-बर्बाद फसल के सदमे तथा मंडी समिति व बैंक अधिकारियों के रवैये से था हताश

Incholi : खून-पसीने से सींची फसल के पहले मौसम की मार से बर्बाद होने तथा बाद में बची फसल के आग से नष्ट होने के सदमे ने एक युवा किसान को मौत को गले लगाने पर मजबूर कर दिया. परिजनों का कहना है कि मृतक शायद फसल बर्बादी का सदमा किसी प्रकार बर्दाश्त कर भी लेता, लेकिन मंडी समिति व बैंक अधिकारियों के रवैये से हताशा में वह यह कदम उठाने पर मजबूर हो गया.

फसल बर्बाद

ग्रामीणों से मिली जानकारी के अनुसार गांव फिटकरी निवासी किसान तेजवीर सिंह जाटव (फ्ख्) पुत्र स्व. रामपाल सिंह की गांव में ब्भ् बीघा खेती की जमीन है. जिसमें ख्भ् बीघे में उसने गेंहू बो रखी थी और ख्0 बीघे में गन्ना खड़ा था. बताया जाता है कि इस बार किसानों पर पड़ी मौसम की मार से उसके खेतों में खड़ी गेंहू की फसल भी अछूती नहीं रही और पचास फीसदी से अधिक गेंहू की फसल नष्ट हो गई थी. शेष बची फसल को काट कर गेंहू निकालने को उसने खेत में ढेर लगा रखा था कि ख्भ् अप्रैल की रात में ढेर में आग लग गई और सारी फसल जलकर नष्ट हो गई.

कृषि कार्ड पर पांच लाख का कर्ज

किसान ने मवाना खुर्द स्थित सिंडीकेट बैंक से कृषि कार्ड पर पांच लाख का कर्ज भी ले रखा था. परिजनों के अनुसार फसल नष्ट हो जाने के चलते वह सदमे में था और कई दिनों से बैंक व मवाना स्थित मंडी समिति के अधिकारियों के यहां फसल बीमा लेने को चक्कर काट रहा था. आरोप है कि कई दिनों से चक्कर लगाने व अधिकारियों के रवैये से हताश हो बुधवार को तड़के उसने अपने खेत में खड़े आम के पेड़ पर फंदा लगा आत्महत्या कर ली.

ग्रामीणों ने दी सूचना

सुबह शौच के लिए जंगल गए ग्रामीणों ने तेजवीर को फंदे पर लटके देखा तो उसके घर सूचना दी. थोड़ी देर में ही वहां ग्रामीणों की भीड़ जमा हो गई और परिजन भी रोते बिलखते वहां पहुंच गए. सूचना पाकर इंचौली थाना पुलिस, एसडीएम मवाना अरविंद कुमार सिंह, तहसीलदार महेन्द्र बहादुर सिंह भी तहसील कर्मियों के साथ वहां पहुंच गए. ग्रामीणों ने एसडीएम के समक्ष आक्रोश जताते हुए बैंक व मंडी समिति अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने व मृतक के परिजनों को मुआवजा दिये जाने की मांग की.

आश्वासन पर ग्रामीण शांत हुए

लगभग एक घंटे तक चले हंगामे के बाद एसडीएम ने मंडी समिति के संबंधित अधिकारियों के खिलाफ जांच कर कार्रवाई करने, बैंक अधिकारियों की मीटिंग बुलाने तथा राष्ट्रीय पारिवारिक योजना के तहत फ्0 हजार, मंडी समिति खलिहान बीमा योजना के तहत बीमा राशि और मुख्यमंत्री राहत कोष से अधिक से अधिक राहत राशि दिलाने के आश्वासन पर ही ग्रामीण शांत हुए. इसके पश्चात ही पुलिस ने शव सील कर पोस्टमार्टम को भेजा. देर शाम पोस्टमार्टम के बाद परिजनों ने गांव में ही मृतक का अंतिम संस्कार कर दिया. मृतक तीन छोटे-छोटेबच्चों का पिता था. उसकी असमय मौत से परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल था.

बच्चों को नहीं पता उठ चुका है पिता का साया

मृतक किसान की लगभग सात वर्ष पूर्व यशोदा से शादी हुई थी जिससे उसके तीन बच्चे है. सबसे बड़े पुत्र अर्पित की उम्र पांच वर्ष, उससे छोटे लक्षित की उम्र तीन वर्ष तथा सबसे छोटी पुत्री अनुष्का की उम्र महज डेढ़ वर्ष है. घर में मां, दादी व अन्य परिजनों को रोते-बिलखते देख तीन बच्चे भी रोने लग जाते है. तीनों मासूमों को नही पता कि उनके सिर से पिता का साया उठ चुका है. न उन्हें यह मालूम था कि सभी रो क्यों रहे हैं और पापा क्यों जमीन पर लेटे हैं. ग्रामीणों के अनुसार मृतक किसान के बड़े भाई मुकेश दिल्ली में सर्विस करते है जबकि गांव में खेती का काम मृतक किसान देखता था.

Posted By: Lekhchand Singh