- कैबिनेट का फैसला, फायर कर्मियों की मृत्यु पर आश्रितों को मिलेंगे 50 लाख

LUCKNOW : कैबिनेट ने पुलिस एवं अग्निशमन सेवा के अधिकारियों व कर्मचारियों को कर्तव्य पालन के दौरान घटित घटना में अपंग होने पर अनुग्रह आर्थिक सहायता प्रदान करने के प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान कर दी। इसके तहत कर्तव्यपालन के समय प्रदेश के अंदर या बाहर आतंकवादी, अराजक तत्वों की गतिविधियों में हुई हिंसा, मुठभेड़ के फलस्वरूप पुलिसकर्मियों के अपंग या दिव्यांग होने पर एवं अग्निशमन सेवा के कर्मियों के राहत एवं बचाव कार्य के दौरान अपंग या दिव्यांग होने पर अनुग्रह राशि दी जाएगी। इसके तहत 80 से 100 फीसद तक की दिव्यांगता में 20 लाख रुपये, 70 से 79 प्रतिशत तक की दिव्यांगता में 15 लाख रुपये तथा 50 से 69 प्रतिशत तक दिव्यांगता में 10 लाख रुपये की धनराशि दी जाएगी। हालांकि इसके लिए तीन शर्ते भी रखी गयी है जिनमें घटना के संबंध में एफआईआर दर्ज होना, अपंग या दिव्यांग होने से संबंधित प्रमाण पत्र सक्षम चिकित्सा अधिकारी से निर्गत होना तथा अपंग होने की स्थिति में यदि सेवानिवृत्त किया जाता है तो यह अनुग्रह आर्थिक सहायता सेवानिवृत्ति के लाभ के अतिरिक्त होगी। विशेष परिस्थितियों में इनमें आवश्यकतानुसार छूट दी जा सकती है। किसी प्रकार की छूट अथवा निर्धारित की गयी सीमाओं को शिथिल करने से पहले गृह विभाग से आदेश लेना होगा। इसके अलावा नागरिक पुलिस और पीएसी के अधिकारियों व कर्मचारियों की तरह अग्निशमन विभाग के कर्मियों की मृत्यु पर भी उनके आश्रितों को 50 लाख रुपये सहायता राशि दी जायेगी। दिवंगत कर्मी की पत्‍‌नी को 40 लाख और उसके माता पिता को 10 लाख रुपये मिलेंगे।

सर्तकता अधिष्ठान की इकाईयां दर्ज कर सकेंगी मुकदमा

कैबिनेट ने सतर्कता अधिष्ठान (विजिलेंस) की 10 इकाइयों को मुकदमा दर्ज कर कार्रवाई करने का अधिकार दिया है। इन इकाईयों को थाने का दर्जा दिया गया है। सरकार के मुताबिक विजिलेंस का कामकाज गोपनीय होता है जिसकी वजह से इसकी इकाईयों को यह अधिकार दिया जाना आवश्यक है। इसके तहत लखनऊ, अयोध्या, गोरखपुर, वाराणसी, प्रयागराज, कानुपर, झांसी, आगरा, बरेली और मेरठ यूनिट शामिल है। ये इकाईयों अधिकतर जिलों को कवर करती है। प्रमुख सचिव गृह ने बताया कि जब किसी सरकारी अधिकारी या कर्मचारी के खिलाफ रिश्वत मांगने की शिकायत आती है तो विजिलेंस की ट्रैप टीम कार्रवाई से पहले मुकदमा दर्ज करती है। फिलहाल यह संबंधित थानों में दर्ज कराया जाता है, जिसमे गोपनीयता भंग होने की संभवना होती है। इसी वजह से कई बार ट्रैप असफल भी हो जाती है।

निदेशक का चयन अब नये नियमों से

कैबिनेट ने इंस्टीट्यूट ऑफ डिजाइन, लखनऊ में निदेशक एवं सचिव पद पर सीधी भर्ती के लिए पूर्व में जारी आदेश में संशोधन के प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान कर दी। इसके तहत भर्ती के लिए निर्धारित अर्हता में संशोधन किया गया है। चयन के लिए 20 वर्ष के कार्य अनुभव को घटा कर 15 वर्ष किया गया है। इसी तरह आवेदक की अधिकतम आयु 57 वर्ष को संशोधित करके न्यूनतम आयु 45 वर्ष तथा अधिकतम आयु 55 वर्ष की गयी है। साथ ही, पूर्ववर्ती चयन समिति को यथावत बनाये रखते हुए चयन समिति में महानिदेशक निफ्ट, नई दिल्ली अथवा उनके द्वारा नामित प्रतिनिधि को भी विशेषज्ञ सदस्य के रूप में नामित किया गया है। ध्यान रहे कि पूर्व में बने नियमों के आधार पर साक्षात्कार के लिए केवल एक ही अभ्यर्थी उपस्थित हुआ था जिसके बाद इसे संशोधित करने का निर्णय लिया गया।

बनेंगे विशेषीकृत मोटर दुर्घटना अधिकरण

राज्य सरकार ने हाईकोर्ट के आदेश के अनुपालन में प्रदेश के सभी 75 जिलों में विशेषीकृत मोटर दुर्घटना अधिकरण की स्थापना का फैसला किया है। मंगलवार को कैबिनेट ने इसके प्रस्ताव को मंजूरी दे दी। अब इन अधिकरणों में मोटर दुर्घटना प्रतिकर से संबंधित सुनवाई हो सकेगी। इससे सरकार पर 23.73 करोड़ रुपये का अतिरिक्त खर्च पड़ेगा। हर अधिकरण में एडीजे स्तर के अधिकारी सुनवाई करेंगे।

Posted By: Inextlive