अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान एम्स के मुख्य सतर्कता अधिकारी सीवीओ के पद से हटाए गए संजीव चतुर्वेदी के मामले में अब नया खुलासा हुआ है. बताया जा रहा है कि स्वास्थ्य मंत्रालय इस मामले में प्रधानमंत्री कार्यालय पीएमओ को गुमराह कर रहा है. गौरतलब हे कि पीएमओ ने 23 अगस्त को स्वास्थ्य मंत्रालय से मामले की विस्तृत रिपोर्ट मांगी थी.

नियमों में हेराफेरी
स्वास्थ्य सचिव लव वर्मा ने रिपोर्ट में बताया कि सीवीओ के लिए एम्स की इंस्टीट्यूट बॉडी और जनरल बॉडी की स्वीकृति जरूरी है. दोनों ने स्वीकृति नहीं दी थी, इसलिए संजीव को हटाया गया है. जबकि गत 23 मई को स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से भाजपा के महासचिव जेपी नड्डा द्वारा संजीव को हटाने के संबंध में भेजे गए पत्र के जवाब में नियुक्ति को नियमों के तहत बताया गया था. रिपोर्ट की प्रति दैनिक जागरण के पास उपलब्ध है.

तथ्यों को छुपाया गया

स्वास्थ्य सचिव ने प्रधानमंत्री कार्यालय के प्रधान सचिव नृपेंद्र मिश्र, अतिरिक्त प्रधान सचिव पीके मिश्र और कैबिनेट सचिव अजीत सेठ को पांच पन्नों की रिपोर्ट सौंपी है. सूत्रों का कहना है कि इस मामले में प्रधानमंत्री कार्यालय को पूरी जानकारी नहीं दी गई है. कई तथ्य छिपाए गए हैं. रिपोर्ट में कहीं भी जेपी नड्डा का नाम नहीं है, जबकि स्वास्थ्य मंत्रालय के रिकॉर्ड से साफ है कि नड्डा संजीव को सीवीओ पद से हटाने के लिए एक साल से पत्र लिख रहे थे.
मनपसंद सीवीओ की नियुक्ति
आपको बताते चलें कि नड्डा ने अंतिम पत्र 25 जून को लिखा था, जिसमें उन्होंने संजीव को हटाने, अपने पसंद के नए सीवीओ की नियुक्ति, संजीव को उनके कैडर में भेजने और उनके द्वारा शुरू की गई जांचों को रोकने की मांग की थी. इस पत्र के बाद ही संजीव को हटाने का प्रस्ताव लाया गया था. रिपोर्ट में कहा गया है कि संजीव को एम्स के सीवीओ के अतिरिक्त प्रभार से मुक्त किया गया है. जबकि 7 जुलाई 2012 को जारी नियुक्ति लेटर में लिखा है कि सीवीओ का कार्यभार ही उनका मुख्य काम होगा और शेष अतिरिक्त प्रभार होगा. सूत्रों का कहना है कि जिस फाइल के पेज नंबर 67 पर स्वास्थ्य सचिव ने नड्डा की बातें खारिज की हैं, उसी फाइल के पेज नंबर 71 पर उनकी मांगों का समर्थन करते हुए संजीव को हटा दिया गया.

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Posted By: Abhishek Kumar Tiwari