- फसल बरबादी से टूट गया किसी का रिश्ता कोई डूब गया कर्ज में

- कैसे चुकाएंगे कर्ज, घर में खाने का भी नहीं इंतजाम

- गोसाईगंज के कासिमपुर बिरवा गांव का आईनेक्स्ट ने किया दौरा और जाना किसानों का हाल

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LUCKNOW: भइया आत्महत्या ना करी तो का करी कौन सहारा हौ हमार। पहिले खेती से पूरा परिवार चलत रहा। अब घरे में खाई खातिर कुछ नाहि हौ यह दर्द है उन किसानों का जिनकी फसल बे मौसम बारिश में बरबाद हो गयी। लगभग तीन हजार की आबादी वाले इस गांव में लोगों का खर्चा खेती किसानी से ही चलता है। लेकिन बे मौसम हुई बारिश ने किसी का रिश्ता तोड़ा और किसी को कर्ज में डुबो दिया। कोई जान देने को आतुर है और किसी के पास कहने के लिए कोई शब्द नहीं बचे हैं। दो दिन लगातार हुई बारिश ने किसानों की रही सही उम्मीद भी खत्म कर दी। काश एक हफ्ते का मौका और मिल गया होता तो शायद नुकसान इतना बड़ा नहीं होता। खेतों में खड़ी फसल बेमौसम की बारिश से सड़ गयी। बाली से बाहर आने से पहले ही गेंहू काला हो गया। इन्हीं सब का जायजा लेने निकली आईनेक्स्ट की टीम ने लखनऊ से बीस किलोमीटर दूर कासिमपुर बिरवा गांव पहुंच कर यहां के किसानों का हाल जाना।

यहां कोई नहीं पहुंचा सरकार का प्रतिनिधि

कासिम पुर बिरवा गांव के किसान मायूसी से अपनी फसल निहार रहे हैं। आफिसेस में बैठ कर सरकारी नुमाइंदे चाहे जो दावे कर रहे हों लेकिन यह हैं हकीकत से कोसों दूर। शहर से सिर्फ ख्0 किलोमीटर की दूरी पर सुल्तानपुर रोड पर स्थित इस गांव में कोई भी सरकार की ओर से प्रतिनिधि किसानों का हाल जानने नहीं आया। दावा किया जाता रहा कि फ्फ् परसेंट के नुकसान पर भी मुआवजा दिया जाएगा लेकिन यहां पूरी फसल बरबाद होने के बाद भी प्रशासन के किसी भी प्रतिनिधि का दूर दूर तक कोई नामो निशान नहीं है। आईनेक्स्ट की टीम गांव में पहुंची तो किसानों का लगा की सरकार की ओर से उनका हाल जानने के लिए कोई अधिकारी आया है।

एक महीने पहले लेखपाल ने किया था सर्वे

किसान राधे श्याम की मानें तो यहां एक महीने पहले जब बारिश हुई थी तो नुकसान का आंकलन करने के लिए लेखपाल आये थे और सारी जानकारी नोट करके ले गये थे। लेकिन किसी भी तरह की सहायता की जानकारी अभी तक हम सब में किसी को नहीं दी गयी है। अखबारों से पता चल रहा है कि इतने करोड़ रुपये बांट दिये गये लेकिन यहां तो चवन्नी भी देने कोई नहीं आया। एक ओर भगवान ने पूरी फसल बरबाद कर दी दूसरी ओर सरकार भी कोई सहायता उपलब्ध नहीं करा रही है।

इनके लिए आपदा नहीं आफत बनकर आयी यह बारिश

किसान राम प्रसाद के पास डेढ़ बिगहा खेत है। फसल की बरबादी देख उनकी आंखों में आंसू आ गये। राम प्रसाद कहते हैं कि सब बरबाद हो गया। चिंता इस बात की है कि घर कैसे चलेगा। घर में एक बेटा अमित है जिसकी शादी हो चुकी है और उसके भी दो बच्चे हैं। उसका खर्चा भी खेती से ही चलता है। अब सबसे बड़ी चिंता यह है कि खर्चा कैसे चलेगा। बस एक ही रास्ता है कि मजदूरी करके पेट पालने का।

फसल की बरबादी से टूट गया बेटी का रिश्ता

इस बारिश ने रामप्रसाद की फसल ही नहीं बर्बाद की बल्कि उनका दिल भी तोड़ दिया। एक बाप के लिए बेटी का रिश्ता टूटना किसी सदमे से कम नहीं होता। राम प्रसाद की बेटी कुसुम की शादी तय मई महीने में होनी थी। राम प्रसाद को दोहरा सदमा हुआ है। राम प्रसाद कहते हैं कि फसल तैयार थी बस तीन दिन बारिश और ना होती तो इतने बड़े पैमाने पर नुकसान ना होता। बेटी की शादी धूम धाम से करते। यह कहते कहते राम प्रसाद की आंखों में आंसू आ गये और वह रोने लगे। खुद पर काबू पाते हुए और आंसू पोछते हुए कहते हैं कि यह हमारी छह महीने की कमाई थी लेकिन जो इस बारिश में तबाह हो गयी। एक बीघे में लगभग क्ख् कुंतल तक की गेंहूं की पैदावार हो जाती है। राम प्रसाद के पास लगभग ख्0 बिसवे का एक खेत और 8 विसवे का खेत है। दोनों ही खेत की फसल पूरी तरह सड़ चुकी है। सोचा था कि यहां से होने वाली आमदनी से बेटी की शादी करूंगा लेकिन अब सारे सपने चूर हो गये। कुछ यही हाल पांच बीघे खेत के मालिक सालिग राम का है। सालिग राम कहते हैं कि सालिग राम की तीन बेटियां हैं। इनमें से एक बेटी की शादी उन्होंने तय की थी। लेकिन डेट फाइनल नहीं हुई थी। बारिश हुई, फसल बर्बाद हुई और लड़के वालों ने रिश्ता भी तोड़ लिया।

