RANCHI : रिम्स की जहां सभी फायर एक्सटिंग्विशर एक्सपायरी हो चुकी है, वहीं सदर हॉस्पिटल के भी फायर एक्सटिंग्विशर भी सिर्फ शोपीस हैं। अगर इन दोनों हॉस्पिटल में आग लगी तो जान-माल का बड़ा नुकसान हो सकता है। यूपी के बरेली स्थित एक प्राइवेट हॉस्पिटल में आग लगने के बाद आईसीयू में एडमिट तीन मरीजों की मौत के बाद दैनिक जागरण आई नेक्स्ट की टीम ने जब रिम्स और सदर में आग से निपटने के लिए की गई व्यवस्था का जायजा लिया तो यह सच्चाई सामने आई। खास बात है कि दोनों ही हॉस्पिटल प्रबंधन इस बात से वाकिफ हैं कि यहां के फायर एक्सटिंग्विशर जवाब दे चुके हैं, लेकिन इसे बदलने की कवायद नहीं की जा रही है।

नहीं है किसी को फिक्र

रिम्स में व्यवस्था पुख्ता करने पर हर साल करोड़ों रुपए खर्च होते हैं। इसमें आग से निपटने के लिए की जाने वाली व्यवस्था भी शामिल है। इसके तहत हॉस्पिटल बिल्डिंग में कई फायर एक्सटिंग्विशर लगाए गए हैं। लेकिन, अगर आग लगी तो ये किसी काम के साबित नहीं होंगे, क्योंकि सभी के सभी फायर एक्सटिंग्विशर एक्सपायर्ड हैं। लेकिन, न तो इसकी चिंता इसकी देखरेख कर रही वेस्टर्न इंटरप्राइजेज को है और न ही रिम्स के अधिकारियों की। इसे बदलना तो दूर इसे देखने के लिए भी वे नहीं आते हैं। ऐसे में अगर किन्ही वजहों से यहां आग लगी तो हजारों मरीजों की जान को खतरा हो सकता है।

35 मरीज पर एक सिलेंडर, वह भी फेल

सदर हास्पिटल के मेन बिल्डिंग में हर दिन इलाज के लिए मरीजों की भीड़ लगी रहती है। जेनरल वार्ड होने की वजह से यहां सभी तरह के मरीजों का इलाज किया जाता है। लेकिन, यहां 35 मरीजों पर मौजूद एक सिलेंडर भी किसी काम का नहीं है। इतना ही नहीं, इमरजेंसी और डॉक्टर्स के वार्ड में भी आग से बचाव को लेकर किसी तरह का कोई इंतजाम नहीं है।

Posted By: Inextlive