इन दिनों रियो ओलंपिक में दुनिया भर से खिलाड़ी शामिल हो रहे है। जिनमें बहुत से खिलाड़ी संपन्‍न तो बहुत बेहद साधारण परिवार से हैं लेकिन आर्थिक स्‍िथतियों से जूझते इन खिलाड़ियों को कहीं से कमजोर नहीं होना होगा। उन्‍हें भारत का पहला ओलिंपिक मेडल जीतने वाले उस एथलीट से सीख लेनी चाहिए जिसने इसके लिए अपना घर तक गिरवी रख दिया था। आइए जाने इस महान एथलीट के बारे में...


पैसे की कमीमहाराष्ट्र के दादासाहब जाधव के बारे में आपने सुना ही होगा। अगर नहीं तो हम आपको बताते हैं कि यह भारत का पहला ओलिंपिक मेडल जीतने वाले खिलाड़ी है। इन्होंने आर्थिक परिस्थितियों से जूझते हुए ओलपिंक में भारत का झंडा फहराया। यह कुश्ती के पहलवान थे। सन 1948 में पहली बार इन्होंने ओलंपिक में हिस्सा लेने का प्लान किया लेकिन इनके पास पैसे की कमी थी। जिससे ये लंदन नहीं जा पा रहे थे लेकिन इनके हौसले को देखते हुए कोल्हापुर के महाराजा ने इनकी मदद की थी। हालांकि इस बार वह कोई पदक नहीं जीत पाए, लेकिन दादासाहब बिल्कुल परेशान नहीं हुए। कमिश्नर बने
ऐसे में भारत लौटते ही यहां पर उनका भव्य स्वागत हुआ। दादासाहब ने सबसे पहले अपना घर छुड़ाया। वहीं सरकार की ओर से भी उन्हें मदद की गई। उन्हें मुंबई पुलिस में सब इंस्पेक्टर की नौकरी दी गई। जहां उन्होंने काफी अच्छा काम किया। शायद इसीलिए वह 1982 में उन्हें 6 महीने के लिए कमिश्नर भी बने। हालांकि इस दौरान भी वह अपनी कुश्ती को बरकरार रखे थे। ऐसे में जब 1984 में एक एक्सीडेंट में उनकी मौत हुई बड़ी संख्या में लोग दुखी हुए। आखिर यह वह इंसान थे जिसने ओलंपिक में भारत के लिए पहला मेडल जीतकर वहां पर भारत का झंडा लहराया था।

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Posted By: Shweta Mishra