-इंटरनेशनल कबूतरबाजी गिरोह के तीन गुर्गे जीआरपी के हत्थे चढ़े

-गिरोह का सरगना बैंकाक में

-कई देशों के वीजा लगे 10 पासपोर्ट बरामद

-मिनिस्ट्री ऑफ एक्सटर्नल अफेयर्स, एटीएस और आईबी की टीमें आरोपियों से पूछताछ करने पहुंचीं

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KANPUR संडे को जीआरपी ने इंटरनेशनल कबूतरबाजी गिरोह का भी भंडाफोड़ किया। विदेश से चल रहे इस गैंग के तीन गुर्गो को जीआरपी ने सिटी साइड रिजर्वेशन काउंटर के पास से गिरफ्तार करने का दावा किया है। उनके पास से क्0 पासपोर्ट भी बरामद हुए। जिसमें से कई में अक्टूबर तक का वीजा भी था। अधिकतर पासपोर्ट में कंबोडिया का वीजा था। पासपो‌र्ट्स असली हैं या नकली, इसकी जांच हो रही है। गिरोह के तार अंतराष्ट्रीय स्तर पर जुड़े हैं और वो फर्जी वीजा के जरिए किसी को भी कहीं पहुंचाने में सक्षम हैं, ये बात समझ में आते ही हड़कंप मच गया। अंतराष्ट्रीय फर्जी वीजा गैंग पकड़े जाने की सूचना मिलते ही आईबी से लेकर एमईए और एटीएस की टीमें जीआरपी थाने पूछताछ करने पहुंच गई। गिरफ्तार किए गए गुर्गो में एक कानपुर यूनिवर्सिटी के कॉलेज से बीएससी कर रहा है।

बैंकाक के होटल का मालिक चला रहा गिरोह

गिरफ्तार किए गए फफूंद के रिशु दुबे, देवरिया के मदनपुर के निवासी बृजेश कुमार यादव और भटनी जिला देवरिया निवासी अर्जुन चौहान तीनों कई महीनों से ये काम कर रहे थे। रिशु फफूंद के ही एक कॉलेज में बीएससी फाइनल ईयर का स्टूडेंट भी है। पूछताछ में बृजेश ने बताया कि वह और रिशु काफी समय पहले बैंकाक नौकरी करने गए थे। वहां पर उन्होंने विनीत मिश्रा नाम के शख्स के अंडर में एक होटल में काम किया। इसके बाद वह वापस लौट आए। लेकिन विनीत से बात चलती रही। इसी दौरान विनीत ने उनके जरिए पासपोर्ट और वीजा दिलाने के काम की शुरुआत की।

असली पासपोर्ट में फर्जी वीजा

जीआरपी इंस्पेक्टर त्रिपुरारी पांडेय ने बताया कि आरोपियों के पास से मिले क्0 वीजा में से म् में कंबोडिया का वीजा लगा है। कई पासपोर्ट देवरिया के आसपास रहने वालों के भी हैं। कंबोडिया की एम्बेसी से इस संबंध में जानकारी ली गई तो पता चला कि संबंधित पासपोर्ट धारकों को कोई वीजा जारी नहीं किया गया है। इसलिए यह वीजा फर्जी हैं। वहीं बरामद पासपोर्ट भी फर्जी हैं या असली इसकी जांच की जा रही है।

बैंकाक से फंफूद, देवरिया तक नेक्सस

आरोपियों के पास से कई में वर्क वीजा लगा हुआ है। कंबोडिया में ख्8 जुलाई से ख्8 अक्टूबर तक के तीन महीने के वर्क वीजा वाले ही अधिकतर पासपोर्ट हैं। इसके अलावा बृजनाथ सिंह नाम के एक शख्स जोकि पाइप फिटर हैं, उसके पासपोर्ट में यूएई का तीन महीने का वर्क वीजा है। दरअसल जो गिरोह जीआरपी के हाथ लगा है वह कानपुर और उसके आसपास के जिलों से लेकर कुशी नगर, देवरिया के युवाओं को विदेश में नौकरी दिलवाने का दावा करता है। उसी के नाम पर उनसे रकम वसूलता है और सारा काम आरोपियों के मुताबिक बैंकाक से होता था।

70 से 80 हजार में विदेश्ा में एंट्री

आरोपी बृजेश ने बताया की एक वर्क वीजा के एवज में 70 से 80 हजार लेते थे। सारा रुपया आनलाइन बैंकाक भेजा जाता था। काम होने के बाद उन्हें भ् से क्0 हजार रुपए का कट मिलता था। इंस्पेक्टर त्रिपुरारी पांडेय ने बताया कि यह लोग पहले भी कई लोगों को बाहर भेज चुके हैं। खाड़ी देशों के अलावा कई आशियान देशों में वर्क वीजा दिला कर लोगों को भेजते थे।

ऐसे काम करता है कबूतरबाज गिरोह

-फफूंद और पूर्वी उत्तर प्रदेश में सक्रिय गैंग के गुर्गे लोगों को विदेश में भेजने का झांसा देकर लोगों को फंसाते हैं

-उनका पासपोर्ट और बाहर भिजवाने के नाम पर एक निश्चित रकम लेते हैं

-उसके बाद पासपोर्ट को बैंकाक और देश में ही अपने ठिकानों पर भेजते हैं, सारा पैसा ऑनलाइन इधर से उधर होता है

- क् महीने में वीजा के साथ पासपोर्ट वापस गुर्गो के एड्रेस पर कूरियर के जरिए आता है

- गुर्गे संबंधित लोगों को उनके पासपोर्ट बांट कर बची हुई रकम आपस में बांट लेते हैं।

ट्रैवल एजेंसियों से लेकर पासपोर्ट दलालों तक से सांठगांठ

फर्जी वीजा के इस खेल में फंफूद में रहने वाला रिशू काफी समय से जुड़ा है। जीआरपी इंस्पेक्टर के मुताबिक बरामद किए गए पासपोर्ट रिशू के पास ही आए थे। अर्जुन और बृजेश उन्हें लेने के लिए सेंट्रल आए थे। इसी दौरान उन्हें गिरफ्तार किया गया। शुरुआती पूछताछ में इन लोगों ने यह काम ट्रैवल एजेंसियों के जरिए होने की बात भी कही लेकिन पलट गए। यह लोग वीजा दिलवाने के अलावा लखनऊ और कानपुर के पासपोर्ट आफिसों में दलाली में भी सक्रिय थे या नहीं इसकी जांच भी की जा रही है।

कोट-

मामला संवेदनशील है। आरेापियों के खिलाफ धोखाधड़ी समेत कई धाराओं में रिपोर्ट दर्ज कर जांच की जा रही है। कई केंद्रीय एंजेसियां भी पूछताछ करने के लिए आई हैं।

-त्रिपुरारी पांडेय, इंस्पेक्टर जीआरपी थाना

Posted By: Inextlive