नवरात्र में कन्या पूजन के लिए कहां से आएंगी कन्याएं
छ्वन्रूस्॥श्वष्ठक्कक्त्र :नवरात्र में कन्या पूजन की परंपरा है। शास्त्रों में कहा गया है कि कुंवारी कन्याएं देवी का रूप होती हैं और कन्या पूजन करने से कामनाओं की सिद्धि प्राप्ति होती है। ऐसी मान्यता है कि कन्या पूजन के बिना नवरात्र पूर्ण नहीं मानी जाती है। कन्या पूजन की अहम बात है कि इसमें किसी तरह का भेदभाव नहीं बरता जाता है। चूंकि स्त्री का सम्मान नैतिक और आध्यात्मिक के साथ-सात सभ्यता के वजूद के लिए जरूरी है। ऐसे में नवरात्र में कन्या पूजन सिर्फ अनुष्ठान मात्र नहीं हैं, लेकिन आज सामाजिक बुनावट में लगातार आता जा रहा बदलाव, नए जमाने की नई सोच, समाज में आधुनिक होने का निरंतर बढ़ता दबाव ने कन्या के साथ भेदभाव को जन्म दे दिया है। नवरात्र में कन्याओं को अहमियत दी जाती है। नवरात्र के नवें दिन कन्या पूजन के लिए बच्चियां खोजी जाती हैं, लेकिन बाकी दिनों में बच्चियों के साथ किए जानेवाले भेदभाव को लेकर समाज की जबान बंद रहती है।
पीएनडीटी एक्ट का भी नहीं है डरआज भी समाज में लड़कियों की तुलना में लड़कों को ज्यादा तवज्जो दी जाती है। बेटे की चाह में बेटियों को गर्भ में मार दिए जाने के मामले थम नहीं रहे हैं। अल्ट्रासाउंड सेंटर के संचालक थोड़े से पैसे की लालच में कानून को ताक में रखकर कन्या भ्रूण की जांच करने से पीछे नहीं हटते हैं। अगर गर्भ में कन्या होती है तो कई बार उसकी गर्भ में ही हत्या कर दी जाती है। कन्या भ्रूण हत्या एक गंभीर अपराध है, लेकिन इसके बाद भी इस तरह की घटनाएं बढ़ती ही जा रही है। हालांकि, कन्या भ्रूण जांच को लेकर पीसी एंड पीएनडीटी एक्ट लाया गया है, पर चोरी छिपे कन्या भ्रूण जांच का सिलसिला चल ही रहा है।
लावारिस की तरह फेंक दी जाती है बच्ची ऐसी भी कई घटनाएं हो चुकी है, जिसमें जन्म के बाद कन्या को लावारिस की तरह फेंक दी जाती हैं। दो दिन पहले ही कदमा थाना एरिया में झाड़ी से एक नवजात कन्या मिली थी। इस बच्ची पर वहीं रहनेवाली एक महिला की नजर गई थी। उसने बच्ची के लालन-पालन की जिम्मेवारी ले ली है। हर साल 11,191 कन्या भ्रूण हत्यायूनाइटेड नेशन पॉपुलेशन फंड डाटा के पिछले साल जारी किए डाटा से खुलासा हुआ है कि भारत में हर साल लगभग 5.7 लाख लड़कियों को जन्म ही नहीं लेने दिया जाता है, यानी गर्भ में ही उसकी हत्या कर दी जाती है। जहां तक झारखंड की बात है, यहां हर साल 11,191 कन्या भ्रूण की हत्या कर दी जाती है। पिछले 10 सालों में राज्य में चाइल्ड सेक्स रेशियो 22 प्वाइंट घट चुका है, जबकि कंट्री का चाइल्ड सेक्स ड्रॉप आउट रेशियो 13 परसेंट है।
