पेरेंट्स और टीचर्स को बनना होगा ब्रिज

टाइम टू टाइम ट्रेनिंग आदि बेहद जरूरी

Meerut। बच्चों पर अगर कॅरियर का दबाव होगा तो वह खुद के स्किल्स को कभी एक्सप्लोर नहीं कर पाएंगे। डॉक्टर बनना है या इंजीनियर, टीचर बनना है या बिजनेसमैनइसका चुनाव बच्चे का ही होना चाहिए। हालांकि आज के बदलते परिवेश में बच्चों को इसकी सही गाइडेंस मिलना जरूरी है। टीचर्स और पेरेंट्स के बीच इसके लिए ब्रिज बनना होगा। बच्चों को उनके इंट्रेस्ट के अनुसार अपनी फील्ड को चुनने का मौका देना चाहिए। वहीं टाइम एंड नीड के अनुसार करिकुलम में बदलाव, बच्चों को स्किल अनुसार जॉब ओरिएंटेड बनाना, बदलाव के प्रति अवेयर करना और टीचर्स का भी टाइम टू टाइम ट्रेनिंग आदि बेहद जरूरी है। दैनिक जागरण आईनेक्स्ट ऑफिस में ये बातें बुधवार को सिनेरियो ऑफ हॉयर एजुकेशन इन इंडिया विषय पर आयोजित पैनल डिस्कशन में सामने निकलकर आई। इस दौरान शहर के नामी स्कूल्स डायरेक्टर्स व प्रिंसिपल्स मौजूद रहे। इसके अलावा एसआरएम यूनिवर्सिटी के सोनीपत, गाजियाबाद, चेन्नई, अमरावती के प्रतिनिधि भी शामिल रहे।

पेरेंट्स की काउंसलिंग जरूरी

कॅरियर चुनने में आज भी बच्चों के ऊपर पेरेंट्स का दबाव होता है। बच्चे खुद के विकल्प बता नहीं पाते हैं। इसके लिए बहुत जरूरी है कि पेरेंट्स की काउंसलिंग सबसे पहले की जाए। स्कूल्स रिप्रेसेंटिवस के साथ एसआरएम यूनिवर्सिटी के एक्सप‌र्ट्स भी इस मुद्दे पर एक राय रहे। सभी ने कहा कि आज के समय में जितने कॅरियर ऑप्शंस उपलब्ध हैं उसके बारे में अवेयर होना बहुत जरूरी है। अगर पेरेंट्स ही अपने बच्चों के बेहतर भविष्य के लिए उनके स्किल्स नहीं समझेंगे तो बच्चा खुद भी अपने फ्यूचर को सिक्योर नहीं कर पाएगा ।

बच्चों को मिले सही गाइडेंस

पैनल डिस्कशन में सभी प्रिंसिपल्स ने एकमत में कहा कि एक तय ट्रेंड पर ही फोकस किया जाने लगा है। समय बदल गया है, लेकिन अभी भी मेडिकल या इंजीनियरिंग को ही कॅरियर के तौर पर देखा जाता है। जबकि अब ये ट्रेंड टूट रहा है। स्टूडेंट्स दूसरे विकल्प तलाश रहे हैं। ऐसे में जरूरी है कि स्टूडेंट्स को जहां उनकी आवश्यकता और स्किल्स के कोर्स उपलब्ध करवाने चाहिए। वहीं ऐसे मौके उत्पन्न भी करने चाहिए। अगर स्कूल लेवल से ही बच्चों को सही गाइडेंस मिलेगा तो बच्चे अपने स्किल्स को बेहतर समझ पाएंगे। कॉलेजों को अपने कोर्स भी इसी हिसाब से डिजाइन करने होंगे।

पेरेंट्स की काउसलिंग की जानी चाहिए। हॉयर एजुकेशन में जिस तरह से विस्तार हुआ है उसके हिसाब से पेरेंट्स को पहले अवेयर होना जरूरी है। पेरेंट्स काउंसलिंग मस्ट है।

डॉ। पंकज शर्मा, एसआरएम सोनीपत

स्टूडेंट्स को पैशन और स्किल्स को पहचानने की जरूरत है। बच्चों और पेरेंट्स के साथ एजुकेशनल इंस्ट्टीयूट्स को पूरी ईमानदारी के साथ पेश आना होगा।

डॉ। आंचल अमिताभ, एसआरएम गाजियाबाद

क्वालिटी एजुकेशन पर वर्क करना होगा। एजुकेशन में जिस तरह से बदलाव हो रहे हैं उसके लिए सबसे पहले फोकस्ड होना जरूरी है। ये वक्त रियल टाइम स्किल्स का है।

