- दिवाली में जलने वाले क्रेकर्स का स्वास्थ पर प्रतिकूल असर

Meerut। एक और जहां दिवाली पर बड़ों से लेकर बच्चों तक में भारी उत्साह रहता है, वहीं दीपावली पर जलने वाले पटाखे कई गंभीर बीमारियों के साथ लोगों को अंधा और बहरा तक बना सकते हैं। जबकि इसका सबसे अधिक असर बच्चों पर पड़ता है।

हो सकते हैं गंभीर परिणाम

मेडिकल कॉलेज के सीनियर ईएनटी डॉ। प्रियांक गर्ग ने बताया कि पटाखों के कारण 125 डेसिबल के विस्फोट से कानों को भारी नुकसान होता है। जबकि अन्य बारूदी पटाखों के विस्फोट से कॉपर, केडियम, लेड, मेगनिसियम, सोडियम, ¨जक, नाइट्रेड और नाइट्राइड भी वातावरण में घुलकर सांस की नली में इंफेक्शन पैदा करता है।

बच्चों पर बड़ा असर

डॉ। गर्ग ने बताया कि क्रेकर्स से बच्चों की सेहत बिगड़ने का खतरा रहा है। इसका व्यास 10 माइक्रो मीटर तक होता है। उन्होंने बताया कि यह नाक के छेद में आसानी से प्रवेश कर जाता है। जो श्वसन प्रणाली, हृदय व फेफड़ों को प्रभावित करता है। पटाखे ध्वनि प्रदूषण भी करते हैं

10 गुणा बढ़ जाता है प्रदूषण

डॉ। संजीव भाटिया ने बताया कि दीपावली पर पटाखों के कारण वायु प्रदूषण छह से दस गुणा बढ़ जाता है। आवाज का स्तर 15 डेसीबल तक बढ़ जाता है। इसका बच्चों व गर्भवती महिलाओं पर भी असर पड़ता है।

हानिकारक गैस

डॉ। भाटिया ने बताया कि पटाखों से कई प्रकार की खतरनाक गैस निकल कर वायुमंडल में घुल जाती है। कार्बन मोनोआक्साइड जहरीली, गंधहीन गैस भी पटाखों से निकलती है, जो ह्दय की मांस पेशियों को नुकसान पहुंचाती है। सल्फर डाईऑक्साइड ब्रोकाइटिस जैसी सांस की बीमारी पैदा करती है। इससे बलगम व गले की बीमारियां पैदा होती हैं। नाइट्रेट कैंसर जैसी बीमारियां, हाइड्रोजन सल्फाइड मस्तिष्क व दिल को नुकसान व बेरियम ऑक्साइड आंखों व त्वचा को नुकसान पहुंचाती है।

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24 बर्न केस

दिवाली पर पटाखों जलाने के दौरान 24 लोग गंभीर जल गए। इसमें 13 मामले जिला अस्पताल, जबकि 11 मामले मेडिकल में दर्ज किए गए। मेडिकल इमरजेंसी ऑफिसर डॉ। नितिन ने बताया कि सभी बर्न केसों में उचित इलाज करा दिया है। उन्होंने बताया कि कोई भी गंभीर मामला सामने नहीं आया है।

Posted By: Inextlive