RANCHI: 29 जनवरी को खूंटी में पुलिस तथा पीएलएफआई नक्सलियों के बीच हुई मुठभेड़ कहीं फर्जी तो नहीं। मुठभेड़ और घटनास्थल पर मीडिया की पाबंदी से यह सवाल उठ रहा है। जिस पहाड़ी पर मुठभेड़ हुई, वहां मीडिया के जाने पर पाबंदी थी। कहा जा रहा था कि मीडिया को वहां जाना श्रेयस्कर नहीं होगा। दूसरी ओर पुलिस उन लोगों के शवों को दूसरी जगह से बरामद करने की बात कही है। पुलिस की ओर से जारी विज्ञप्ति में कहा गया है कि मुठभेड़ सुबह चार बजे हुई है। लेकिन, पांच बजकर कुछ मिनट पर मैसेंजर संजय ओडि़या ने अपने एक दोस्त के मोबाइल पर हाय लिखकर मैसेज भेजा है। हालांकि, डीआईजी ने इस संबंध में खूंटी एसपी आलोक को पूरे मामले की जांच करने की बात कही है। जांच के बाद की रिपोर्ट पुलिस अधिकारी अपने आला अधिकारियों को सौंपेंगे।

क्या था मामला

29 जनवरी को पीएलएफआई के साथ पुलिस मुठभेड़ में पांच उग्रवादियों का एनकाउंटर किया गया था। चार उग्रवादियों की पुलिस ने पूर्व में शिनाख्त की थी। इनमें से एक पुलिस का मैसेंजर और दूसरा नाबालिग बच्चा था, जो चौथी कक्षा में पढ़ता था। लोगों के मन में आशंका है कि खूंटी मुठभेड़ कहीं बकोरिया कांड की पुनरावृत्ति तो नहीं।

चौथे मृतक की भी हुई पहचान

मुठभेड़ में मारे गए उग्रवादियों में तीन की पहचान 29 जनवरी को ही हो गई थी। इसमें जोनल कमांडर प्रभु सहाय बोदरा, पलटन और बच्चा शामिल था। शुक्रवार को एक और मृतक उग्रवादी की पहचान संजय ओडि़या उर्फ अंबानी के रूप में की गई। उसके परिजनों ने आकर उसकी पहचान की। वह डेहकेला का रहनेवाला था। पूर्व में वह अपहरण के मामले में जेल जा चुका था और 13 दिसंबर को ही जेल से बाहर आया था। वर्तमान में वह शहर के खूंटी टोली में रहता था। परिजनों ने बताया कि वह सोमवार को अपने गांव गया था। वहां घर से चावल खरीदने स्कूटी से निकला। इसके बाद अगले दिन मंगलवार को मुठभेड़ में उसके मारे जाने की सूचना मिली। संजय के दो भाई और तीन बहन हैं। उसकी उम्र अभी महज 16 साल थी। पुलिस की गोली से जिस नाबालिग मैसेंजर की मौत हुई है, वह संजय ओडि़या ही है। लेकिन पुलिस मुठभेड़ में मारे गए लोगों को बालिग बता रही है।

खूंटी एसपी का यह है बयान, एएसपी अभियान क्यों हैं चुप

इस पूरे मामले पर खूंटी एसपी आलोक का कहना है कि जो मारे गए वे सभी बालिग थे। किसी के शारीरिक ढांचे से नहीं लगता कि कोई 11 साल का था। फिर भी हम जांच करवा रहे हैं। रात भर पहाड़ी पर कार्रवाई हुई तो वहां बच्चा क्या कर रहा था। पुलिस अपने बचाव में यह भी कह रही है उसे बदनाम करने की साजिश की जा रही है। वहीं, इस प्रकरण में खूंटी के अभियान एएसपी अनुराग राज चुप्पी साधे हुए हैं। पहले तो वे मुठभेड़ की घटना को सही बताते हुए अपना पक्ष रखना चाहे। लेकिन, जब संजय ओडि़या के बारे में पूछा गया तो कहा गया कि हां, वह उसके संपर्क में था।

Posted By: Inextlive