नेट न्यूट्रलिटी पर विवाद चालू है
पिछले कुछ दिनों से सोशल मीडिया में छाए ‘नेट न्यूट्रलिटी’ (मोबाइल पर बगैर भेदभाव के इंटरनेट आधारित सेवा देना) के मुद्दे को केंद्र सरकार को गंभीरता से लेना पड़ा है. संचार मंत्रालय ने पूरे मामले की समीक्षा के लिए एक समिति गठित की है. इसे एक महीने के भीतर अपनी रिपोर्ट देने के लिए कहा गया है. मोबाइल सेवा देने वाली कंपनियां भी इस पूरे प्रकरण में अपने हितों को लेकर लामबंद होने लगी हैं.
संचार मंत्री रविशंकर प्रसाद ने बताया कि अभी इस मामले पर अंतिम फैसला लिया जाना बाकी है. दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) ने विभिन्न एप्स पर अतिरिक्त शुल्क लगाने के मुद्दे पर अपनी सलाह दी है. प्राधिकरण का काम सलाह देना है और इसे लागू करना या नहीं करना मंत्रालय का काम है. यह एक गंभीर विषय है. पूरे मामले पर मंत्रालय के भीतर गठित एक समिति विचार कर रही है. मध्य मई तक इसकी रिपोर्ट आ जाएगी. साथ ही तब तक ट्राई भी अंतिम निष्कर्ष पर पहुंच जाएगा. उसके बाद ही सरकार अंतिम फैसला करेगी. लेकिन इसका पूरा ख्याल रखा जाएगा कि इससे गरीबों और आम जनता के हितोंं को नुकसान नहीं पहुंचना चाहिए. सरकार हर किसी को किसी भी भेदभाव के इंटरनेट देने के पक्ष में है.’आम आदमी पार्टी भी उतरी
आम आदमी पार्टी ने भी नेट न्यूट्रलिटी का पक्ष लेते हुए कहा है कि इंटरनेट को आम और खास में नहीं बांटा जा सकता. इंटरनेट पर हर ट्रैफिक के साथ एक जैसा व्यवहार होना चाहिए. अगर ऐसा नहीं हुआ तो भारत में कभी गूगल, फेसबुक, व्हाट्सएप जैसी कंपनी नहीं विकसित हो पाएगी. आप ने अन्य राजनीतिक दलों से भी आग्रह किया है कि वे इस मुद्दे पर आगे आएं और अभिव्यक्ति की आजादी के लिए काम करें.क्या है नेट न्यूट्रलिटी
नेट न्यूट्रलिटी का मतलब यह है कि कोई भी मोबाइल सेवा प्रदाता कंपनी इंटरनेट सेवा देने में किसी भी एप के साथ कोई भेदभाव नहीं करेगी. यानी मोबाइल फेसबुक, ह्वाट्सएप या इस तरह के ही भारत में विकसित किसी अन्य एप में कोई भेदभाव नहीं किया जाएगा. लेकिन पिछले कुछ समय से भारत समेत दुनिया के कई देशों के मोबाइल ऑपरेटर कुछ खास एप्स के इस्तेमाल को बढ़ावा देने की रणनीति अपनाने के संकेत दे रही हैं. यानी हो सकता है कि एयरटेल फेसबुक इस्तेमाल करने पर अपने ग्राहक से अतिरिक्त शुल्क ले ले. लेकिन फेसबुक जैसे किसी भारतीय एप के इस्तेमाल से कोई शुल्क न ले. दूरसंचार ऑपरेटरों का कहना है कि चूंकि एप देने वाले उनके नेटवर्क, स्पेक्ट्रम और ढांचागत सेवा का इस्तेमाल करते हैं, इसलिए कंपनियों को फीस वसूलने की छूट होनी चाहिए.ट्राई ने आम लोगों से मांगे सुझावट्राई ने पिछले महीने मोबाइल फोन पर अतिरिक्त एप इस्तेमाल पर शुल्क लेने पर सुझाव प्रपत्र जारी किया है. इस पर आम जनता से विचार मांगे गए हैं. माना जा रहा है कि अगले महीने तक प्राधिकरण इस पर अंतिम राय देगा. नेट न्यूट्रलिटी के पक्ष में अब तक एक लाख से ज्यादा इंटनेट उपयोगकर्ता ट्राई को लिख चुके हैं.एयरटेल के जीरो से बढ़ा विवादइसी बीच देश की सबसे बड़ी मोबाइल सेवा कंपनी एयरटेल ने जीरो नाम से नया मार्केटिंग प्लेटफॉर्म लांच किया है. इस प्लेटफार्म को नेट न्यूट्रलिटी के सिद्धांत के खिलाफ माना जा रहा है. जीरो के आने के बाद ही इस मामले ने तूल पकड़ लिया है.
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