- बैलट पेपर पर सबसे नीचे अंकित होगा क्रॉस का निशान

- क्रॉस के निशान पर मुहर लगाने का मतलब वोटर किसी भी प्रत्याशी को नहीं देना चाहता वोट

- 2003, 2008 और 2013 में हुए निकाय चुनावों में नहीं था नोटा का ऑप्शन

देहरादून।

निकाय चुनावों में राज्य के 23 लाख से अधिक वोटर पहली बार नन ऑफ द अबव (नोटा)का इस्तेमाल कर सकेंगे। इसके लिए बैलट पेपर पर सबसे नीचे क्रॉस का निशान बना होगा। जिसका मतलब होगा कि वोटर किसी भी प्रत्याशी को नहीं चुनना चाहता। इससे पहले निकाय चुनावों में नोटा का विकल्प नहीं होता था, सिर्फ ईवीएम के जरिए वोटिंग के दौरान ही यह विकल्प दिया जाता था। बैलट पेपर पर पहली बार नोटा का निशान चस्पा मिलेगा।

पिछले तीन चुनावों में नहीं था विकल्प

उत्तराखंड बनने के बाद राज्य में तीन बार (2003, 2008 और 2013) निकाय चुनाव हो चुके हैं। जबकि किसी भी इलेक्शन में नोटा का विकल्प वोटर्स को नहीं मिला। चौथी बार हो रहे निकाय चुनावों में इस विकल्प का वोटर्स उपयोग कर सकते हैं और किसी भी प्रत्याशी को वोट देने में अपनी असहमति जता सकते हैं।

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क्रॉस का निशान मतलब नोटा

बैलट पेपर पर सबसे नीचे छपा क्रॉस का निशान नोटा को शो करेगा। इसके ऊपर प्रत्याशियों के नाम और चुनाव चिन्ह अंकित होंगे। क्रॉस के निशान पर मुहर लगाने का मतलब वोट किसी प्रत्याशी के खाते में नहीं जाएगा। ऐसे में वोटर अपने मताधिकार का प्रयोग भी कर लेगा और सभी प्रत्याशियों को भी नकार सकेगा।

सिस्टम पर चोट

मतपत्रों में नोटा का विकल्प आने के बाद से वोटर्स सिस्टम पर चोट भी कर सकते हैं। वह राजनीतिक पार्टियों के प्रति अपनी नाराजगी भी जता सकते हैं। हालांकि कुछ संगठन इस पर विचार भी कर रहे हैं। कि यदि उनके मुद्दों को सार्वजनिक रूप से प्रत्याशियों ने नहीं एक्सेप्ट किया तो नोटा का इस्तेमाल करेंगे।

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जिला कार्यालयों में पहुंचे आदेश

राज्य निर्वाचन आयोग की ओर से नोटा को लेकर सभी जिला कार्यालयों में पत्र भेजे जा चुके हैं। जिसमें बैलट पेपर पर नोटा का विकल्प होने की बात कही गई है। ऐसे में वह वोटर्स भी अपने मताधिकार का प्रयोग कर सकेंगे जो किसी को भी वोट नहीं देना चाहते।

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बैलट पेपर में ही नोटा का ऑप्शन होगा। पहली बार नोटा का विकल्प वोटर्स को दिया जा रहा है। इससे पहले तक निकाय चुनाव में नोटा की व्यवस्था नहीं थी।

- वीरेंद्र सिंह चौहान, सहायक निर्वाचन अधिकारी

Posted By: Inextlive