-गांव में रहस्यमयी बुखार के चलते चार लोगों की मौत

-एक परिवार को तीन लोगों को लील गया बुखार

-गांव के हर तीसरे घर में बुखार से पीडि़त हैं लोग

Meerut: सरूरपुर का हर्रा गांव पिछले एक माह से रहस्यमयी बुखार की जद में है। एक माह के भीतर यहां चार मौतें हो चुकी है, जिसमें एक ही परिवार के तीन लोगों की जिंदगी भी शामिल है, जबकि गांव हर तीसरा घर इस बुखार से ग्रसित है।

एक माह में पांच मौत

हर्रा में बुखार से एक के बाद एक हो रही मौत के क्रम में रविवार को एक और चिराग बुझ गया। बुखार ने आबिद के घर का तीसरा चिराग भी बुझा दिया। पिछले एक माह से हॉस्पिटल में जिंदगी और मौत की की जंग लड़ रहे 16 वर्षीय उमेर ने रविवार सुबह दम तोड़ दिया। एक माह के भीतर परिवार में हुई बुखार से हुई तीसरी मौत से घर में कोहराम मच गया। इससे पूर्व बुखार ने 35 वर्षीय आबिद के दो पुत्र मुदस्सिर व साद को भी परिवार से छीन लिया।

बुखार का खौफ

इन दिनों हर्रा गांव में रहस्यमयी बुखार के खौफ की जद में है। गांव में जगह-जगह बुखार और मौतों की चर्चा है। एक माह में बुखार से गांव में पांच लोगों की जिंदगी लील चुका है, जबकि कई दर्जन लोग अस्पतालों में बुखार से जूझ रहे हैं। लोगों का कहना है कि गांव में बुखार इस बार प्राकृतिक आपदा बनकर आया है।

हर तीसरे घर में बुखार

रविवार को आई नेक्स्ट की टीम ने हर्रा का दौरा किया। 35 हजार की आबादी और 14 हजार की वोटिंग वाला यह बड़ा गांव मुस्लिम बाहुल्य है। गांव में नब्बे फीसदी आबादी मुस्लिम है। ग्रामीणों से बुखार के बारे में पूछा गया तो चौंकाने वाली तथ्य सामने आए। लोगों ने बताया कि हर तीसरे घर में बुखार का एक मरीज है, जबकि कहीं-कहीं पूरा का पूरा परिवार बुखार के आगोश में है।

चिकित्सा विभाग नहीं ले रहा सुध

गांव में बुखार से हो रही मौतों का सिलसिला एक माह पुराना है, लेकिन स्वास्थ विभाग कानों में तेल डालकर सो रहा है। विभाग की ओर से गांव में कोई कैंप लगाना, तो दूर अभी तक गांव की सुध भी नहीं ली गई। स्वास्थ विभाग की लापरवाही को लेकर गांव में भारी रोष है।

घर मे ड्यूटी कर रहे डॉक्टर

बुखार को लेकर स्वास्थ विभाग गंभीरता का आलम यह है कि रविवार को सीएमओ ऑफिस से जिन डॉक्टरों को गांव में लगाया वो घरों में आराम करते पाए गए। आई नेक्स्ट टीम ने जब हर्रा में पहुंच कर इन डॉक्टरों से संपर्क साधा तो उन्होंने पहले तो गांव और फिर सीएमओ की मीटिंग में व्यस्त बताकर पल्ला झाड़ लिया। हालांकि संपर्क करने के दो घंटे बार स्वास्थ विभाग की टीम मौके पर पहुंच गई।

बॉक्स -

गांव में हुए मौतें

- उमेर पुत्र आबिद (16 साल)

- मुदस्सिर पुत्र आबिद (11 साल)

- साद पुत्र आबिद (2 साल)

- नौशाद पुत्र शौकत (19 साल)

गांव के हर घर में बुखार है। इस तरह का बुखार जीवन में पहले कभी नहीं देखा। स्वास्थ विभाग कोई सुध नहीं ले रहा।

-राजेश जैन, दुकानदार

बुखार नहीं जैसे कुदरत की मार है। छोटे-छोटे बच्चे भी बुखार की भेंट चढ़ रहे हैं। जाने और कितनी जिंदगी कुर्बान होंगी।

-किफायतन

एक माह से गांव बुखार के प्रकोप में है, लेकिन अभी तक स्वास्थ विभाग ने यहां की कोई सुध नहीं ली। सरकार कुछ नहीं कर रही।

-फैजल

गांव में बुखार के मरीजों की तदाद दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है। गांव के सैकड़ों लोग इस समय इस बुखार से पीडि़त हैं। सबसे बुरा हाल बच्चों का है।

-नजाकत

मृतक को डेंगू नहीं था। मेडिकल डॉक्यूमेंट में कहीं भी डेंगू की पुष्टि नहीं हुई। उसकी मौत इंफेक्शन के चलते हुई है।

-डॉ। सुधीर गुप्ता,

Posted By: Inextlive