-80 परसेंट फसल हुई तबाह

-फायदा तो दूर लागत भी डूब गई हुदहुद के कहर में

-छोटी हाइट वाली धान ही बची खेतों में

-बर्बाद फसल को हटाने में भी खर्च करना होगा किसानों को पैसा

-समय पर न हटी बर्बाद फसल तो गेहूं पर भी पड़ेगा इफेक्ट

GORAKHPUR: इस साल दिवाली पर घी का दिया जलाएंगे। घर में मिठाई के साथ पकवान बनेगा और बच्चे जी भर कर आतिशबाजी छुड़ाएंगे। बेटे को पढ़ने के लिए शहर भेजना है और बिटिया की शादी करनी है। सब हो जाएगा। यह सोच लालवचन बहुत खुश था। मगर उसे नहीं मालूम था कि एक पल में ही उसकी सारी खुशियां अंधकार में डूब जाएंगी। गोरखपुर में आए हुदहुद के इफेक्ट ने लालवचन की सारी खुशियां पल में छीन ली और सारी उम्मीदें तोड़ दी। हुदहुद के इफेक्ट से आई तेज हवा के साथ भारी बारिश ने धान की फसल को लगभग पूरी तरह बर्बाद कर दिया। लालवचन की सारी उम्मीदें भी इसी धान की फसल पर टिकी थी। मगर अब वह पूरी तरह बर्बाद हो चुका है। फायदा तो दूर उसकी लागत भी इस हुदहुद में डूब गई। यह हाल अकेले लालवचन का नहीं बल्कि उन लाखों किसानों का है, जिन्होंने कम बारिश के बावजूद धान की फसल को तैयार किया था। हुदहुद से करीब 80 परसेंट फसल पूरी तरह बर्बाद हो चुकी है।

पहले सूखा, फिर हुदहुद, तबाह हो गई फसल

हर साल लाखों घरों की सारी समस्याएं दूर करने वाली धान की फसल ने इस बार उन लोगों को बर्बादी के रास्ते पर लाकर खड़ा कर दिया। फायदा तो दूर किसानों की लागत निकलना भी मुश्किल है। जून-जुलाई में हुई कम बारिश के कारण धान की फसल पहले ही कमजोर थी। किसी तरह किसानों ने नहर, ट्यूबवेल के जरिए पैसा लगाकर सिंचाई की। खाद का भरपूर छिड़काव कर किसी तरह फसल को सूखा होने के बावजूद तैयार किया। मगर क्फ् और क्ब् अक्टूबर को आए हुदहुद के इफेक्ट ने किसानों की इस मेहनत पर पानी फेर दिया। तेज हवा के साथ भारी बारिश ने खेतों में खड़ी धान की फसल को गिरा दिया। इससे पूरी फसल बर्बाद हो गई।

बच गया सांभा

गोरखपुर तराई का एरिया है। यहां धान की फसल सबसे अधिक होती है। गोरखपुर में भी सबसे अधिक धान पिपराइच एरिया में होता है। हुदहुद के इफेक्ट से आई तेज हवा के साथ भारी बारिश ने लगभग 80 परसेंट धान की फसल बर्बाद कर दी। सरयू भ्ख्, सोड़ा मंसूरी पूरी तरह बर्बाद हो गया। सांभा काफी हद तक बचा हुआ है। क्योंकि सांभा धान की फसल की हाइट कम होती है। इससे इस फसल पर तूफान का इफेक्ट अधिक नहीं पड़ा। वहीं वे फसल बच गई हैं, जिन्हें किसानों ने बर्बाद समझ पहले ही छोड़ दिया था। कम बारिश और खाद न देने की वजह से इन फसलों की हाइट कम रह गई थी। जिससे ये फसल तूफान से बच गई।

लागत तक डूब गई

धान की फसल ने किसानों को पूरी तरह बर्बाद कर दिया है। फायदा की उम्मीद लगाए बैठे किसानों की लागत तक डूब गई है। कई किसानों ने पांच से क्0 एकड़ तक धान की फसल लगाई थी, जिसमें कुछ भी नहीं बचा। कई किसान भयंकर कर्ज में डूब गए हैं, जिन्होंने दूसरों से कर्जा लेकर फसल में लगाया था। हुदहुद का आतंक तो खत्म हो गया, मगर अब इन किसानों के घरों और दिलों में जो आतंक चल रहा है, उसका अंत नहीं है। क्योंकि वे पूरे साल कहां से खर्च करेंगे और कैसे कर्जा चुकाएंगे, इसका कोई सॉल्यूशन नहीं है, उनके पास।

