जिला महिला अस्पताल का मामला

- परिजनों ने डॉक्टर व स्टाफ पर लगाया लापरवाही का आरोप

-डीएम, कमिश्नर , एडी हेल्थ व सीएमओ से की लिखित शिकायत

GORAKHPUR: जिला महिला अस्पताल में गर्भवती महिला की डिलेवरी के बाद नवजात को प्राइवेट अस्पताल में इलाज के लिए भेजे जाने का मामला सामने आया है। परिजनों ने डॉक्टर व स्टाफ नर्स द्वारा इलाज के नाम पर पैसा वसूलने और लापरवाही का आरोप लगाते हुए कमिश्नर, डीएम, सीएमओ और एडी हेल्थ से लिखित शिकायत कर मामले की जांच कराने की मांग की है।

बच सकती थी बच्चे की जान

महराजगंज जिले के घुघली निवासी बृजेश निषाद ने पत्‍‌नी छाया निषाद को जिला महिला अस्पताल में 17 नवंबर 2018 की शाम करीब 4 बजे एडमिट करवाया। तिवारीपुर की रहने वाली सुमन निषाद ने आरोप लगाया कि मेरी नतनी की डिलेवरी के लिए स्टाफ नर्स द्वारा पैसे की डिमांड की गई। पैसा देने के बाद 18 नवंबर 2018 की सुबह 8 बजे डिलेवरी कराई गई। इसके गवाह पड़ोसी नफीस अहमद व अन्य लोग हैं। डिलेवरी के बाद बच्चा बिल्कुल स्वस्थ था लेकिन डॉक्टर का कहना था कि बच्चा बहुत सीरियस है इसे फौरन निजी हॉस्पिटल में भर्ती करना होगा। यहां पर अच्छे डॉक्टर नहीं हैं। इसके बाद बच्चे को लेकर निजी अस्पताल पहुंचे। दो दिन तक बच्चे का इलाज चला। इलाज में करीब 40 हजार रुपये खर्च होने के बाद वहां से भी मेडिकल कॉलेज के लिए रेफर कर दिया गया। बच्चे को दूसरे अस्पताल में ले जाते समय रास्ते में मौत हो गई। आरोप है कि अगर महिला अस्पताल की डॉक्टर समय से मेडिकल कॉलेज भेजा होता तो बच्चे की जान बच सकती थी। इससे मां छाया के दिमाग पर गहरा असर पड़ा है। वह कप्तानगंज के एक अस्पताल में भर्ती हैं जहां उसका इलाज चल रहा है। उन्होंने उच्चाधिकारियों से लिखित शिकायत कर मामले की जांच व लापरवाही करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है।

वर्जन

इस संबंध में कोई जानकारी नहीं है। अगर पीडि़त परिजन लिखित शिकायत करते हैं तो मामले की जांच कराई जाएगी। जांच के दौरान जो भी दोषी पाया जाएगा उनके खिलाफ कर्रवाई की जाएगी।

डॉ। डीके सोनकर, एसआईसी महिला अस्पताल

Posted By: Inextlive