एनएस राजा, एसआरएम चेन्नई

बच्चों के लिए यूनिवर्सिटीज अब स्किल कोर्स डिजाइन कर रही हैं। ऐसे कोर्स डिजाइन किए जा रहे हैं जो प्लेसमेंट दिलवाते है। बच्चों तक इन्हें पहुंचाने के लिए स्कूल्स को ब्रिज बनना होगा।

हरीश शर्मा, एसआरएम अमरावती

आज के समय में स्किल्स बेस्ड एजुकेशन की रिक्वायरमेंट है। समय की मांग को देखते हुए एजुकेशन में इस तरह के बदलाव की सख्त जरूरत है।

प्रेम मेहता, प्रिंसिपल, सिटी वोकेशनल पब्लिक स्कूल

एजुकेशन में तेजी से बदलाव हो रहे हैं। उसके हिसाब से ही करिकुलम में भी बदलाव होने चाहिए । स्कूल, कॉलेज, पेरेंट्स सभी को खुद को चेंज करना जरूरी है तभी बच्चे का बेहतर फ्यूचर बन सकता है

अमित कुमार, डायरेक्टर, नोबल पब्लिक स्कूल

बच्चों के बिहेवियर, सिचुएशन के अनुसार आज के दौर में खुद को ढालना चाहिए । बच्चों के साथ पैरेंटस की भी काउंसिलिंग करने की जरूरत है।

संगीता रेखी, प्रिंसिपल, राधा गोविंद पब्लिक स्कूल

स्कूल-कॉलेजों को मेडिकल, इंजीनियरिंग के इतर भी कॅरियर विकल्प देने होंगे। पॉलिटिक्स से लेकर टीचिंग में क्वालिफाइड लोग आएं इसलिए ये बेहद जरूरी है।

अजित कुमार, चेयरमैन, वेद इंटरनेशनल स्कूल

बच्चों की पूरे साल काउंसलिंग करवानी होगी। हॉयर एजुकेशन से पहले बच्चे अपने स्किल्स को पहचाने इसके लिए पहले उन्हें बताना होगा कि उनका ड्रीम क्या है। उस ड्रीम को लेकर क्या करना होगा।

अनुपमा सक्सेना, प्रिंसिपल, गार्गी ग‌र्ल्स स्कूल

बच्चे हॉयर एजुकेशन में जाकर क्या ऑप्ट करें इसके लिए जरूरी है कि स्कूल लेवल पर ही उनकी पॉलिशिंग की जाए । आज के करियर कल होंगे या नहीं इस बारे में भी सोचना होगा।

संदीप रायजादा, डायरेक्टर, बीआईटी ग्लोबल स्कूल

समय के अनुसार सभी को खुद को अपडेट करना होगा। शुरु से ही उनको गाइडेंस देने की जरूरत है। बच्चों के साथ पैरेंट्स को भी ओपन माइंडेड होना चाहिए।

सतीश शर्मा, प्रिंसिपल, शांति पब्लिक स्कूल

सबसे पहले पेरेंट्स समझे कि उनके बच्चे के लिए क्या बेहतर है। बच्चे के इंट्रेस्ट के अनुसार क्या उनके लिए बेहतर होगा अगर वह समझते हैं तो स्कूल लेवल पर ही बच्चे हायर एजुकेशन के लिए प्रिपेर रहेंगे।

शालिनी, प्रिंसिपल, माउंट लिट्रा जी स्कूल

टाइम टू टाइम ट्रेनिंग बेहद जरूरी है। बच्चों को काउंसलिंग आदि के माध्यम से लगातार बताना होगा कि उनके लिए क्या सही है क्या नहीं, तभी हम बच्चों को बेहतर और स्किल्ड हॉयर एजुकेशन के लिए प्रिपेयर कर सकेंगे।

नरेश कुशवाहा, प्रिंसिपल, महावीर इंटरनेशनल स्कूल

टेक्नोलॉजी की वजह से आज का समय बहुत बदल गया है। स्कूल -कॉलेजों को भी इसी हिसाब से खुद को बदलना होगा। करिकुलम में बदलाव होने चाहिए।

अल्पना शर्मा, प्रिंसिपल, डीएवी पब्लिक स्कूल

डिजिटलाइजेशन का दौर है। एजुकेशन में भी अब डिजिटलाइजेशन की ही डिमांड हैं। हायर एजुकेशन कोर्सेज में इसे शामिल करना होगा। करिकुलम में बदलाव होना जरूरी है।

धीरज आर्या, ट्रांसलेम एकेडमी

स्कूलों को पहले अवेयर होना होगा। इसके बाद पेरेंटस को चाहिए कि वह अपने बच्चों के बेहतर भविष्य के लिए उनका टेस्ट समझे। क्वालिटी ऑफ हायर एजुकेशन में इंप्रूवमेंट होना जरूरी है।

अमित

Posted By: Inextlive