32 साल पहले पंक्चर बनाते समय टायर फटने से दोनों आंखों की रोशनी गंवा चुके हैं मो। आजाद

15 मिनट में दोपहिया, 25 मिनट में ट्रक का बनाते हैं पंक्चर

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ALLAHABAD: इंसान का हौसला उसे हर नामुमकिन काम को भी बेहतरीन ढंग से करने का तरीका सिखा देता है। वह भी अगर किसी हादसे में उसका कोई अंग पूरी तरह से खराब हो जाए। तभी तो जज्बे के दम पर जहां चाह वहां राह की कहावत को चरितार्थ करने का काम किया है दारागंज के मोहम्मद आजाद ने। 32 साल पहले एक हादसे में अपनी दोनों आंखों की रोशनी गंवा चुके आजाद ने न केवल अपने भीतर जज्बा पैदा किया बल्कि ट्रक या दोपहिया वाहनों का पंक्चर बनाने में जिन मैकेनिक को आधा घंटे लग जाता है उस काम को मो। आजाद बिना आंखों की रोशनी के अपने अनुभव के आधार पर बना डालते हैं। ट्रक का पंक्चर 25 मिनट में तो दोपहिया वाहनों का पंक्चर महज 15 मिनट के अंदर।

आंखें गई, हौसला नहीं टूटने दिया

बात 32 साल पहले की है जब 57 वर्षीय मो। आजाद करेली स्थित अतीक अहमद के आवास के सामने दुकान में पंक्चर बनाने का काम करते थे। एक दिन ट्रक के पहिए का पंक्चर बनाते समय टायर में हवा भर रहे थे कि अचानक टायर ब्लास्ट कर गया। जिससे उनके दोनों की आंखों की रोशनी चली गई। खास बात यह है कि उस समय चौफटका से लेकर खुल्दाबाद तक सिर्फ उन्हीं की दुकान थी और लोग दूर-दूर से आकर अपनी गाडि़यों का पंक्चर बनवाते थे। लेकिन हादसे के बाद तीन साल तक अपनी आंखों का इलाज कराने के लिए मो। आजाद ऐसा कोई हॉस्पिटल नहीं था जहां न गए हो।

इलाज के लिए कमरा भी बेच डाला

दारागंज निवासी मो। आजाद ने बताया कि आंखों की रोशनी जाने के बाद भूखमरी की स्थिति पैदा हो गई। ऊपर से इलाज कराने के लिए भी पैसा नहीं था। इसलिए हंडिया के गुढवा स्थित पैतृक आवास का एक कमरा बेचना पड़ा। उससे मिले धन से इलाहाबाद, मद्रास, बनारस, लखनऊ व कानपुर में इलाज कराया लेकिन आंखों की रोशनी नहीं लौट सकी। दारागंज स्थित गुप्ता टी स्टॉल के सामने एक झोपड़ी में रहकर जीवन यापन करने वाले मो। आजाद अपने अनुभव के आधार पर ट्रक और दोपहिया वाहनों का पंक्चर बनाते हैं। उनका दावा है कि आप घड़ी से टाइमिंग मिलाकर देखिए कि 15 मिनट के भीतर दोपहिया वाहनों का पंक्चर बना पाता हूं कि नहीं। इतना ही नहीं वे 25 मिनट के भीतर ट्रक के पहिए का भी पंक्चर बनाने का दावा करते हैं। वह भी ट्यूब को बिना डाली में देखे बता देते है कि किस जगह पर पंक्चर है।

अलोपीबाग चुंगी से आती हैं ट्रकें

मो। आजाद के हुनर का ही कमाल है कि इलाहाबाद होकर बनारस को जाने वाली अधिकतर ट्रकें पंक्चर होती हैं तो उसके चालक विश्वास के आधार पर सीधे दारागंज पहुंचकर पंक्चर बनवाते हैं। इतना ही नहीं दारागंज, अल्लापुर व अलोपीबाग में कम से कम एक दर्जन दुकानें हैं लेकिन मो। आजाद का काम पूरे क्षेत्र में बोलता है और लोग अक्सर उन्हीं से अपनी गाडि़यों का पंक्चर बनवाने आते हैं।

Posted By: Inextlive