ईदगाह की दीवार ढही, पांच जिंदा दफन
झूंसी के कोहना एरिया में शुक्रवार की मध्य रात्रि में हुई दर्दनाक हादसा
विधायक निधि से ईदगाह की रोड का हो रहा था निर्माण ALLAHABAD: गंगापार के झूंसी इलाके में शुक्रवार की आधी रात के बाद ईदगाह के निकट निर्माणाधीन रोड के बगल की दीवार ढह जाने से पांच लोग जिंदा दफन हो गए। घटना की भनक भी पूरी रात किसी को नहीं लगी। इससे किसी के जिंदा बाहर निकाल लिए जाने की संभावना भी नहीं रही। सुबह इसकी जानकारी होने पर आसपास के लोगों के साथ ठेकेदार और प्रशासनिक अफसर सन्नाटे में आ गए। जेबीसी बुलाकर मलबा हटवाया गया तो एक के बाद एक लाशें बाहर आनी शुरू हो गई। सभी शवों को आनन-फानन में पोस्टमार्टम हाउस भेज दिया गया। डीएम ने मृतकों के परिवारवालों को दस-दस हजार रुपए तत्काल आर्थिक सहायता के रूप में देने की घोषणा की है। सोते समय हुआ हादसाझूंसी के अम्बेडकर पार्क के निकट ईदगाह है। इसके बगल की रोड बनवाई जा रही है। इंटरलॉकिंग के काम के लिए आधा दर्जन मजदूरों को लगाया गया है। शुक्रवार की देर शाम तक काम चला। बारिश होने के चलते रात में मजदूर वहीं रुक गए। सिर छिपाने के लिए उन्होंने ईदगाह की दीवार के सहारे पन्नी लगा ली। वहीं खाया बनाया और खाकर सो गए। रात में तेज बारिश के साथ हवा चलने के चलते अचानक दीवार ढह गई। इसके चलते पन्नी के नीचे सो रहे सोरांव क्षेत्र के बनवारी पुत्र राम किशन 30, सोनू 27, कल्लू 32 पुत्र राजेन्द्र, लाल चन्द्र 35 पुत्र नानू व माधवपुर निवासी राम नरेश दीवार के मलबे में दब गए। दीवार की ईट गिरने से सभी चोटिल भी थे, इससे किसी को हिलने-डुलने का भी मौका नहीं मिला।
ठेकेदार को हुआ शकशनिवार की सुबह आसपास के लोग ईद गाह पहुंचे, तो उनकी नजर ढही दीवार पर पड़ी। इस वक्त तक लोगों को इस बात का जरा भी शक नहीं था कि इसके नीचे कुछ लोग दबे हो सकते हैं। समय बीतता गया। बारिश भी थम गई। निर्माण कार्य शुरू होने का वक्त हो गया और कोई मजदूर नहीं आया तो ठेकेदार राम कैलाश ने उनके बारे में पता लगाना शुरू कर दिया। लेकिन, कहीं से कोई जानकारी नहीं मिली। थक हारकर वह ईदगाह पर ही बैठ गया और मजदूरों के आने का इंतजार करने लगा। तभी इस दौरान उसे मोबाइल की रिंग टोन सुनाई दी। आसपास किसी के मौजूद न होने से उसे आवाज खटक गई। काफी कोशिश के बाद भी कुछ पता नहीं चला तो उसने पुलिस को सूचित कर दिया।
मोबाइल की रिंग ने दिया पता सूचना के बाद ईदगाह पहुंची स्थानीय पुलिस ने भी गायब मजदूरों के नंबर पर कॉल करना शुरू किया तो रिंगटोन आसपास से ही आती सुनाई दी। इससे शक बढ़ गया। पुलिस ने रिंगटोन पर कंसंट्रेट किया तो शक हुआ कि मोबाइल नीचे दबा है। इसके बाद पुलिस ने ईट हटवाई तो खून देखकर पूरा माजरा समझ गई। इसके बाद जेसीबी बुलाई गई। जेसीबी से खोदाई के बाद मजदूरों का शव दिखने लगे। इसे लेकर कोई बवंडर न हो इसके लिए पुलिस ने इलाके को घेर दिया और शवों के निकलने के साथ ही उन्हें पोस्टमार्टम हाउस भेजवाना शुरू कर दिया। ठेकेदार ने मजदूरों की पहचान भी कर ली। परिवार में मचा कोहरामशवों को पोस्टमार्टम हाउस भेजने के बाद पुलिस ने हादसे में मारे गए लोगों के परिवार को इसकी सूचना दी। यह सुनते ही परिवार के लोगों के पैरों तले से जमीन खिसक गई। सोनू की पत्नी नीतू को जानकारी मिलते ही बदहवास हालत में थाने पहुंची और वहीं बेसुध हो गयी। साथ आए गांव के लोगों ने किसी प्रकार उसे शांत कराया। भाई आसर्फी को बनवारी के मरने की सूचना मिली तो वह भी घटनास्थल के लिए रवाना गया। भाई के शव को देख वह फफक पड़ा। कल्लू व लाल चन्द्र के परिवार के लोगों का भी कुछ ऐसा ही हाल था। परिवार के सदस्यों को अपने के जाने का काफी गम था।
