RANCHI: मेरी उम्र करीब म् साल रही होगी। पूरा परिवार तब के कलकत्ता में रहता था। आजादी की वो पहली सुबह हर शख्स के लिए खुशी लेकर आई। सबकी जुबान पर आज हम आजाद हो गए, तो चेहरे पर गजब की चमक थी। चारों ओर जश्न का माहौल था। यह कहना है 7भ् साल के बुजुर्ग और बरियातू निवासी डॉ पीपी वर्मा का , जिन्होंने अंग्रेजों की हुकुमत से आजादी की पहली सुबह देखी थी। श्री वर्मा बताते हैं कि जब अंग्रेज आते तो लोग अपने घरों में घुस जाते थे। लेकिन आजादी के दिन सुबह जब लोग घरों से निकले तो उनके चेहरे पर सारे जहां की खुशी थी। छोटी उम्र होने के कारण ज्यादा कुछ तो समझ नहीं आता था, लेकिन चारों ओर खुशी का माहौल था। हर कोई बस जश्न मनाने में लगा हुआ था। जिसे देखो वह खुश था। जो कुछ अंग्रेज बचे थे वो भी धीर-धीरे अपना सामान समेटकर जाने में लगे थे। लेकिन आजादी के कुछ दिनों के बाद ही कलकत्ता में दंगा हो गया। वह मंजर आज भी आंखों के सामने घूमता है। जहां लोगों को घेरकर मारा जा रहा था। खिडि़कियां खुली होतीं तो उस पर गोलियां चलाई जाती थीं। आज भी वह कई आंदोलनों का नेतृत्व कर आजादी के मतलब को सार्थक करने में जुटे हैं।

Posted By: Inextlive