- फ्ल्यूड पाइप का टुकड़ा फंसने से डोर लॉक रोलर में आई थी खराबी, ओटिस कंपनी ने किया खुलासा

LUCKNOW : केजीएमयू के ट्रॉमा सेंटर की लिफ्ट मरीजों को ड्रिप चढ़ाने वाली आईवी फ्ल्यूड पाइप का टुकड़ा फंसने से रूकी थी। कंपनी के अधिकारियों का कहना है कि एलिवेटर शॉफ्ट के अंदर रोलर के बीच में फंसे पाइप ने लिफ्ट के दरवाजे को खुलने नहीं दिया। पाइप को हटाने के दो घंटे बाद से ही लिफ्ट फिर से काम करने लगी थी।

ओटिस कंपनी के अधिकारियों के अनुसार ट्रॉमा सेंटर में लिफ्ट फंसने की जानकारी सुबह 5.10 बजे मैकैनिकल स्टाफ के पास आई थी। आधे घंटे में ही स्टाफ ट्रॉमा पहुंच गए और अगले 30 मिनट में लिफ्ट में फंसे लोगों को निकाल लिया गया है। जांच में पाया गया कि आई वी फ्ल्यूड का टुकड़ा फंसा हुआ था। ओटिस के अधिकारियों का कहना है कि रोलर से पाइप को हटाने के बाद दो घंटे से लिफ्ट का संचालन शुरू कर दिया गया था। यह मानवीय भूल के कारण हो सकता है।

केजीएमयू प्रशासन पर लगाया आरोप

किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी प्रशासन की लापरवाही के कारण पिछले डेढ़ साल से लिफ्ट का मेंटीनेंस किसी भी कंपनी को नहीं सौंपा गया। मार्च 2014 के बाद से केजीएमयू की 63 लिफ्ट के अनुअल मेंटीनेंस कांट्रैक्ट (एएमसी) नहीं हो पाई। केजीएमयू अधिकारियों के कहने पर ओटिस कंपनी ही मेंटीनेंस करती रही और केजीएमयू जनवतरी तक पेमेंट भी करता रहा। केजीएमयू प्रशासन ने तीन बार टेंडर निकाला लेकिन आज तक एएमसी फाइनल नहीं हो पाई। केजीएमयू प्रशासन के सूत्रों के मुताबिक समय पर मेंटीनेंस न करने के आरोप में कंपनी को ब्लैकलिस्ट किया जा सकता है। कंपनी के केजीएमयू प्रशासन के विरोध में आने पर केजीएमयू प्रशासन ऐसा कदम उठा सकता है।

केजीएमयू और ओटिस के बीच कॉंट्रैक्ट खत्म होने के बावजूद हमने 12 अगस्त को इमरजेंसी कॉल के लिफ्ट में फंसे लोगों को निकाला। मात्र 30 मिनट के अंदर ओटिस के मैकेनिक ट्रॉमा सेंटर पहुंचे थे। रेस्कयू केबाद जांच में पता चला कि सॉफ्ट और रोलर के बीच में फंसे पाइप के कारण लिफ्ट के दरवाजे नहीं खुले थे।

गोल्डी श्रीवास्तव,

डायरेक्टर कम्युनिकेशन

ओटिस

कंपनी को जनवरी तक का भुगतान किया जा चुका है। उसके आगे की फाइनल फाइनेंस में है। जुलाई माह में भी कंपनी ने पेमेंट के लिए इनवाइस भेजी है। वह काम कर रहे थे और उन्हें पेमेंट की जा रही थी।

प्रो। रविकांत, वीसी केजीएमयू

Posted By: Inextlive