अमिताभ बच्‍चन और तापसी पुन्‍नू स्‍टारर फिल्‍म 'पिंक' इन दिनों चर्चा में है। फिल्‍म ने कईयों को झकझोरा है और कई लोगों को महिलाओं से जुड़े मामलों पर एक अलग संवेदनशीलता से सोचने के लिए मजबूर किया है। महिलाओं के बारे में पुरुष प्रधान समाज द्वारा स्‍थापित किए गए कई नियमों पर भी फिल्‍म एक अलग अंदाज में कमेंट करती है जिससे कई लोग सीख ले सकते हैं। इसके अलावा भी एक बात है जो ये फिल्‍म महिलाओं को सिखाती है। इस फिल्‍म के जरिए महिलायें कुछ कानूनी नुक्‍तों पर सबक ले सकती हैं जो उनके लिए बहुत मददगार साबित हो सकते हैं।

क्या है जीरो एफआईआर
कई बार कोई हादसा होने पुलिस महिलाओं को एक थाने से दूरे थाने में दौड़ाती रहती है। इसका आधार होता है कि दुर्घटना जिस थाना क्षेत्र में हुई है वहीं उसकी फर्स्ट इंन्फॉरमेशन रिर्पोट यानि एफआईआर दर्ज की जायेगी। लेकिन ये फिल्म बताती है कि किसी भी थाने में जाकर महिला अपनी एफआईआर लिखा सकती है और उसे जीरो एफआईआर कहा जाता है। ये एफआईआर लिखना हर थाने के थानाध्यक्ष के लिए लिखना अनिवार्य है। बाद में वो इसे संबंधित थाने को ट्रांसफर कर सकता है।

धारा 354 की जानकारी
फिल्म में मीनल के साथ दुर्व्यवहार करने वाले राजबीर और उसके साथियों पर धारा 354 के अंतगर्त कार्यवाही होती है। ये महिलाओं के लिए अत्याचार से लड़ने का सबसे शक्तिशाली हथियार है। भारतीय दण्डसंहिता की धारा 354 के अनुसार कोई भी शख्स महिला केसम्मान को नुकसान पहुंचाने के इरादे कुछ भी करता है तो इस कानून के अंर्तगत वो दण्ड का अधिकारी होता है।

धारा 503
मीनल और उसकी दोस्त इसी धारा 503 के तहत अपनी शिकायत दर्ज कराती हैं। इसके अनुसार कोई व्यक्ति किसी दूसरे व्यक्ति या उसे संबंधित व्यक्ति को किसी ऐसे काम के लिए मजबूर नहीं कर सकता जो करने के लिए वो कानूनी रूप से बाध्य नहीं है। किसी को धमकी देना, इच्छा के विपरीत काम करने के लिए मजबूर करना और डराना इस धारा के अनुसार अपराध है और ऐसा करने वाले के विरुद्ध कानूनी कार्यवाही की जा सकती है।

महिलाओं और बच्चों को वीकएंड पर भी जमानत मिलने का नियम
फिल्म में मीनल को शुक्रवार को गिरफ्तार किया जाता है, क्योंकि वीकएंड यानि शनिवार और इतवार को अदालत बंद रहती है और इन दो दिनों में जमानत नहीं करायी जा सकती है। तब वकील की भूमिका कर रहे अमिताभ बच्चन ये स्पष्ट करते हैं कि ये नियम महिलाओं और नाबालिगों पर लागू नहीं होता। ऐस लोगों की जमानत की सुनवाई संबद्ध जज के घर पर हो सकती है और उन्हें जमानत दी जा सकती है।

धारा 164
आईपीसी की इस धारा के अनुसार कोई महिला एक पुलिस अधिकारी और एक महिला कांस्टेबल की मौजूदगी में किसी ऐसी जगह जहां वो सहज महसूस करे कैमरा के सामने अपना बयान अकेले में दर्ज करा सकती है। जैसा की फिल्म के एक दृश्य में नायिका मीनल से करने को खुद जज कहता है।

 

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Posted By: Molly Seth