समलैंगिकता प्रचारित करती बंदरियां
शोधकर्ताओं का कहना है कि बंदरियां संभोग के दौरान उस वक़्त सबसे ज़्यादा आवाज़ करती हैं जिस वक्त उनके नज़दीक 'अल्फा' बंदरिया या सबसे महत्वपूर्ण बंदरिया खड़ी होती है।
बंदरों के बीच निचले क्रम की बंदरियां ऊँचे स्तर की बंदरियों के साथ संभोग के दौरान दूसरे बंदरों का ध्यान अपने संबंधों की तरफ खींचने का प्रयास करती हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि बंदरियां अपने समाज में अपना रुतबा बढ़ाने के लिए यह सब करती हैं।कामुक बंदरबोनोबो बंदरों की एक प्रजाति है, जिसका वैज्ञानिक नाम 'पैन पैनिस्कस' है। इसे कामुक बंदर के नाम से भी जाना जाता है। इस प्रजाति के बंदर न केवल काफी ज़्यादा शारीरिक संबध बनाते हैं बल्कि यह अपने साथी भी बदलते हैं और समलैंगिक भी होते हैं।
अमरीका के अटलांटा के एमोरे विश्वविद्यालय ली डॉ जान्ना क्ले कहती हैं "यह प्रजाति सेक्स को तनाव और प्रतियोगिता को कम करने, सामाजिक संबंधों को परखने के लिए विवादों को दूर करने और पीड़ितों को सांत्वना देने के लिए इस्तेमाल करती है."
बंदरों के बीच में वार्तालाप को अधिक समझने के लिए डॉ क्ले ने कांगों के बोनोबो अभ्यारण्य में अंतरराष्ट्रीय शोधकर्ताओं के एक दल का नेतृत्व किया। साइंटिफिक रिपोर्ट्स नाम की एक विज्ञान पत्रिका में छपे उनके शोध में यह भी कहा गया है कि बंदरियां समलैंगिक संबंध बनाते वक़्त एक ख़ास किस्म की आवाज़ निकलती हैं।
डॉ क्ले के अनुसार " बंदरियां अपने समलैगिक संबंधों को तभी प्रचारित करती हैं जब वो किसी महत्वपूर्ण सदस्य के साथ संबध बना रही हों। यह केवल सामाजिक रुतबे को बढ़ाने के लिए किया जाता है."टीम ने यह भी पाया कि समलैगिक सम्बन्ध बनाते वक़्त दो बंदरियों में से केवल निचले दर्जे की बंदरिया ही आवाज़ करती है, खास तौर पर पर जब उसे संबंध बनाने के लिए किसी ऊँचे दर्जे की बंदरिया की ओर से चुना गया हो।बंदरियां संबंध बनाते वक़्त इस बात का भी ध्यान रखतीं हैं कि उन्हें कौन कौन देख रहा है। अन्य बंदरों की तरह बोनोबो बंदरों का सामाज पुरुष प्रधान नहीं है। डॉ क्ले के अनुसार ऐसा इसलिए है क्योंकि बोनोबो बंदरियों में आपस में बहुत मज़बूत रिश्ता होता है।