तरह तरह प्रश्न उठे हादसे में पांच लोगों की मौत होने के बाद स्थानीय लोगों की भीड़ मौके पर जमा हो गयी। लोगों के मन में इस घटना को लेकर कई प्रकार के प्रश्न उठे। किसी का कहना था कि जिस दीवार के ढहने से मजदूरों की मौत हुई, उसके पीछे कहीं न कहीं घटिया निर्माण था। लोगों का यह भी कहना था कि इस दीवार को बने ज्यादा दिन नहीं हुए हैं। काम की क्वालिटी घटिया न होती तो मजदूरों को अपनी जान न गंवानी पड़ती। उन्होंने दीवार के निर्माण की भी जांच करने की मांग उठाई। बाक्स मौत का कौन होगा जिम्मेदारइस घटना को लेकर स्थानीय लोगों ने काफी आक्रोश व्यक्त किया। उनका कहना था कि हादसा बेहद दर्दनाक है। जिन परिवारों ने अपना कमाऊ सदस्य खोया है उनके लिए इसकी भरपाई कर पाना मुश्किल होगा। स्थानीय लोगों का कहना था कि घटना की जांच कराई जानी चाहिए। ठेकेदार की भूमिका को भी जांचा जाना चाहिए कि उसने बारिश के मौसम में भी मजदूरों के लिए ठहरने की व्यवस्था क्यों नहीं की। जांच में जो लोग भी दोषी पाएं जाएं, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाय। मृतकों के परिजनों को आर्थिक सहायता दी जाए ताकि मृतकों के बच्चों की परवरिश पर कोई असर न पड़े।
बाक्स दस-दस हजार मदद की घोषणा हादसे की जानकारी होने पर एसडीएम फूलपुर विकास सिंह मौके पर पहुंच गए। मौका मुआयना करने के बाद इसकी जानकारी उन्होंने डीएम संजय कुमार को दी। एसडीएम ने बताया कि तात्कालिक मदद के रूप में मृतकों के परिजनों को डीएम के आदेश पर सहायता कोष से दस-दस हजार दिए जाएंगे। इसके अलावा शासन स्तर पर संचालित योजनाओं का लाभ भी मृतकों के परिवारवालों को दिलाने का पूरा प्रयास किया जाएगा। मृतक के परिवारवालों को जल्द ही शासन की तरफ से चार-चार लाख रुपए की आर्थिक सहायता दिलाने की कोशिश जारी है। हादसे की सूचना शासन को भेजी जा चुकी है ताकि सहायता राशि का आवंटन जल्द से जल्द हो जाए। वर्जन हादसे के पीछे कहीं न कहीं लापरवाही है। जिला प्रशासन को इस घटना की जांच करानी चाहिए। हादसा दर्दनाक है। जो भी लोग इसमें दोषी पाए जाते हैं उनके खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए। आजाद अली निर्माण करवा रहे ठेकेदार को मजदूरों के ठहरने की व्यवस्था करनी चाहिए थी। जिला प्रशासन को मृतकों के परिवारवालों को अधिक से अधिक आर्थिक मदद देनी चाहिए। मंजूर अली यह बड़ा हादसा है। दोषियों के खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई की मांग करता हूं। यह लापरवाही का मामला है। घटना से इलाके में मातम का माहौल है। रोशन किस्मत ने बचा ली मनोज की जिंदगी सठवा गांव का रहने वाला मनोज मिस्त्री है। ईदगाह के निकट हो रहे इंटरलॉकिंग के काम से वह भी जुड़ा हुआ था। मनोज ने बताया कि वह दो दिन पहले ही बैंक के काम के चलते अपने गांव चला गया था। शनिवार की सुबह काम पर लौटा तो मौत का खौफनाक मंजर सामने था। मनोज का कहना था कि अगर वह गांव नहीं गया होता तो शायद आज उसकी भी दीवार के नीचे दबकर मौत हो जाती। उसे अपने साथियों के बिछड़ने का काफी गम था। उन्हें याद कर वह अपने आंसू नहीं रोक पा रहा था।