मासूम बेटे की गवाही पर इसलिए क्रूर पिता को मिली उम्रकैद
बच्चे की गवाही कोर्ट ने मानी सचजस्टिस रेवती धीरे और पीवी हरदास की पीठ ने अपने फैसले में कहा, ‘यह सच है कि जब तक पुष्टि न हो जाए तब तक बच्चे की गवाही सामान्यत: नहीं मानी जाती क्योंकि वे भोले होते हैं हैं और उन्हें सिखाया-पढ़ाया जा सकता है. लेकिन, इस मामले में हमने पाया कि गवाह सूरज कोई सिखाया-पढ़ाया हुआ गवाह नहीं है.’बेटे ने दी नाना को मां के मर्डर की सूचनाघटना 11 मार्च, 2004 की है. नाबालिग बेटे के बयान पर यकीन नहीं करते हुए सत्र अदालत ने ठाणे में रहने वाले आरोपी धानाजी बाजगे को महज तीन साल की सजा सुनाई थी. बेटे सूरज ने ही मां संगीता की हत्या की खबर चचेरे नाना सदानंद को दी थी. सदानंद ने एफआइआर में इसका उल्लेख भी किया था.