- पर्यावरण संरक्षण से जुड़ीं 15 महिला बंदी

- वरिष्ठ जेल अधीक्षक ने शुरू कराई ट्रेनिंग

GORAKHPUR: मंडलीय कारागार गोरखपुर की महिलाओं के हाथ से बने जूट के झोले मार्केट में बिकेंगे। जेल प्रशासन की पहल पर सलाखों के भीतर ट्रेनिंग शुरू करा दी गई है। एक एनजीओ की तरफ से 16 महिला बंदियों को ट्रेनिंग दी जा रही है। वरिष्ठ जेल अधीक्षक ने बताया कि नेचुरल जूट बैग तैयार कराकर उनको मार्केट में बेचा जाएगा। उससे होने वाली इनकम से महिला बंदियों के हिस्से की रकम बांट दी जाएगी।

16 बंदियों को देंगे 10 दिन की ट्रेनिंग

मंडलीय कारागार के बंदी शाक-सब्जी के उत्पादन में स्टेट लेवल पर प्राइज जीत चुके हैं। जेल में सब्जी के उत्पादन के अतिरिक्त बंदियों के कपड़ों की सिलाई होती थी। इसलिए ज्यादातर बंदियों को रोजगार नहीं मिल पा रहा था। इसको देखते हुए जेल प्रशासन ने एक पहल की। एनजीओ की मदद से महिला बंदियों को जूट के झोले बनाने की ट्रेनिंग शुरू कराई गई। मर्डर सहित कई गंभीर आरोपों में बंद 16 महिलाओं ने जूट के झोले बनाने की ट्रेनिंग में इंटरेस्ट दिखाया। तब उनका प्रशिक्षण शुरू कराया गया। झोले तैयार करने के लिए तीन मशीनें भी मंगाई गई हैं। 10 दिनों की ट्रेनिंग के बाद जेल में बने हुए झोले मार्केट में बिकने के लिए भेजे जाएंगे।

सोशल मीडिया की लेंगे मदद, उपलब्ध कराएंगे रोजगार

जेल प्रशासन का कहना है कि जूट के झोले पूरी तरह से इको फ्रेंडली होंगे। गोरखपुर सहित आसपास के मार्केट में बिक्री के लिए झोलों को भेजा जाएगा। एनजीओ की मदद से जहां मार्केट उपलब्ध कराया जाएगा। वहीं सोशल मीडिया के जरिए इसकी ब्रांडिंग करेंगे ताकि ज्यादा से ज्यादा लोगों तक जेल में बने झोले पहुंच सकें। पॉलीथिन के खिलाफ मुहिम छेड़ते हुए झोलों को हर किसी तक पहुंचने में मदद मांगी जाएगी। झोले का रेट मुनासिब होगा ताकि हर केाई इसे आसानी से खरीद सके। महिला बंदियों के हाथ से बने झोलों की प्रदर्शनी भी लगाई जाएगी।

क्या ट्रेनिंग ले रही महिलाएं

- झोले कैसे बनाए जाते हैं। इनके निर्माण में क्या-क्या सामग्री लगेगी।

- सिलाई, कटाई, कढ़ाई और बुनाई के लिए क्या-क्या तरीके अपनाने होंगे।

- एक दिन में कुल कितने झोलों का निर्माण कार्य किया जा सकता है।

- झोलों की डिजाइन क्या होगी। नए डिजाइन के झोले कैसे अटै्रक्ट करेंगे।

- मशीनों को चलाने में क्या सावधानी बरतनी होगी। कैसे तेज काम हो सकेगा।

वर्जन

जेल में महिला बंदियों को इको फ्रेंडली जूट बैग बनाने की ट्रेनिंग दी जा रही है। नेचुरल जूट बैग बनाकर मार्केट में बेचने की तैयारी है। 10 दिनों की ट्रेनिंग के बाद झोला बनाने की प्रक्रिया शुरू करा दी जाएगी। इसके लिए तीन मशीनें भी मंगाई गई हैं।

- डॉ। रामधनी, वरिष्ठ जेल अधीक्षक

Posted By: Inextlive