मंदिर में बाघ पालन के लिए दुनिया भर में मशहूर थाईलैंड का टाइगर टेंपल एक बार फिर से चर्चा में आ गया है। यहां पर मंदिर में भिक्षुओं पर बाघ तस्‍करी का आरोप लगा है और उनके खिलाफ कार्रवाई हो रही है। इस खुलासे के बाद से वाइल्‍ड लाइफ के अधिकारियों ने 137 बाघों को यहां से हटा लिया है। वहीं बौद्ध भिक्षु अपने ऊपर लगे इन तस्‍करी के आरोप से इंकार कर कार्रवाई का विरोध कर रहे हैं।


चौकाने वाले खुलासेथाईलैंड कंचनबुरी प्रांत के साईंयोक जिले में स्थित टाइगर टेंपल एक ऐसा इकलौता मंदिर है जहां पर बाघ रहते हैं। बड़ी संख्या में बौद्ध भिक्षुओं द्वारा इनकी देख रेख की जाती हैं। बौद्ध भिक्षुओं के साथ रहते इन बाघों को देखने के लिए दूर-दूर से लोग यहां आते हैं। यहां बाघ पर्यटक और बौद्ध भिक्षुओं के साथ आजाद घूमा करते हैं, लेकिन हाल ही में इस मंदिर को लेकर कई बड़े चौकाने वाले खुलासे हुए हैं। इस साल की शुरुआत में एक चैनल ने यहां पर बाघों की तस्करी का खुलासा किया था। जिसके बाद से इस मंदिर में गोपनीय तरीके से नजर रखी जा रही थी। चैनल ने इसके सबूत आदि भी काफी बारीकी से इकट्ठे किए थ्ो। सुरक्षा दस्तों के साथ
इसके बाद बीते सोमवार अचानक से एक हजार से ज्यादा अधिक लोगों की टीम सुरक्षा दस्तों के साथ यहां पर पहुंच गई है। यहां मौजूद बौद्ध भिक्षुओं ने इसका विरोध करने की कोशिश की लेकिन उनकी एक नहीं सुनी गई। इसके बाद यहां पर वर्तमान में मौजूद करीब 137 बाघों को से हटा लिया गया है। सूत्रों की माने तो इससे पहले भी मंदिर प्रबंधन पर बाघों की तस्करी के आरोप लग चुके हैं। वाइल्ड लाइफ ने भी इस बात का दावा किया था बैंकॉक से दो घंटे की दूरी पर स्थित इस मंदिर में पिछले दशक से ही बाघों को खरीदा-बेचा जा रहा है। इनके  दाम भी काफी ऊंचे लगते हैं। पर्यटकों को लुभाने के नाम पर यहां जानवरों का एक बड़ा ब्यापार चल रहा है और एक बड़ी कमाई की जा रही है। सभी आरोप निराधारवहीं इस मामले में फंसे बौद्ध भिक्षु इस बात से इंकार कर रहे हैं। उनका कहना है कि ये आरोप निराधार हैं। उन्हें जबरन फंसाया जा रहा है। यहां पर मंदिर में बाघों के पालन को लेकर कहा जाता है कि 1999 में शिकारियों के डर से एक बाघ का बच्चा मंदिर में आया था। उसके मां बाप को भी शिकारियों ने अपना निशाना बना लिया था। हालांकि उसकी बच्चे की काफी सेवा की गई लेकिन वह नहीं बच सका। इसके बाद से यहां पर बाघ शावकों को पालने का सिलसिला शुरू हो गया। बाघों की सुरक्षा के लिए यहां पर पयर्टकों को लाल रंग के कपड़े पहन कर आने पर बैन लगा है। इसके अलावा यहां पर तेज आवाज में बोलना या हंसना भी प्रतिबंधित है।

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Posted By: Shweta Mishra