पहले बारिश नहीं हुई तो नुकसान अब बारिश होने से नुकसान

सालिग राम कासिम पुर में साढ़े पांच बिघहा एरिया में खेती करते हैं। गेंहू की फसल तैयार थी और काट कर रख भी दी गयी थी। बस सूखने के बाद मड़ाई होनी थी। लेकिन बारिश से खेत में ही पूरी फसल बरबाद हो गयी। सालिग राम का कहना है कि पहले बारिश ना होने की वजह से धान की फसल में कीड़े लग गये और फसल बरबाद हो गयी और अब बारिश अधिक होने से और बे मौसम की बारिश ने फसलों को तबाह कर दिया। सालिग राम के परिवार में बेटे बहू समेत कुल दस लोग हैं। अब खर्चा कैसे चलेगा इसका जवाब उनके पास नहीं है। वहीं कुछ किसानों का कहना है कि अब मजदूरी करके ही पेट पाला जा सकता है। दूसरा कोई चारा नहीं है।

इस नुकसान का मार्केट पर असर

इस नुकसान का मार्केट पर भी असर पड़ेगा। गेंहू की क्राइसेस होगी और महंगाई बढ़ेगी। किराना के थोक व्यापारी संजय जैसवानी का कहना है कि इसका असर तो अभी नहीं पड़ेगा क्यों कि लोगो के पास स्टॉक है। लेकिन दीवाली के आसपास इस पर बड़ा असर दिखेगा। गेंहू ऐसी चीज है जिसका इस्तेमाल डेली होता है और उसे इग्नोर नहीं किया जा सकता। सरकार को चाहिए कि पुराना स्टॉक ओपेन करना होगा और उसके लिए अभी से प्रिपरेशन भी शुरू कर देना चाहिए। नहीं तो आने वाले दिनों में सिर्फ इस बे मौसम की बारिश की वजह से महंगाई बढ़ना भी निश्चित है। गवर्नमेंट को या तो पुराने स्टॉक ओपेन करने होंगे या फिर गेंहू का निर्यात दूसरे प्रदेशों से करने पर विचार करना होगा। अभी तक प्रदेश दूसरे प्रदेशों को गेंहू का एक्सपोर्ट करता रहा है लेकिन अब स्थिति ऐसी आ गयी है जब खुद प्रदेश को गेंहू के निर्यात की जरूरत पड़ेगी।

छोड़नी पड़ गयी पढ़ाई

इस बारिश ने सिर्फ गेंहू की फसल बर्बाद नहीं की। बल्कि कई के अरमानों पर भी पानी फेर दिया। जोखू ने बारिश से हुए नुकसान और स्कूल का खर्चा ना उठा पाने के कारण अपने बेटे की पढ़ाई छुड़वा दी। वहीं सालिग राम कहते हैं कि उनके परिवार में दस लोग रहते हैं। खेती के अलावा और कोई बिजनेस या नौकरी नहीं है। सभी का खर्चा इसी से चलता है।

कैसे होगी किसानों की भरपाई

पिछले दो दिन हुई बारिश से हुए नुकसान का आंकलन तो डिटेल सर्वे के बाद ही आयेगा लेकिन अभी तक हुए ओला वृष्टि और अतिवृष्टि से तकरीबन क्क्00 करोड़ रुपये का नुकसान हो चुका है। हालांकि एक अधिकारी का कहना है कि यह आंकड़ा क्भ्00 करोड़ के पार पहुंच चुका है। प्रदेश सरकार ने इसके लिए ब्0क् करोड़ रुपये जारी किये थे। नुकसान बहुत बड़ा है। प्रदेश सरकार केंद्र सरकार से मदद की गुहार लगा रही है। केंद्र सरकार नुकसान का आंकलन करा रही है। लेकिन किसानों को वन थर्ड भी मदद अभी तक नहीं पहुंच पायी है।

