्लान बन ही रहा था कि इसी बीच कुख्यात नक्सली राम मोहन सिंह मुंडा की गिरफ्तारी और कुंदन पाहन के आत्मसमर्पण से पीटर का प्लान ध्वस्त हो गया था।

Posted By: Inextlive