बर्बाद फसल को हटाने में लगेगी लागत

किसानों ने बताया कि धान की फसल ने पूरी तरह बर्बाद कर दिया है। तेज हवा और भारी बारिश के कारण फसल टूट कर खेत में गिर गई है। साथ ही पानी भरा है। इससे पूरी फसल से कुछ भी नहीं मिलेगा। खेत में पानी होने से इस फसल को मशीन से नहीं काटा जा सकता। इसे काटने के लिए मजदूर लगाने पड़ेंगे। इसके लिए भी काफी पैसा खर्च करना पड़ेगा। फिर मजदूर मिलना भी बड़ी समस्या है। अगर समय पर फसल नहीं हटी तो गेहूं की बुआई में देरी होगी। मतलब हुदहुद किसानों के लिए सिर्फ समस्या ही समस्या दे गया है।

हुदहुद के इफेक्ट ने पूरी फसल बर्बाद कर दी। अब दिवाली पर दिया जलाना तो दूर घर का खर्चा चलाना भी मुश्किल पड़ जाएगा। पूरे साल कैसे काम होगा, कुछ समझ नहीं आ रहा है।

लालवचन, किसान

पहले सूखा, फिर हुदहुद ने पूरी धान की फसल बर्बाद कर दी। पांच एकड़ खेत में धान की फसल लगाई थी। मगर हुदहुद के बाद आए तूफान ने पूरी फसल तबाह कर दी। कुछ भी नहीं बचा है। फायदा तो दूर लागत तक डूब गई। सूखा के बावजूद खाद और पानी डाल कर फसल को तैयार किया था।

वाल्मीकि प्रताप दूबे, किसान

सूखा पड़ने से फसल को तैयार करने में पहले ही पानी तक के लिए पैसा खर्च करना पड़ा था। कम पानी से खाद में भी अधिक पैसा लगा। इसके बावजूद आए तूफान ने सब कुछ बर्बाद कर दिया। पूरी लागत डूब गई। अब फसल को खेत से हटाने में भी पैसा खर्च करना पड़ेगा।

पारस नाथ, किसान

दिवाली के दिए तो हुदहुद ने पहले ही बुझा दिया। पूरी फसल चौपट हो गई। इसी फसल के भरोसे पूरे साल घर के साथ अन्य खर्च चलता है। अब क्या होगा? कुछ समझ में नहीं आ रहा। इस बार पूरी फसल ने फायदा देना तो दूर घर का पैसा भी खत्म कर दिया।

रमाशंकर, किसान

हुदहुद से आए तूफान ने धान की फसल को पूरी तरह बर्बाद कर दिया। अब फसल से कुछ नहीं मिलेगा। बल्कि गेहूं की फसल के लिए भी अब प्रॉब्लम हो गई है। क्योंकि इस बर्बाद धान की फसल को खेत से हटाने के लिए भी पैसा खर्च करना पड़ेगा।

वशिष्ठ मुनि, किसान

पहले सूखा, फिर हुदहुद ने धान की फसल को पूरा तबाह कर दिया। अब खेत में सिर्फ फसल बची है, धान नहीं। मतलब धान ने जहां किसानों को बर्बाद कर दिया। वहीं अब चावल के रेट आम पब्लिक को परेशान करेंगे।

शंकर दूबे, किसान

मेरी पूरी फसल बर्बाद हो गई है। खेत में कुछ भी नहीं बचा है। किसी तरह फसल को खड़ा करने की कोशिश कर रही हूं, मगर कुछ भी नहीं बचेगा। जो बचेगा, वह खेत से फसल काटने वाले ले जाएंगे। मतलब सारी लागत इस हुदहुद में डूब गई।

किशोरी देवी

हुदहुद के इफेक्ट से आई हवा और बारिश ने धान की फसल को पूरा तबाह कर दिया। मेरे सभी खेत में धान की फसल लगी थी, मगर अब कुछ भी नहीं बचा है। सारी लागत डूब गई। अब दिवाली क्या बाकी त्योहार भी कैसे मनेंगे, सोच कर परेशान हूं।

विश्वनाथ, किसान

Posted By: Inextlive