कई संगठनों ने केंद्रीय कर्मचारियों की अनिश्चितकालीन हड़ताल को दिया समर्थन

ALLAHABAD: केंद्र सरकार द्वारा सातवां वेतन आयोग लागू किए जाने के बाद कर्मचारियों का गुस्सा थमने का नाम नहीं ले रहा है। अपनी मांगें पूरी नहीं होने पर केंद्रीय कर्मचारियों ने पहले ही 11 जुलाई से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने का निर्णय लिया है। अब राज्य कर्मचारियों ने भी केंद्र सरकार के खिलाफ अपने गुस्से का इजहार करते हुए हड़ताल का समर्थन कर दिया है। इसी क्रम में राज्य कर्मचारी महासंघ के जिलाध्यक्ष नर सिंह ने बताया कि सातवें वेतन आयोग से सिद्ध हो गया कि एनडीए की सरकार पूर्ण रूप से कर्मचारी विरोधी है। एनडीए की पूर्व सरकार ने कर्मचारियों की पेंशन बंद की थी। उप्र के आने वाले विधानसभा चुनाव में केंद्रीय व राज्य के कर्मचारी इसका करारा जवाब देंगे। राज्य कर्मचारी 11 जुलाई की हड़ताल में शामिल होंगे। उप्र राज्य कर्मचारी महासंघ की बैठक गुरुवार को पीडब्ल्यूडी संघ भवन में हुई। जिसकी अध्यक्षता जिलाध्यक्ष नागेश्वर गिरि ने की। बैठक में निर्णय लिया गया कि जैसे ही प्रांतीय नेतृत्व का निर्णय आएगा, कर्मचारी धरना-प्रदर्शन और हड़ताल पर तत्काल उतर आएंगे।

बढ़ जाएगा वेतन में अंतर

हिंदू मजदूर सभा उप्र के उपाध्यक्ष विष्णु देव पांडेय ने सातवें वेतन आयेाग की संस्तुतियों को लागू किए जाने पर कहा कि इससे न्यूनतम वेतन और अधिकतम वेतन का अंतर बढ़ जाएगा। इससे गरीबी और अमीरी के बीच खाई बढ़ जाने से बचने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर श्रमिकों की वेतन नीति बनाने की जरूरत है। अखिल भारतीय रक्षा लेखा कर्मचारी संघ और आयकर कर्मचारी महासंघ वर्ग ग इलाहाबाद ने आक्रोश जताते हुए 11 जुलाई से अनिश्चितकालीन हड़ताल में शामिल होने की घोषणा की है। संगठन के शाखा सचिव कामरेड नंदन कुमार सोनकर ने कहा कि केंद्र सरकार ने सिर्फ न्यूनतम मजदूरी की मांग को ठुकराया है बल्कि इसमें अन्य अनिवार्य भत्तों में भी कटौती की है। आदर्श शिक्षक वेलफेयर एसोसिएशन की बैठक की अध्यक्षता करते ए डॉ। रुद्र प्रभाकर मिश्र ने कहा कि केंद्र सरकार को शिक्षकों का विश्वास हासिल करना होगा। शिक्षकों का न्यूनतम वेतन तीस हजार हो और वृद्धि 35 फीसदी की जाए। महंगाई भत्ता 127 फीसदी करते हुए पुरानी पेंशन बहाल की जाए।

Posted By: Inextlive