जयपुर में रहने वाले गुरमेल सिंह धोंसी एक छोटे से किसान हैं। वह खेती के साथ-साथ नई-नई मशीनों को बनाने की जुत में भी लगे रहते हैं। गुरमेल की बनाई मशीनें इतनी चर्चित हुईं कि आज पाकिस्‍तान से इन मशीनों की डिमांड आने लगी है।

कैसे आते हैं नए आइडियाज
गुरमेल के मशीन बनाने की कहानी काफी रोचक है। इस आइडिया की शुरुआत उस समय हुई, जब उनके यहां विदेया से लाए ट्रैक्टर को ठीक करने के लिए पार्ट्स नहीं मिल रहे थे। उन्होंने पाचं एचपी का देशी इंजन लगाकर ट्रैक्टर को काम में लेना शुरु कर दिया। इस आइडिया ने उन्होंने न सिर्फ खेती की बल्िक हार्वेस्टिंग के काम करना भी शुरु कर दिया। उनके उपकरण राजस्थान के साथ पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और जम्मू-कश्मीर के किसान काम में ले रहे हैं। लेकिन अब इनकी पाकिस्तान और अफगानिस्तान से भी मांग आने लगी है।

क्या-क्या काम करती हैं ये मशीनें :-

1. वुड चिपर - यह मशीन लकड़ी के छोटे-छोटे टुकड़े करने के काम आती है।
2. लोडर - 35 एचपी के ट्रैक्टर पर ही बड़ी लोडर बना दिया जो 25 फुट तक ऊंचा है। इसकी बकेट भी 8 से 10 फुट तक बनाई गई है।
3. ट्री परुनिंग मशीन - बाग या खेतों में फलों वाले पेड़ों के ऊपरी तनों को काटने के लिए ट्री परुनिंग मशीन तैयार की। यह खासतौर से जैतून के पेड़ की छंटाई में काम आता है।

4. रोड स्वीपर -
ट्रैक्टर से अटैच यह उपकरण सड़क की सफाई के लिए काम में लाया जाता है।

5. होल डिगर -
खेत में या अन्य ठोस स्थानों पर सीधे जमीन में छेद करने के लिए होल ड्रिगर मशीन ट्रैक्टर से अटैव करके तैयार की गई है।

कुल 24 मशीनें तैयार की

गुरनेल ने अभी तक कुल 24 मशीनें तैयार की हैं। कम लागत और कम खर्च वाले ये उपकरण काफी लोकप्रिय भी हुए। इसके चलते 2012 में तत्कालीन राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल ने उन्हें सम्मानित भी किया। जबकि 2014 में राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने 20 दिन तक राष्ट्रपति भवन में मेहमान बनाकर सम्मान दिया। गुरनेल अपनी सफलता का श्रेय सुरेंद्र कुमार जाखड़ (इफको के चेयरमैन) को देते हैं, जो हर उपकरण के प्रयोग अपने खेत मे करने की छूट देते हैं।

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Posted By: Abhishek Kumar Tiwari