कहां से अदा होगा इन किसानों का कर्ज

कासिम पुर बिरवा का हर किसान कर्ज के बोझ के तले भी दबा हुआ है। किसी पर एक लाख का बकाया है और किसी पर फ्ख् हजार का बकाया। सरकार की ओर से कहा जा रहा है कि किसानों के बकाये पर कोई फिलहाल कोई रिकवरी नहीं होगी और किसानों को परेशान नहीं किया जाएगा। लेकिन फ्ख् हजार रुपये के बकायेदार राम प्रसाद के घर पिछले तीन महीने में ही दो नोटिस पहुंच चुकी है। वहीं एक अन्य किसान सच्चिदानंद उर्फ पप्पू कहते हैं कि उनपर ढाई लाख रुपये का कर्ज है जो उन्होंने बीज और दूसरे कामों के लिए किसान क्रेडिट कार्ड से लिया था। नुकसान के बावजूद कर्ज वापस करने का दबाव बढ़ा तो जमीन गिरवी रख कर उन्होंने कर्ज अदा किया। वहीं ननकऊ और गिरधारी भी कर्ज में डूबे हुए हैं और फसल की बरबादी से मायूस हैं। उनके समझ में नहीं आ रहा कि अब आगे क्या होगा। फसल बिल्कुल तैयार थी। दो तीन दिन की कसर थी लेकिन कुदरत के इस कहर ने सब बर्बाद कर दिया। अभी सबसे बड़ा टेंशन यही है कि यह कर्ज कहां से अदा होगा।

सरकार का दावा हर किसी को पहुंचाई जा रही मदद

सरकार का दावा है कि हर किसानों को मदद पहुंचायी जा रही है। अब तक सात लाख 7फ् हजार किसानों को फ्08 करोड़ रुपये बांटे जा चुके हैं। पिछले दो दिन हुई बारिश से पहले क्क् सौ करोड़ रुपये की कीमत की फसल के नुकसान का आंकलन किया गया था। लेकिन अब यह आंकड़ा बढ़ कर क्भ्00 करोड़ से ऊपर पहुंच चुका है। सीएम अखिलेश यादव ने भी सीधे पीएम को लेटर लिख कर क्000 करोड़ रुपये किसानों के नुकसान की भरपाई के लिए रिलीज करने का अनुरोध किया था। किसानों के जानी नुकसान पर पांच लाख रुपये की मदद भी सरकार की ओर से की जा रही है।

लखनऊ में 8ब् करोड़ की डिमांड

डीएम राजशेखर का कहना है कि लखनऊ के किसानों के हुए नुकसान की भरपाई के लिए प्रदेश सरकार से 8ब् करोड़ रुपये की मदद मांगी गयी है। अभी तक पैसे नहीं मिले हैं। जैसे ही पैसे आयेंगे वैसे ही कैंप लगाकर किसानों को बांटना भी शुरू कर दिया जाएगा। राजशेखर ने बताया कि हर लेखपाल के अंडर में छह हजार से सात हजार किसान हैं। फसल बर्बादी का सर्वे हर किसान से बात करके किया जाना संभव नहीं है। उन्होंने बताया कि ऐसा कोई गांव नहीं है जहां का सर्वे ना हुआ हो। यह जरूर संभव है कि वहां के हर किसान से बात ना हो पायी हो। किसानों के नुकसान पर सरकार की ओर से जो भी मदद मिलेगी वह पूरी पूरी दी जाएगी।

आंकड़ों में नुकसान

प्रभावित जिले- ब्क्

नुकसान का आंकलन- क्भ्00 करोड़ रुपये

प्रभावित किसानों की संख्या- क्0 लाख से अधिक

अब तक इतने किसानों को दी गयी मदद - 7 लाख 7फ् हजार

किसानों को बांटी गयी रकम - फ्08 करोड़ रुपये

केंद्र सरकार से गुहार- क्000 करोड़ की

पूरी फसल चौपट हो गयी है। अगर चार पांच दिन बारिश ना हुई होती तो इतना बड़ा नुकसान नहीं हुआ होता। कई बीघा की फसल पूरे गांव में लोगों की बर्बाद हुई है। कहीं कोई उम्मीद नहीं बची है। पिछली बारिश में हुए नुकसान के बाद जिन लोगों ने गेंहू की मड़ाई करायी थी उनको भी केवल ख्भ् परसेंट ही अनाज मिल सका। बाकी 7भ् परसेंट फसल बर्बाद हो गयी थी।

गिरधारी, किसान

पहले बारिश हुई तो नुकसान कम हुआ था। कुछ दिन बाद बारिश हुई तो नुकसान और बढ़ा। इस बारिश ने पूरी फसल ही तबाह कर दी। छह महीने की मेहनत पर पूरी तरह से पानी फिर गया। फसल को खेत से उठाकर भी अब क्या किया जा सकता है। यही कमाई थी जो अब बर्बाद हो गयी।

सच्चिदानंद, किसान

बारिश से सिर्फ फसल का नुकसान नहीं हुआ बल्कि बच्चों की पढ़ाई और घर की दूसरी जरूरतें भी प्रभवित हुई हैं। जिनकी भरपाई कर पाना मुश्किल है।

जितेंद्र, किसान

हमारे बहन की शादी थी। लेकिन बारिश ने पूरी फसल बर्बाद कर दी है। अब चिंता है कि बहन की शादी कैसे होगी। सिर्फ एक माह का समय ही बचा है।

रामधनी, किसान

Posted By: Inextlive