जजमेंटल सोसाइटी के एक दूसरे पहलू को डील करती है इस हफ्ते रिलीज हुई फन्ने खान। बॉडी शेमिंग और भारत देश के टैलेंट को देखने के नज़रिए पर बेस्ड है ये फिल्‍म। यह फिल्‍म बड़े आराम से सीक्रेट सुपरस्टार जैसी दिल को छूने वाली मूवी बन सकती थी। कैसी है फन्ने खान आइये आपको बताते हैं।


कहानी:बेटी को फर्श से अर्श तक पहुंचाने के लिए क्या क्या नहीं करता एक बाप यही है फन्ने खान की कहानी।

समीक्षा:


ये फिल्म एक ऑस्कर अवार्ड नॉमिनेटेड फिल्म की ऑफिसियल रिमेक है, और हर एक स्तर पर एक खराब फिल्म है। फिल्म के किरदार बेहद सुपरफिशियल लिखे गए हैं और स्क्रीनप्ले में तो 'कुछ भी' हो रहा है, लॉजिक तो जैसे फिल्म के लेखकों की डिक्शनरी में शब्द ही नहीं है। प्लाट में दम होने के बावजूद इस फिल्म की राईटिंग इतनी लाउजी है कि बता पाना मुश्किल है कि इस फिल्म का सबसे बुरा हिस्सा कौन सा है। फिल्म के किरदार जो ग्रॉउंडेड होने चाहिए थे, वो लार्जर देन लाइफ हो जाते हैं और इसलिए इलॉजिकल भी। फिल्म के बाकी डिपार्टमेंट का भी यही हाल है, सब का सब बड़ा ग्लॉसी है। ऊपर से सब इतना चिकना चुपड़ा है कि न गरीबी ही महसूस होती है, और न ही लता का बॉडीशेमिंग का दर्द ही आपको परेशान करेगा। हो भी कैसे, लता का कैरेक्टर ही इतना अजीब लिखा हुआ है, मुझे पूरी फिल्म में यही समझ नहीं आया कि उसको अपने पिता से ऐसा क्या बैर था जो वो उससे वैसे बेहेव करती थी। फिल्म का म्यूजिक भी बेहद खराब है, एक भी गाना याद नहीं रहता।

अदाकारी:


जिस फिल्म में अनिल कपूर, ऐश्वर्या राय और राजकुमार राव जैसे नामचीन अदाकार हों, उसको बेचने में जद्दोजहद नहीं होती। पर मेरा एक सवाल है, क्या फिल्म साइन करते वक़्त भी इतने बड़े स्टार्स को भी वैसी ही जद्दोजहद का सामना करना पड़ता है? वर्ना मुझे कोई एक कारण बताए कि ऐसा क्या था इस फिल्म में कि इसको प्रोमोट करते वक़्त इतना बखान किया गया था कि बस इससे बेहतर तो आपमे से किसी सज्जन ने कुछ किया ही नहीं। या तो अनिल जी, ऐश्वर्या और राजकुमार बिल्कुल भूल ही गए हैं, कि उन्होंने कितनी बेहतर फिल्में की हुई हैं। इतने बेमन से काम तो आपने अभी तक किसी फिल्म में नहीं किया।

कुलमिलाकर न तो ऐश्वर्या की अदाएं, न ही अनिल कपूर की अदाकारी और न ही राजकुमार राव का उत्साह आपको फिल्म में इन्वॉल्व कर सकता है। इस फिल्म का बेस्ट हिस्सा है फिल्म के क्लोजिंग क्रेडिट, जैसे ही शुरू होते हैं ताली बजाने का मन करता है, एज अ मैटर ऑफ फैक्ट, मैं खुद हाल में फिल्म खत्म होने पे इस साल इतना खुश नहीं हुआ जितना बेसरपैर की इस फिल्म के खत्म होने पर हुआ, एंड आल फॉर रॉन्ग रीजन।

रेटिंग : 1 STAR

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Posted By: Chandramohan Mishra