Jamshedpur: सिर्फ गल्र्स ही नहीं Žवॉयज भी कॉस्मेटिक्स प्रोडक्ट्स का जमकर इस्तेमाल कर रहे हैं. लेकिन क्या आपको पता है कि आपके लूक को निखारने वाले ये कॉस्मेटिक प्रोडक्ट्स आपके हेल्थ के लिए कितने खतरनाक है? सेंटर फॉर साइंस एंड इन्वॉयरमेंट द्वारा किए गए एक स्टडी में फेयरनेस क्रीम और लिपिस्टिक जैसे कॉस्मेटिक प्रोडक्ट्स में टॉक्सिक मेटल्स होने की बात सामने आई है.

Harmful हो सकते हैं ये cosmetics
गर्ल हो या Žवॉयज, फेयर लूक के लिए कुछ भी करने को तैयार हैं। मार्केट में चंद दिनों या वीक में फेयर बनाने का दावा करने वाले कई फेयरनेस प्रोडक्ट्स भी मौजूद हैं। अपनी-अपनी पसंद और बजट के हिसाब से सभी किसी ना किसी प्रोडक्ट का इस्तेमाल कर रहे हैं। अगर आप भी उन्हीं लोगों में शामिल हंै तो थोड़े अलर्ट हो जाइए, कहीं ऐसा ना हो फेयर लूक के चक्कर में आप अपनी हेल्थ गवां दें। सेंटर फॉर साइंस एंड इन्वॉयरमेंट (सीएसई) एनजीओ द्वारा हाल ही में की गई एक स्टडी में फेयरनेस क्रीम्स से जुड़ी कई चौंकाने वाली बात सामने आई है। सिर्फ फेयरनेस क्रीम ही नहीं इस स्टडी में लिपिस्टिक में भी कई हेवी मेटल होने की बात भी कही गई है।

महंगी पड़ सकती है ये fairness
सीएसई के पॉल्यूशन मॉनिटरिंग लैब द्वारा की गई स्टडी के मुताबिक  इसके द्वारा टेस्ट किए गए 44 परसेंट फेयरनेस क्रीम्स में मरकरी पाया गया। सीएसई द्वारा टेस्ट किए गए 14 फेयरनेस क्रीम्स में 10 पाट्र्स प्रति मिलियन (पीपीएम) से 1.97 पीपीएम मरकरी पाया गया। इन फेयरनेस क्रीम्स में मरकरी का ये हाई परसेंटेज कई तरह के खतरों को पैदा करता है। रिपोर्ट में कहा गया है कि मरकरी एक न्यूरोटॉक्सिन है और फेयरनेस क्रीम में मौजूद इनऑर्गेनिक मरकरी किडनी को डैमेज करने के साथ-साथ रैशेज, स्कीन डिस्कलरेशन, स्कॉरिंग जैसी डिजीज की वजह बनता है। इसके अलावा इसकी वजह से एनजाइटी, डिप्रेशन, साइकोसिस और पेरिफेरल न्यूरोपैथी जैसी बीमारियां भी होती हैं। फीजिशियन डॉ बलराम झा ने कहा कि फेयरनेस क्रीम्स में मौजूद टॉक्सिक केमिकल्स स्कीन को डैमेज करने के साथ-साथ हड्डियों और दांतों के लिए भी खतरा पैदा करता है।

खतरनाक है ये glow
आपकी लिप्स को खूबसूरत बनाने वाली लिपिस्टिक में भी कई तरह के हेवी मेटल्स मौजूद हैं, जो आपके हेल्थ के लिए बेहद खतरनाक है। सीएसई द्वारा टेस्ट किए गए लिपिस्टिक सैैंप्लस में से पचास परसेंट में क्रोमियम और 43 परसेंट में निकल पाया गया। इन लिपिस्टिक में क्रोमियम की मात्रा .45 पीपीएम से लेकर 17.83 पीपीएम पाई गई, वहीं निकल की मात्रा .57 पीपीएम से लेकर 9.18 पीपीएम थी। लिपिस्टिक में पाई गई क्रोमियम की यह मात्रा एक्सेप्टेबल डेली इंटेक से काफी ज्यादा है। स्टडी में कहा गया है कि क्रोमियम के हाइएस्ट लेवल वाले लिपिस्टिक के हेवी यूजर को सेफ्टी लिमिट से पंद्रह गुना ज्यादा खतरा है। क्रोमियम का एक रूप हेक्सावैलेंट क्रोमियम कैंसर तक की वजह बनता है।
'कॉस्मेटिक्स में पाए जाने वाले टॉक्सिक पदार्थ कई तरह की बीमारियों की वजह बनते हैं। इनके ज्यादा इस्तेमाल से स्कीन के साथ-साथ बोन्स और दांतों से जुड़ी परेशानियां भी होती हैं.'
-डॉ बलराम झा, फिजिशियन, एजीएमसीएच

Report by: jamshedpur@inext.co.in

Posted By: Inextlive