'बस' कागजों में 'फिट'
- आरटीओ का दावा रोडवेज की बसों में नहीं है कोई खामी,
- दावों को दरकिनार कर रही रोडवेज की कई खटारा बसें आई एक्सक्लूसिव पारुल सिंघल मेरठ। रोडवेज की सभी बसें फिट हैं। न तो इनमें फिजिकल कमी है न हीं किसी प्रकार की मैकेनिकल। जी हां कुछ ऐसे ही हालात आरटीओ के अधिकारियों को नजर आ रहे है। बावजूद इसके हकीकत में रोडवेज बसों की कहानी अलग ही है। खटारा बसें जहां विभाग के दावों को मुंह चिढ़ा रही हैं। तो वहीं फिटनेस पर भी सवाल उठा रही हैं। हालत यह है कि आंकड़ों के मुताबिक रोडवेज बसों की फिटनेस को लेकर चालान नहीं किया गया है। जबकि महीने दो महीने में इक्का-दुक्का चालकों को वार्निग देकर छोड़ दिया जाता है। बसों के चालान के आंकड़ेआरटीओ के मुताबिक हर महीने अनाधिकृत संचालन के विरुद्ध कार्रवाई की जाती है जिसमें प्राइवेट बसों के चालान तो किए गए हैं लेकिन इनमें रोडवेज बसों का कोई चालान नहीं किया गया।
ये है स्थिति - 94 चालान किए गए थे जनवरी महीने में - 103 चालान किए गए थे फरवरी महीने में - 104 चालान किए गए मार्च के महीने में - 66 चालान किए गए अप्रैल में- 3 चालान ही हुए हैं अब तक मई में
ये फिटनेस का आधार मोटर व्हीकल एक्ट के मुताबिक बसों की फिटनेस को मापने के 100 ज्यादा पैरामीटर्स हैं। मैकेनिकल और फिजिकल पैरामीटर्स के आधार पर बसों की फिटनेस मापी जाती है। मैकेनिकल में इंजन से जुड़े सभी पैरामीटर चेक किए जाते हैं। वहीं फिजिकल में बसों की बाहरी कंडीशन के आधार पर फिटनेस की चेकिंग की जाती है। इनमें गड़बड़ी मिलने पर चालान का प्रावधान है। वहीं, बसों में प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण, फ्रंट ग्लास क्रेक, इंडीकेटर, टायर, शीशे, सीटें, बॉडी की कंडीशन, गाड़ी की कंडीशन, हैड लाइट का सही होना आवश्यक है। ----------- खटारा बसें, कई सवाल मेरठ रोडवेज के दो डिपो में कुल 1142 बसें चल रहीं हैं। इनमें से कई बसें खस्ताहाल हैं। कई बसों के शीशे टूटे हुए हैं, सीटे फटी हुई हैं। इन बसों के पाल्यूशन नियंत्रण मानकों पर पहले ही एनजीटी सवाल खड़े कर चुका है। -------------रोडवेज बसों की हम यूपीएसआरटीसी के साथ ज्वाइंट चेकिंग करते हैं। रोडवेज के अधिकारी भी साथ होते हैं। हमें इन बसों की चेकिंग के ज्यादा निर्देश नहीं हैं। बाकी मार्च में दो बसों का चालान किया गया था। अन्य बसों को चेतावनी देकर कमियों को ठीक करवाने के निर्देश दे दिए जाते हैं।
दीपक शाह, एआरटीओ, प्रवर्तन ---------- बसों का पॉल्यूशन और नॉइज पाल्यूशन जरूर चेक किया जाता है। इन्हें इग्नोर नहीं किया जा सकता। अगर बसों में किसी प्रकार की कोई शिकायत मिलती है तो इस पर तत्काल कार्रवाई का प्रावधान है। राजेंद्र, आरआई, आरटीओ