मुंबई में हुआ था ट्रांसपोर्टर के पिता का निधन, गांव से करना था क्रिया-कर्म

पूरा परिवार दो गाडि़यों से पहुंचा था मेजा रोड, सभी थे क्वारंटीन

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अपनी मिट्टी से बेहद लगाव है। शायद यही कारण था कि पिता की मौत मुंबई में होने पर उनका दाह संस्कार वहीं किया और तेरहवीं संस्कार के लिए गांव आ गये। कुनबे के नौ सदस्य दो निजी गाडि़यों से यहां पहुंचे थे। गांव न जाकर गेस्ट हाउस में खुद को क्वारंटीन कर लिया था। क्या, पता था कि ऐसी आफत आएगी कि पिता के तेरहवीं संस्कार में शामिल भी नहीं हो सकेंगे।

बाकी भी भेजे गये सैंपल के लिए

मेजा के जनवार गांव निवासी रमेश चंद्र तिवारी मुम्बई में रहते थे। ट्रांसपोर्ट के बिजनेस में इनवाल्व रमेश उल्लास नगर में रहते हैं। परिवार में पत्नी, दो बेटे, दो बहू व पांच उनके बच्चे हैं। सभी साथ रहते हैं। 22 मई की सुबह रमेश चंद्र तिवारी की अचानक मौत हो गई। मुम्बई में ही उनका अंतिम संस्कार किया गया। बड़े बेटे प्रकाश चंद्र तिवारी ने मुखाग्नि दी। तेरहवीं संस्कार परिवार ने पैतृक आवास से करने का फैसला लिया। इसके बाद रमेश चंद्र की पत्नी मीरा देवी, बेटे प्रकाश उनकी पत्नी आरती देवी तीन बेटियां दीया, भूमि, श्रुति व छोटे बेटे विनय कुमार तिवारी उनकी पत्नी दीपा तिवारी उनके दो बच्चे शिवांग एवं राशि दो चार पहिया वाहन से चल कर 25 मई को मेजा रोड पहुंचे।

गेस्ट हाउस में थे क्वारंटीन

प्रयागराज पहुंचकर घर जाने के बजाय उन्होंने मां विन्ध्यवासिनी गेस्ट हाउस क्वारंटीन सेंटर में रहने का फैसला लिया। यहां प्राइमरी चेकअॅप के बाद विनय और उनकी पत्नी दीपा तिवारी को जांच के लिये एसआरएन भेज दिया। बुधवार को दोनों की रिपोर्ट पॉजिटिव आयी तो पूरा परिवार बेचैन हो उठा। बता दें कि गेस्ट हाउस में क्वारंटीन रहने के दौरान ही 25 मई को प्रकाश चंद्र एवं विनय कुमार घण्ट बांधने के लिये पैतृक गांव गये थे। बुधवार को रिपोर्ट आयी तो क्वारंटीन सेंटर से बाकी लोगों को जांच के लिए शहर लाया गया है।

Posted By: Inextlive