- एफसीआई ज्यादा उत्पादन के बावजूद नहीं खरीद रहा गेहूं

- हरियाणा-पंजाब से खरीदा गया 50 फीसदी से ज्यादा गेहूं

LUCKNOW: इसे सौतेला व्यवहार ना कहें तो और क्या कहें। ज्यादा उत्पादन के बावजूद भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) उत्तर प्रदेश के किसानों का अनाज नहीं खरीद रहा है। ये हम नहीं कह रहे आंकड़े इस तथ्य को पूरी तरह उजागर कर रहे हैं और, साथ ही वो आरोप भी जो यूपी फूड एंड सिविल सप्लाइज के अधिकारियों ने एफसीआई पर लगाए हैं। उनका कहना है कि गुणवत्ता और एकनॉलेजमेंट के नाम पर एफसीआई में खेल चल रहा है और इसकी मार पड़ रही है यूपी पर। जिसका नतीजा है कि 300 लाख मीट्रिक टन से ज्यादा उत्पादन के बावजूद अभी तक महज 5 लाख मीट्रिक टन गेहूं ही यूपी से खरीदा गया। पंजाब और हरियाणा में ये आंकड़ा उत्पादन के 50 फीसदी खरीद तक जा पहुंचा है। इसके अलावा चावल की खरीद भी एफसीआई को करनी है, जिसकी अंतिम तारीख 30 जून है।

योजना पर ग्रहण, सिफारिशें नजरंदाज

यूपी के किसानों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य योजना सरकार ने शुरू की थी। प्रदेश के 225 लाख किसानों के परिवारों के लिए ये योजना लाइफ लाइन साबित हो सकती है, लेकिन एफसीआई योजना पर ग्रहण लगा रहा है। यूपी व अन्य राज्यों से खरीद-फरोख्त के आंकड़े इसे साबित करते हैं। उधर, एफसीआई में सुधार के लिए बनाई गई समिति के अध्यक्ष शांता कुमार ने भी अपनी सिफारिशों में इस बात का पुरजोर समर्थन किया था कि एफसीआई को पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों से खरीद को फोकस करना चाहिए। पंजाब, हरियाणा और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों से गेंहू और धान की खरीद से बचन चाहिए। कमेटी के अनुसार एफसीआई खरीद, भण्डारण और वितरण तीनों ही क्षेत्र में बुरी तरह विफल रही है।

खरीद के एक हजार करोड़ फंसे

धान खरीद पर 2015-16 में एफसीआई ने यूपी की जनता की करीब एक हजार करोड़ रुपये दबा रखे हैं। दूसरी ओर बरेली के 280 करोड़, मिर्जापुर के 141.30 करोड़, कानपुर के 50 करोड़ समेत अन्य जिले की धनराशि भुगतान लिमिट के नाम पर दबा रखी है।

'गलती किसी की, सजा किसी को'

मिर्जापुर संभाग से 2015-16 में 2 लाख 50 हजार क्विंटल चावल खरीदा गया था। लेकिन, एफसीआई की लापरवाही के चलते उसे रखने के लिए जगह तक नहीं है और चावल मिलों पर जमा है। इसकी अंतिम तिथि 30 जून है। अगर एफसीआई 30 जून तक चावल नहीं लेता है तो इसकी जिम्मेदारी प्रदेश सरकार के खाद्य विभाग के कर्मचारियों पर मढ़ दी जाएगी। यूपी फूड एंड सिविल सप्लाइज के इंस्पेक्टर्स और ऑफिसर्स एसोसिएशन ने आवाज उठाई है कि एफसीआई की गलती की सजा उनके विभाग को मिल रही है। 2012-13 में एफसीआई की लापरवाही के चलते करीब 5 सौ करोड़ रुपये का चावल फंस गया था और ठीकरा यूपी फूड एंड सिविल सप्लाइज के सिर फोड़ा गया। जिम्मेदारी तय करने के लिए मामला कोर्ट में है।

रैक सिस्टम में करोड़ों का भ्रष्टाचार

सूत्र बताते हैं कि खरीद-फरोख्त और रैक सिस्टम की जड़ में करोड़ों का भ्रष्टाचार है। ज्यादा उत्पादन वाले यूपी-बिहार नजरंदाज कर दिए जाते हैं, जबकि हरियाणा-पंजाब से जबरदस्त खरीदारी होती है। यूपी में पंजाब और हरियाणा से जरूरत से ज्यादा अनाज मंगवाया जाता है, वहीं यूपी में उत्पादन ज्यादा होने पर बाहर अनाज भेजने पर शायद ही विचार किया जाता हो। सूत्र कहते हैं मिर्जापुर के लिए एक हजार किलोमीटर दूर पंजाब और हरियाणा से अनाज मंगाने में देर नहीं लगती। पर, महज दो सौ किलोमीटर दूर बिहार से चावल मंगाना जरूरी नहीं समझा जाता, जहां चावल का उत्पादन अपेक्षाकृत ज्यादा होता है।

गेहूं खरीद के आंकड़े

राज्य उत्पादन खरीद

उत्तर प्रदेश 303.01 लाख मी.ट। 5 लाख मी.ट।

पंजाब 165.91 लाख मी.ट 83.2 लाख मी.ट।

हरियाणा 111.17 लाख मी.ट। 59.27 लाख मी.ट।

चौंकाने वाला तथ्य

15 करोड़ आबादी झेल रही भुगतान का संकट

2.50 लाख क्विंटल चावल रखने की जगह नहीं

500 करोड़ का चावल लापरवाही की भेंट चढ़ा

Posted By: Inextlive