- 15 मीटर से ऊंची इमारतों पर लागू होता है कानून, शहर में ऐसी सिर्फ 62 इमारतें

- बाकी जगहों पर कड़ी कार्रवाई का अधिकार न होने से नोटिस जारी कर पल्ला झाड़ लेता है विभाग

बरेली : सूरत के कोचिंग सेंटर में आग लगने की घटना के बाद बरेली में भी कॉमर्शियल और रेजिडेंशियल इमारतों में फायर सेफ्टी का मुद्दा चर्चा का विषय बन गया है. जानकारों का मानना है कि बरेली में भी फायर सेफ्टी के नियमों का खुलेआम धज्जियां उड़ाई जा रही हैं, जिससे आग लगने की घटनाओं के बढ़ने का खतरा अधिक हो गया है. ऊपर से शहर की ज्यादातर इमारतों पर फायर सेफ्टी का कानून ही लागू नहीं होने से स्थिति और गंभीर हो गई है. फायर विभाग के पास ऐसी इमारतों पर कड़ी कार्रवाई करने का अधिकार न होने से बस नोटिस जारी कर पल्ला झाड़ लिया जाता है. फायर विभाग के मुताबिक, शहर में मात्र 62 इमारतें ऐसी हैं, जहां उनका कानून लागू होता है.

बिल्डिंग के स्ट्रक्चर पर ध्यान देना जरूरी

जानकारों के मुताबिक, फायर सेफ्टी के मामले में सेफ्टी बिल्डिंग के स्ट्रक्चर पर निर्भर करती है. यानी आग कितनी जानलेवा है यह इस बात पर डिपेंड करेगा कि बिल्डिंग का स्ट्रक्चर कैसा है और वहां फायर फाइटिंग के क्या इंतजाम किए गए हैं. सिर्फ फायर एक्सटिंग्यूशर लगा देने से आग से बचा नहीं जा सकता. बरेली की अधिकतर इमारतें इस स्टैंडर्ड पर खरी नहीं उतरती.

यहां लागू नहीं कानून

फायर डिपार्टमेंट के डिप्टी डायरेक्टर अनुज कुमार गुप्ता के मुताबिक, 15 मीटर से कम ऊंचाई के भवनों पर फायर सेफ्टी का कानून और नियम लागू नहीं होते. और उन पर कार्रवाई का अधिकारी भी नहीं है. लिहाजा विभाग नोटिस जारी कर अपना पल्ला झाड़ कर संबंधित विभाग को अग्रिम कार्रवाई के लिए भेज देता है.

यहां ऐसा होना चाहिए

फायर सेफ्टी कानून के मुताबिक, अगर कोई 15 मीटर से अधिक ऊंचाई की बिल्डिंग का निर्माण कर रहा है तो उसे परिसर में हाईड्रेंट के साथ सक्शन पाइप और बिल्डिंग के टॉप फ्लोर पर पंप हाऊस का निर्माण कराना अनिवार्य है. इसके साथ ही हर कमरे में फायर एक्सटिंग्यूसर लगे होने चाहिए.

नोटिस दस को दिए, कार्रवाई एक पर नहीं

मार्च की शुरुआत में चेकिंग अभियान के दौरान फायर विभाग ने शहर के दस अस्पतालों को नोटिस जारी कर मानक पूर्ण करने के आदेश दिए थे. इन अस्पतालों का एक सप्ताह में निरीक्षण करने को कहा गया था, लेकिन विभाग ने दोबारा यहां झांकने की जहमत तक नहीं उठाई.

नहीं बंद हुई कोचिंग

सूरत अग्निकांड से पहले फायर विभाग ने जेजे मॉल स्थित महेंद्र कोचिंग का निरीक्षण किया था, जहां मानकों की धज्जियां उड़ी मिली थीं. कोचिंग ओनर को तीन दिन में कोचिंग बंद करने का आदेश दिया था लेकिन स्थिति जस की तस है.

चार साल में सिर्फ पांच नोटिस

2013 से 2017 तक के आंकड़े बताते हैं कि फायर विभाग ने सिर्फ तीन कॉमर्शियल और एजूकेशनल बिल्डिंग का ही निरीक्षण किया था. इसके बाद एक साल तक शहर में कोई अभियान नहीं चलाया गया.

वर्जन

फायर विभाग के पास कड़ी कार्रवाई का अधिकार नहीं है. 15 मीटर से कम ऊंचाई वाले भवनों पर विभाग कार्रवाई नहीं कर सकता. समय-समय पर निरीक्षण किया जाता है तो भवनों में मानक अपूर्ण होने पर संबंधित विभागों को नोटिस जारी कर कार्रवाई के लिए कहा जाता है.

अजय कुमार गुप्ता, डिप्टी डायरेक्टर, फायर.

15 मीटर से अधिक हाईट वाले भवन

. एजूकेशनल : 20

2. रेजिडेंशियल : 27

3. कॉमर्शियल : 15

Posted By: Radhika Lala