मोदी सरकार के बजट में वित्त मंत्री की घोषणाओं को किसानों नेताओं ने बताया लुभाने वाला

बजट में 2022 तक दोगुनी आय की घोषणा पर बोले किसान, कौन सी जादू की छड़ी से उतरेगा कर्ज और बढ़ेगी आय

Meerut। मोदी सरकार के बजट से किसानों को बहुत आस थी लेकिन बजट की बानगी किसानों की उम्मीदों पर खरी नहीं उतरी। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा 2022 तक किसानों की आय को दोगुनी करने की बात को किसानों के गले ही नहीं उतरी। किसानों की बात हो या किसान नेताओं की सभी ने एक सुर में कहा कि सब बस घोषणाएं और वादे हैं अगर बजट में गन्ने के रेट बढ़ते तो बात बनती।

दोगुनी कैसे होगी आय

मोदी सरकार के बजट में किसानों के लिए 2022 तक उनकी आय दोगुनी करने की सरकार की मंशा पर सवाल पूछो तो किसान नेता जिले सिंह एकदम बरसे पडे़। उनका कहना था कि किसानों के मुताबिक वह पहले ही कर्ज में हैं। गन्ने के रेट पिछले तीन साल से नहीं बढ़े हैं तो आय दोगुनी कौन से जादू की छड़ी से होगी। उन्होंने बताया कि किसानों को बजट से कर्ज माफी के साथ बिना ब्याज के कर्ज की उम्मीद थी, जो पूरी नहीं हो सकी। बजट में वित्त मंत्री द्वारा जो घोषणाएं की गई वह लोक लुभावनी हैं।

सोलर एनर्जी से जुड़ेंगे

बजट में 20 लाख किसानों को सोलर पंप देने की घोषणा पर किसान तुषार ने सरकार की तारीफ करते हुए कहा कि सोलर पंप की क्वांटिटी किसानों की आबादी के मुकाबले न के बराबर है। जिटौली के किसान नेता रविंद्र ने बताया कि सोलर पंप से पहले हमें देना है तो हमारे प्रोडक्ट्स को सीधे मार्केट में बेचने का तरीका दो और बिचौलिया सिस्टम खत्म करो। वहीं किसान गौरव सांगवान का कहना था कि हमारी प्याज 10 से 15 रूपये किलो ही बिकेगी लेकिन दलाल इसे 120 रूपये किलो तक बेचते हैं। दलाली प्रथा को जड़ से समाप्त करने की नीति बजट के माध्यम से पेश की जानी चाहिए थी।

यूरिया की सब्सिड़ी खाते में जाएगी

बजट में यूरिया से सब्सिड़ी खत्म कर खाते में भेजने की घोषणा पर प्रभात सांगवान का कहना था कि अभी सरकार की 2 हजार रूपये खाते में आने वाली घोषणा पूरी नहीं हुई तो यूरिया की सब्सिडी खाते में कैसे आएगी।

किसान नेताओं का कहना

बजट में जो घोषणाएं की गई वो लुभाने वाली तो हैं लेकिन धरातल पर किसे क्या मिलेगा ये नहीं पता। मेरठ में पीएम मोदी ने किसानों के गन्ने का बकाया भुगतान की बात कही थी लेकिन आज तक बकाया क्लियर नहीं हो पाया है।

संजय दौरालिया, जिला संगठन मंत्री, मेरठ भारतीय किसान यूनियन

घोषणाओं में किसानों को हमेशा छला जाता है। चाहे बजट की घोषणा हो या नेताओं की। हम सीधे बाजार में अपना सामान नहीं बेच सकते और बजट में कर्ज से दबे किसान को दोगुनी आय का लड्डू थमाया जा रहा है।

कुलदीप त्यागी, अध्यक्ष, भारतीय किसान आंदोलन

किसानों के लिहाज से इस बजट को आकर्षक कहा सकता है लेकिन आकर्षण से पेट नहीं भरता, घर नहीं चलता। बजट में कुछ कंक्रीट नहीं मिला। किसानों की आय दोगुनी करनी है तो उनके गन्ने का रेट बढ़ाना होगा।

विनय चौधरी, किसान नेता

बजट में हमेशा लुभाने वाली घोषणाएं की जाती है। मगर धरातल पर कभी फायदा किसान तक नहीं पहुंचता। अपनी फसल का रेट तय करने का जो किसान का हक है वो किसान को आज तक नहीं मिला।

तुषार, किसान

पिछली सरकारों ने भी ऐसी ही घोषणाएं की थी लेकिन किसानों की स्थिति नहीं बदली बल्कि और बदतर हो गई है। किसान आज आत्महत्या कर रहे हैं। बजट से उम्मीद तो बंधती है लेकिन ये कोई पहली बार नहीं है।

नृपराज, किसान

बजट से पहले किसान से नहीं पूछता कि किसानों की बेसिक जरूरत क्या है। दिल्ली में बैठकर पूरे देश के किसानों की समस्या समझना कोई बच्चों का खेल नहीं है। ऐसे कितने बजट आए लेकिन आज तक हुआ क्या।

बबलू, किसान

Posted By: Inextlive