वो बचपन में कैसे हमारी कोई झूठ पकड़ी जाती थी तो हम मम्मी कसम खा कर बच जाते थे इस फिल्म के निर्देशक ने भी दर्शकों ने कुछ ऐसा ही झूठ मसलन उम्मीद जगाई है। अगर आपका दिल ट्रेलर में सुप्रिया पाठक और पूनम ढिल्लन को देख कर गार्डन गार्डन हो गया था तो इस गार्डन को फिल्म देखने के बाद मुरझाते अधिक टाइम नहीं लगेगा। चूंकि जय मम्मी दी मम्मी का नाम लेकर बनी एक बुरी फिल्म हैं। मदर्स डे पर थैंक गॉड रिलीज नहीं किया। क्यों? जानें इस पूरे रिव्यू में


फिल्म : जय मम्मी दीकलाकार: सन्नी सिंह, सोनाली सहगल, पूनम ढिल्लन, सुप्रिया पाठकनिर्देशक : नवजोत गुलाटीरेटिंग: एककहानी


क्या जाने की हो गया है अपने बॉलीवुड को। पंजाबी दे नाल ऐसे रंग गए हैं कि बासी कढ़ी भी बटर चिकन समझ कर खा लिता सी। और नहीं तो क्या, भगवान झूठ ना बोलवाए, अगर ऐसा नहीं है तो इस फिल्म को बनाने की जरूरत ही क्या थी। निर्देशक का डेब्यू है। स्टार्टर ही इतना खराब। एक्टर भी सुप्रिया और पूनम को लिया। लेकिन कहानी के नाम पर जला हुआ बटर चिकन भला कौन परोसता है। कहानी दो दोस्त लाली और पिंकी के परिवार की है। दोनों एक कॉलेज में पढ़ती थीं। लेकिन एक कारण से दोनों में अलगाव हो जाता है और फिर दोनों एक दूसरे को फूटे आंख नहीं देखना चाहती। लेकिन दोनों के बच्चे आपस में प्रेम कर बैठे हैं, अब डी डी एल जे का 100 वें घिसे पिटे वर्जन की शुरुआत होती है। परिवार को मनाएंगे, फिर व्याह रचाएंगे वाला बोरिंग ड्रामा।क्या है अच्छाफिल्म का दस मिनट का इंटरवलक्या है बुरा

पंजाबी फूहड़ जोक्स, जबरदस्ती का लव एंगल, फिल्म के हीरो हिरोइन की जबरदस्त बुरी केमेस्ट्री, बेवजह के ठूसे गाने। सुप्रिया और पूनम जैसी एक्ट्रेस होने के बावजूद उन्हें परफॉर्मेंस का मौका ना देना फिल्म को और बुरा बनाता है।अदाकारीसन्नी सिंह जी जग जाइए, प्यार का पंचनामा और सोनू के टिट्टो का हैंग ओवर कब तक चढ़ा रहेगा। एक ही मोड में चले जा रहे, पेट्रोल ख़तम ही नहीं होंदा। 100 प्रतिशत टाइपकास्ट हो चुके हो तुसी। ऐसा ना हो कि आने वाले समय में दर्शक बोले कि तुसी जल्दी जाओ। और फिल्म में खाली डांस नंबर ही कराने थे तो सोनल सहगल को गेस्ट अपीयरेंस में ले लेते। एक्ट्रेस की कमी थोड़े है। दारू पीकर बिंदास दिखाने से वेरोनिका थोड़े बन जाएगी हर हेरोइन, ओवर मेलो ड्रामा से कभी फुर्सत मिले तो आपको लव रंजन फिल्म्स के परोपकार अकादमी से निकल कर एक्टिंग वर्कशॉप में ज्वाइन करने की सख्त जरूरत है। पाउट करने पर एक्टिंग पर ज्यादा कंसंट्रेट करें तो बेहतर होगा। सुप्रिया पाठक और पूनम जी आपको क्या हो गया था। आपने नींद में फिल्म साइन की थी क्या। हॉलीडे मनाने के लिए तो इससे अच्छे मौके और भी मिलते। वर्डिक्टखाली नेहा कक्कड़ के डांस नंबर गाने सुनने भर और पंजाब के बकवास पैंतरे के नाम पर फिल्म का कामयाब होना मुश्किल है।सुपर फ्लॉपबॉक्स ऑफिस प्रिडिक्शन20 करोड़

Posted By: Abhishek Kumar Tiwari