मंडी समितियों से छीना शराब बेचने का अधिकार

-अब बाजार में मिलेगी हर ब्रांड की शराब

-खुद बाजार में ब्रांड उतारेंगी शराब कंपनियां

-विवादों में रही है पूर्व सरकार की एफएल-2 नीति

देहरादून,

वही हुआ जो खबर सबसे पहले आईनेक्स्ट ने आप तक पहुंचाई थी। शराब पीने के शौकीन लोगों को अब राज्य में हर ब्रांड की शराब मिलेगी। शासन से हरीश रावत सरकार में बनी नई नीति में शराब बेचने का अधिकार मंडी समिति से हटाकर सीधे शराब कंपनियों को दे दिया गया है। अब तमाम शराब कंपनियां अपने ब्रांड राज्य के बाजार में उपलब्ध कराएंगी। अभी तक शराब की दुकानों में कुछ चुनिंदा ब्रांड की शराब ही मिल रही थी, जबकि कई नामी ब्रांड की शराब दुकानों पर रखी ही नहीं जा रही थी। इसके खिलाफ शराब कंपनियों ने सरकार के खिलाफ मोर्चा भी खोल दिया था और मामला हाईकोर्ट तक पहुंच गया था।

शुरू से विवादित रही एफएल-2

तत्कालीन हरीश रावत सरकार ने आबकारी नीति में बदलाव करते हुए एफएल-2 नीति लागू की थी। इसमें मंडी समितियों को शराब बेचने का अधिकार दिया गया था। यह नीति शुरू से ही विवादों में फंस गई थी। आम लोग इसके विरोध में उतर आए थे। क्योंकि मार्केट में कुछ चुनिंदा ब्रांड ही उपलब्ध हो रहे थे। नामी ब्रांड की शराब दुकानों से गायब थी। हालात यहां तक पहुंच गए थे कि नामी ब्रांड शराब कंपनियों की एसोसिएशन ने सरकार की इस नीति के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका तक दायर कर दी थी। शराब कंपनियों की तरफ से खुद वरिष्ठ कांग्रेस नेता और वकील पी चिदंबरम ने हाईकोर्ट में पैरवी की थी। तब सरकार बैकफुट पर आ गई थी और कोर्ट ने सरकार को सभी ब्रांड की शराब मुहैया कराने का आदेश दिया था। हालांकि सरकार ने तब भी इस पर अमल नहीं किया।

अब रुकेगी शराब की तस्करी

शासन ने मंगलवार को लागू की नई शराब नीति का उद्देश्य उपभोक्ताओं का हित और शराब की बढ़ती तस्करी रोकना बताया है। शासन का मानना है कि जिन ब्रांड की शराब उत्तराखंड में नहीं बिक रही थी, उनकी तस्करी दूसरे राज्यों से की जा रही थी। नई आबकारी नीति से तस्करी पर लगाम लगेगी।

यह है नई आबकारी नीति

-शराब बेचने का अधिकार मंडी समिति से हटाकर सीधे शराब निर्माता इकाइयों को सौंपा गया।

-नई व्यवस्था के तहत बाजार की मांग के अनुसार ही शराब के ब्रांड्स की बिक्री होगी

-राज्य में शराब, बीयर की दुकानें लॉटरी के माध्यम से आवंटित की जाती हैं, वहीं एक बीयर निर्माता को इसमें छूट देकर प्रत्येक जिले में एक आउटलेट आवंटित किए जाने की व्यवस्था थी जिसे खत्म कर दिया गया है

- अब प्रत्येक जनपदों में लॉटरी के माध्यम से आवंटित फुटकर दुकानें ही संचालित होंगी

-राज्य में कुल बिकने वाली बीयर का 10 प्रतिशत एक बीयर कंपनी के उत्पाद बेचने की बाध्यता को समाप्त कर दिया गया।

-उपभोक्ताओं की मांग के अनुसार ही बीयर बेचने की स्वतंत्रता दी गई है

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आबकारी नीति में किए गए परिवर्तन बागवानी, कृषि के विकास के लिए घातक है। भाजपा नेताओं के दबाव में शराब सिंडिकेट को लाभ पहुंचाने वाला निर्णय लिया गया है। हरीश रावत के नेतृत्व वाली सरकार ने आबकारी नीति को राज्य की बागवानी, कृषि उत्पाद से जोड़कर शराब में पर्वतीय क्षेत्रों में होने वाले मडुंवा, नाशपति, सेब, मालटा के पल्प की बलैडिंग को अनिवार्य बनाया था। शराब माफिया अब राज्य की राजनीति में फिर से भाजपा नेताओं से मिलकर कब्जा करने में सफल हो गया।

--सुरेंद्र कुमार, निवर्तमान सीएम के मीडिया सलाहकार

Posted By: Inextlive