अरबन एरिया में चाइल्ड सेक्स ड्रॉप आउट रेशियो है ज्यादा हैरत करनेवाली बात है कि अरबन एरिया में चाइल्ड सेक्स ड्रॉप आउट रेशियो रूरल एरियाज से कहीं ज्यादा है। जनगणना 2001 के मुताबिक, चाइल्ड सेक्स रेशियो जहां 973 था, वही 2011 में यह घटकर 904 पर पहुंच गया है। बोकारो में चाइल्ड सेक्स रेशियो सबसे कम 912 है, जबकि धनबाद में 917, ईस्ट सिंहभूम में 922 व हजारीबाग में 924 है। मेल-फीमेल में 35 मिलियन का अंतरवर्ष 1901 में महिलाओं की संख्या पुरुषों से केवल 3.2 मीलियन कम थी, लेकिन अब इसमें 10 गुना से ज्यादा का अंतर आ चुका है। वर्ष 2001 के जनगणना के मुताबिक, पुरुषों और महिलाओं के सेक्स रेशियो में 35 मीलियन का अंतर आ चुका है। सबसे ज्यादा अंतर 0-6 एज ग्रुप में देखने को मिला है। वर्ष 1941 में गर्ल चाइल्ड सेक्स रेशियो जहां प्रति हजार पर 1010 था, वह अब 2001 में 927 पर पहुंच गया है।
कन्या पूजन के लिए बालिकाओं की तलाश नवरात्र में ऐसी कन्याओं की पूजा की जाती है, जिसकी उम्र कम से कम दो वर्ष और दस वर्ष से अधिक नहीं हो। नवरात्र के नवें दिन नौ कन्याओं के पूजन की परंपरा है। हर उम्र की कन्या की अलग-अलग रुप में पूजा होती है। इसके तहत 2 साल की कन्या को कुमारी, 3 साल की कन्या को त्रिमूर््ितनी, 4 साल की कन्या को कल्याणी, 5 साल की रोहिणी, 6 साल की काली, 7 साल की चंडिका, 8 साल की शाम्भवी, 9 साल की दुर्गा व 10 साल की कन्या को सुभद्रा स्वरुप माना गया है। ऐसे में पूजन के लिए जब कन्याओं की तलाश होती है तब उनकी अहमियत पता चलती है। कन्या पूजन के बाद लोग कन्याओं की अहमियत को भूल जाते हैं, यह बड़े अफसोस की बात है। खासकर गर्भ में कन्या की हत्या करना मानवता के साथ क्रूर मजाक है। स्नश्रह्म 4श्रह्वह्म द्बठ्ठद्घश्रह्मद्वड्डह्लद्बश्रठ्ठ चाइल्ड सेक्स रेशियो (0-6 साल)डिस्ट्रिक्ट चाइल्ड सेक्स रेशियो सेक्स रेशियो
बोकारो 912 916चतरा 963 951देवघर 939 921धनबाद 917 908दुमका 957 974जामताड़ा 948 959ईस्ट सिंहभूम 922 949गढ़वा 958 933गोड्डा 953 933गिरीडीह 934 943गुमला 955 993सिमडेगा 975 1000हजारीबाग 924 946रामगढ़ 926 921कोडरमा 944 949लोहरदगा 961 985पलामू 947 929लातेहार 964 964पाकुड़ 965 958रांची 937 950खूंटी 991 994साहिबगंज 955 948वेस्ट सिंहभूम 980 1004सरायकेला 937 958 कोटयह सच है कि नवरात्र में कन्या पूजन को लेकर बच्चियों की तलाश मे परेशानी आती है। नवरात्र में कन्या पूजन के साथ ही उन्हें भोजन कराने का भी प्रावधान है। कन्या भ्रूण हत्या के कारण लड़कियों की कम होती संख्या का असर नवरात्र में कन्याओं को खोजने में हो रहा है। अगर ऐसी ही सिचुएशन रही तो आने वाले दिनों में परेशानी बढ़ सकती है।पंडित सुधीर तिवारी