-वर्दी की आड़ में लोगों को नक्सली बताकर टॉर्चर करने के आरोप लगते रहे हैं पुलिस पर

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RANCHI : झारखंड में वर्दी की आड़ में लोगों को नक्सली कहकर जख्म देने के और भी मामले हैं। कई बार मानवाधिकार आयोग व जांच एजेंसियों की टीम ने उन क्षेत्रों का दौरा कर पूरी रिपोर्ट भी तैयार की, लेकिन इसका हिसाब देनेवाला कोई नहीं है। बरवाडीह (लातेहार) के संजय प्रसाद को पुलिस ने ख्क् मार्च ख्0क्ख् की सुबह में पूछताछ के सिलसिले में थाना बुलाया था। बरवाडीह थाना के इंस्पेक्टर के ड्राइवर गुलाम शेर खान और डीएसपी के बॉडी गार्ड उसे घर से यह कहकर ले गए कि बड़ा बाबू ने बुलाया है। शाम तक संजय जब घर नहीं पहुंचा, तो उसकी जानकारी के लिए पिता जयराम प्रसाद व भाई सतीश थाना पहुंचे। उन्हें बताया कि इस नाम के शख्स को नहीं बुलाया गया था। जब डीसी को इसकी जानकारी दी गई, तो कहा गया कि उसे ख्क् मार्च को ही छोड़ दिया गया। बाद में पता चला कि उसे तृतीय प्रस्तुति कमिटी (टीपीसी) के लोगों ने पुलिस को सौंपा था। उस घटना के बाद से संजय व उसका परिवार अब भी संशय की स्थिति में जी रहा है। उसे डर है कि फिर कहीं पुलिस उसे उठा न ले जाए और उसे टॉर्चर न करे।

मूक-बधिर लुकस की मिली थी लाश

नवरनागू गांव के पास कोयल नदी से लुकस मिंज की लाश मिली थी। वह जन्म से बहरा और गूंगा था। हमेशा की तरह वह मवेशी चराने गया था, लेकिन उसके बाद वह घर नहीं लौटा। उसी दौरान पुलिस का ऑपरेशन मा‌र्क्स चल रहा था। गांव वाले घर से नहीं निकल रहे थे। बाहर निकलना खतरे से खाली नहीं था। पांच दिनों के बाद जब लुकस के परिजन उसे खोजने के लिए निकले, तो उसकी लाश मिली। उसके शरीर पर गोलियों के निशान थे। रिम्स में पोस्टमॉर्टम के दौरान पता चला कि उसे दो गोलियां मारी गई थीं। पुलिस ने लुकस के भाई विलियम मिंज को भी टॉर्चर किया। आज भी इस परिवार को न्याय नहीं मिल पाया है। बात यहीं खत्म नहीं हुई। एक अन्य मामले में अपने भाई की शादी से लौट रहे मुनेश्वर सिंह को भी मिलिट्री फोर्स ने रोका। उस वक्त वहां एएसपी के तौर पर चंद्रमोहन थे। चंद्रमोहन ने मुनेश्वर सिंह को नक्सली बताकर टॉर्चर किया था।

ऑपरेशन मा‌र्क्स में बंधक बनी थी देवती देवी

ऑपरेशन मा‌र्क्स के दौरान सीआरपीएफ कैंप में रातभर बिना किसी महिला पुलिस की मौजूदगी के देवती देवी, उसकी क्म् वर्षीय बेटी और सात वर्षीय भतीजी और उसकी बहन को रातभर कैंप में रखा गया और उन्हें टॉर्चर किया गया। इतना ही नहीं, गांव के सिल्वेस्टर मिंज को पारा मिलिट्री फोर्स के जवानों ने इतना पीटा कि उसकी रीढ़ की हड्डी का ऊपरी हिस्सा ही टूट गया। घटना उस समय हुई, जब वह बाजार से सवारी गाड़ी पर सवार होकर लौट रहा था, उसी समय सीआरपीएफ के जवानों ने उसे गाड़ी से उतारा और रोड पर ही लंबे समय तक सिर के बल खड़ा कर दिया। उसी स्थिति में गर्दन में जोर से लात मारी, जिसका नतीजा यह हुआ कि वह कई दिनों तक अपनी गर्दन नहीं घुमा सका।

नौ व्यक्तियों की जमकर हुई थी पिटाई

म् फरवरी ख्0क्ख् को लातेहार के बहेराटांड़ गांव के ग्राम प्रधान बीफा परहिया समेत नौ व्यक्तियों को सीआरपीएफ ने उठाया और उनलोगों को कैंप ले जाकर टॉर्चर किया। प्रधान बीफा की दाहिनी आंख में गंभीर चोट लग गई। दाहिनी आंख से उसे अब दिखाई नहीं देता है। इनलोगों को शक के आधार पर पीटा गया कि वे लोग माओवादियों को खाना खिलाते हैं।

अंगुलियां ही काट दी गई थीं बिरजू की

लातेहार के मुर्गीडीह गांव के युवा बिरजू उरांव को सीआरपीएफ ने चतवाकरम नामक बाजार में उस वक्त पकड़ा, जब वह रात में परिवार के मैरिज सेरेमनी से लौट रहे थे। जवानों ने बिरजू की जमकर पिटाई की और तार काटनेवाले औजार से सभी अंगुलियों के छोर को काट दिया। अखबारों में खबर छपने के बाद बिरजू को मुआवजे के तौर पर एक बोरा चावल मिला और मनिका विधायक हरिकृष्ण सिंह ने पीडि़त के घर जाकर इलाज करवाने के लिए एक हजार रुपए देकर अपना फर्ज निभा लिया।

कई केसेज आए हैं सामने

इस तरह के मामले गढ़वा में चार, वेस्ट सिंहभूम में तीन, पलामू में दो, सारंडा में तीन केसेज सामने आए हैं। इनमें महिलाओं के साथ रेप भी किए गए और उन्हें धमकी दी गई। आज तक ये मामले दबे हुए हैं।

Posted By: Inextlive