जवाहरलाल यूनिवर्सिटी के राष्‍ट्रद्रोह के आरोपी पांचों छात्र कल देर रात विश्‍वविद्यालय परिसर में वापस आ गए हैं। छात्रों का कहना है कि उन्‍होंने कुछ गलत नहीं किया है और उन्‍हें गलत वीडियो के जरिए फंसाया गया है। साथ ही उन्‍होंने कहा वे जांच में सहयोग करेंगे और कन्‍हैया कुमार की रिहाई के लिए संघर्ष करेंगे। उनका कहना है कि वे समर्पण नहीं करेंगे पुलिस चाहे तो उन्‍हें गिर फ्तार कर सकती है।


खलिद और बाकी आरोपी छात्र वापस कैंपस में लौटे


करीब 13 दिन पहले यानि 9 फरवरी का दिन जेएनयू कैंपस भारत विरोधी नारेबाजी का केंद्र बना। आतंकी अफजल गुरू की बरसी पर देश के खिलाफ तकरीरें की गयीं। उन नारों की तरंगे जब जेएनयू कैंपस से बाहर निकलीं तो देश का सियासी माहौल गरमा गया। जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्र संघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार को पहले हिरासत में लिया गया फिर गिरफ्तार किया गया। लेकिन नारेबाजी का मास्टरमाइंड कहा जाने वाला उमर खालिद अपने पांच सहयोगियों अनिर्बन भट्टाचार्य, अनंत प्रकाश, रामा नागा और आशुतोष कुमार के साथ फरार हो गया। करीब 13 दिनों की लुकाछिपी के बाद उमर बीती रात अपने सहयोगियों के साथ जेएनयू कैंपस में दाखिल हुआ। कैंपस में प्रवेश के बाद इन छाता्रों ने कहा कि उन्होंने कुछ गलत नहीं किया। उन्होंने ये भी कहा कि उन्हें गलत वीडियों के जरिए फंसाया जा रहा है और वे पुलिस के नहीं बलकि भीड़ का शिकार बनने के डर से छिपे हुए थे। कभी नहीं गया पाकिस्तान

खालिद और दूसरे आरोपी रविवार शाम को ही विश्वविद्यालय कैंपस में दाखिल हो गए थे। जिस समय खालिद दाखिल हुआ उस वक्त जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय के प्रशासनिक भवन के पास 150 से ज्यादा छात्रों का जमावड़ा था जिसे आरोपी छात्रों ने संबोधित किया। खालिद ने कहा कि वो कभी पाकिस्तान नहीं गया और उसके पास कोई पासपोर्ट नहीं है। वहीं बारकी छात्रों ने भी अपने को बेकसूर बताया और कहा कि वे जांच में सहयोग करने और कन्हैया की रिहाई के लिए संघर्ष करने लौटे हैं। छात्रों को जेएनयू छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष आशुतोष ने भी संबोधित किया। उसने अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर अपनी बातों को सही करार दिया। देशद्गोह के मामले में आरोपी बनाए गए आशुतोष ने कहा कि केंद्र सरकार फांसीवादी ताकत है। ये सरकार अपने से अलग विचार रखने वालों की आवाज को दबाने की कोशिश कर रही है। परिसर में नहीं घुसी पुलिस

जेएनयू कैंपस में खालिद और दूसरे आरोपियों की भनक लगते ही दिल्ली पुलिस मौके पर पहुंची। हालांकि पुलिस विश्वविद्यालय परिसर में नहीं दाखिल हुई। वापसी का घटनाक्रम कुछ इस प्रकार रहा। उमर खालिद और दूसरे आरोपी रात के करीब 12 बजे जेएनयू में दाखिल हुए। उन्होंने उमर के साथ एडमिनिस्ट्रेटिव भवन के पास आरएसएस और केंद्र सरकार के खिलाफ नारेबाजी की। उस दौरान आरोपियों के साथ करीब 150 छात्रों का जमावड़ा रहा। इस बीच पुलिस, जेएनयू प्रशासन से विश्वविद्यालय में प्रवेश करने की अनुमति का इंतजार करती रही । आरोपियों के वकील भी जेएनयू में मौजूद हैं।सर्मपण पर संदेह इस बीच खालिद सहित पांचों आरोपियों का कहना है कि क्योंकि उन्होंने कोई गलत काम नहीं किया है और उनके इरादे साफ है इसलिए वो आत्मसर्मपण नहीं करेंगे। उन्होंने कहा कि वो भसीड़ की हिंसा का शिकार बनने से बचने के लिए छिपे हुए थे उन्हें पुलिस का कोई भय नहीं था। छात्रों का ये भी कहना है कि वे हर जगह से छात्रों और लोगों का सर्मथन देख कर अपने साथी जेनयू छात्रसंघ के वर्तमान अध्यक्ष कन्हैया कुमार की रिहाई के लिए संघर्ष करने लौटे हैं और वही करेंगे। अगर पुलिस चाहे तो उन्हें गिर फ्तार करले। उन्होंने ये भी कहा कि 9 फरवरी के बाद से वो उमर के संपर्क में नहीं थे और वापस आने का सबका निर्णय व्यक्तिगत था संयुक्त फैसला नहीं। क्या है मामला
कहा जा रहा है कि 9 फरवरी को आतंकी अफजल गुरू की बरसी के दौरान इन आरोपियों ने देश विरोधी नारे लगाए थे। भारत विरोधी नारेबाजी के दौरान छात्रसंघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार की मौजूदगी के बाद दिल्ली पुलिस ने उन्हें देशद्रोह के मामले में पहले हिरासत में लिया था। करीब पांच दिन की हिरासत के बाद कन्हैया को पटियाला हाउस कोर्ट ने न्यायिक हिरासत में भेज दिया। दिल्ली पुलिस का कहना था कि कन्हैया के खिलाफ उनके पास पुख्ता सबूत हैं। हालाकि पुलिस ने ये भी कहा कि अगर कन्हैया जमानत के लिए अर्जी लगाता है तो वो उसके बेल अर्जी का विरोध नहीं करेगी।

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Posted By: Molly Seth